रविवार, 7 जनवरी 2024

किसका बदला है हाल ? - टीकम 'अनजाना'

                                                                  टीकम 'अनजाना'

किसका बदला है हाल ?

 

तारीख बदली महीना बदला, और बदला है साल

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल।

 

अल्फ़ाज़ वही अन्दाज़ वही, आदमी भी वही है

ना जुबाँ बदली है उसकी, ना ही बदला है गाल।

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल ।।

 

कहता है ज़माना, कि धोखा खा गया 'अनजाना'

दुकानदार ने लेबल बदला है, नहीं बदला है माल।

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल ।।

 

मछलियाँ दरिया में होती, तो ठिकाना भी बदलती

ना मछुआरा बदला ना पानी, ना बदला है ताल।

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल ।।

 

आदमी हो या परिंदा, पेट भरा हो तो रहता जिंदा

जुल्मो भूख कब मिटेगी, नहीं बदला है सवाल।

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल ।।

 

शिकारी जाना पहचाना, मगर शिकार 'अनजाना'

बहेलिये ने शिकार के लिए, फिर बदला है जाल।

यों साल के बदलने से, किसका बदला है हाल ॥

4 टिप्‍पणियां:

Krishan Lal Bansal ने कहा…

It's Amazing & True Sir Ji

Chandan Dubey ने कहा…

नए साल पर "वास्तविक जीवन" का सटीक चित्रण किया गया है।
किसी पिछड़े और वंचित के जीवन में, जब से अभावों का सिलसिला समाप्त होता है, तभी से उसका नया साल नया शुरू होता है।

Dr.Ramji Chandrawal ने कहा…

Very nice creation.

PLSad ने कहा…

शत प्रतिशत सत्य

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...