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साहित्य में एक उभरता नाम जयचन्द प्रजापति "जय' का तेजी से बढ़ रहा है। अपनी लेखनी से लोगों को अवगत करा रहे हैं। इनका
जन्म उत्तर प्रदेश प्रयागराज के हंडिया तहसील के एक छोटे गाँव जैतापुर में श्री
मोतीलाल प्रजापति के घर 15 जुलाई 1984
को हुआ। शुरूआती शिक्षा गाँव में हुई। बचपन में ही पिता की मौत हो गयी। पिता की
मृत्यु के बाद बालक जयचन्द प्रजापति का लालन पालन माँ शान्ती देवी के उपर आ गया।
माँ के उपर मुसीबतों का पहाड़ आ गया। घर की जिम्मेदारी तथा बालक जयचन्द प्रजापति 'जय' की शिक्षा की जिम्मेदारी इनकी माँ ने उठाया।
जयचन्द
प्रजापति "जय' ने मीरा
प्रजापति से विवाह किया। इनके चार बच्चे हैं। दो लड़के तथा दो लड़कियां हैं। बड़ी
लड़की का नाम नैंसी प्रजापति तथा छोटी लड़की का नाम अन्या प्रजापति है। बड़े लड़के
को ऋषभ प्रजापति तथा छोटे को सरस प्रजापति कहते हैं। कवि का परिवार गाँव में रहता
है। रोजी रोटी हेतु कवि इस समय प्रयागराज में एक निजी सुरक्षा कंपनी में कार्यरत
हैं।
जयचन्द
प्रजापति "जय' भाइयों में
अकेले हैं तथा एक बहन भी है जो अब शादीशुदा जीवन जी रही है। जयचन्द प्रजापति"
जय' की पढ़ाई स्नातक तक हुई है। पत्रकारिता में पोस्ट
ग्रेजुएशन डिप्लोमा मास कम्युनिकेशन कोर्स भी किया। आगे जीवन जीने के लिए एक निजी
स्कूल में अध्यापन कार्य करने लगे। टीचिंग के साथ साथ एक साप्ताहिक समाचार पत्र भी
प्रकाशित करते हैं। उस अखबार के प्रधान संपादक हैं।
जयचन्द
प्रजापति 'जय' कविता,
लघु कहानी, हास्य व्यंग्य तथा लेख लिखते हैं।
इनकी रचनायें काफी लोकप्रिय होती है। सच्ची बात कहने वाली रचनायें जो आम बोलचाल की
भाषा में लिखी गयी हैं। जमीन से जुड़े हुए लेखक और कवि हैं। हिंदी साहित्य के एक
उभरता हुआ लेखक व कवि की रचनायें समाचार पत्र तथा साहित्यिक पत्रिकाओं में छप रही
हैं। कई साहित्यिक मंचों द्वारा श्रेष्ठ रचनाकार सम्मान से सम्मानित किया किया गया
है। सोशल मीडिया पर इनकी रचनाओं को काफी पसंद किया जा रहा है। अभी तक किसी पुस्तक
को प्रकाशित नहीं किया गया है। जल्द ही पुस्तक प्रकाशित करने का विचार है।
सरल व
अनूठे अन्दाज में लिखी रचनायें बहुत सुंदर हैं। आमतौर पर इनकी रचनायें बहुत सादगी
से युक्त हैं। समाज में जो विसंगतियों पर प्रहार करती रचनायें बहुत ही सुंदर
शब्दों के साथ पिरोकर लिखी गई हैं। मन की गहराइयाँ छू लेने वाली ये रचनायें बहुत
ही आकर्षित करती हुई आवाज बुलंद कर रही है।
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