मंगलवार, 9 जनवरी 2024

क़मर जलालाबादी- @राजेश चड्ढ़ा


                                              क़मर जलालाबादी

                                                        राजेश चड्ढ़ा

    9 मार्च 1917 को अमृतसर में जन्मे और आज के दिन यानी 9 जनवरी 2003 को जुदा हो जाने वाले शायर क़मर जलालाबादी भारतीय हिन्दी फ़िल्मों के प्रसिद्ध गीतकार और कवि रहे हैं. वे चार दशकों तक हिन्दी फ़िल्मी जगत को बतौर गीतकार एक से बढ़कर एक गीत रहे. क़मर जलालाबादी के लिखे गीत आज भी उसी शिद्दत से सुने जाते हैं. फ़िल्म 'हावड़ा ब्रिज' का मस्ती भरा गीत 'मेरा नाम चिन चिन चूँ और 'आइये मेहरबां बैठिये जाने जाँ' कैसे भुलाये जा सकते हैं. इस गीत को आशा भोंसले की मादक गायकी, मधुबाला के मोहक अभिनय और ओ. पी. नैयर के कर्णप्रिय संगीत के साथ जोड़कर याद किया जाता है, जबकि इस गीत के बेहतरीन शब्दों का जाल बुनने वाले क़मर जलालाबादी का नाम पार्श्व में दब गया. क़मर जलालाबादी ने अपने लम्बे करियर में हिन्दी सिनेमा के लगभग सभी प्रसिद्ध संगीतकारों के साथ काम किया. एक गीतकार के रूप में क़मर जलालाबादी ने ऐसे बहुत सारे अविस्मरणीय गीत हिन्दी सिनेमा को दिये. बहुत कम गीतकार ऐसे होंगे, जिनके रचे गीत दशकों तक श्रोताओं के जीवन का अभिन्न अंग बने रहे हों. क़मर जलालाबादी की स्मृतियों को सलाम. 

हर हर क़दम पे साथ हूँ साया हूँ मैं तिरा

ऐ बेवफ़ा दिखा तो ज़रा भूल कर मुझे

दुनिया को भूल कर तिरी दुनिया में आ गया 

ले जा रहा है कौन इधर से उधर मुझे

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...