शनिवार, 30 दिसंबर 2023

प्रभु ने कहा - हूबनाथ पांडे


 हूबनाथ पांडे
कवि,लेखक,आलोचक 
 प्रोफेसर,मुंबई विश्वविद्यालय

  प्रभु ने कहा 

(एक अधूरी कविता...)

कितु प्रभु!

यह तो आपने

कहा ही नहीं गीता में

प्रिय पार्थ!

ईश्वर भी

सब कुछ नहीं कह सकता

किसी एक ही किताब में

वह निरंतर कहता रहता है

विभिन्न किताबों

विभिन्न भाषाओं में

किताबें सत्य नहीं होतीं

वे सत्य को देखने का

चश्मा भर होती हैं

प्रभु!

चश्मा तो फ़ारसी लफ़्ज़ है

 

नादान कौंतेय!

दुनिया की सारी भाषाएँ

मुझमें से ही सिरजती हैं

I can speak

In any language

Of the world

Or

I can express myself

Without any language

जी योगेश्वर!

किरीटी!

जो किताबों को सत्य

मानते हैं

वे सत्य तक कभी नहीं

पहुँच सकते

किताबें छपते ही

जड़ हो जाती हैं

और सत्य तो है

परम चैतन्य

किताबें साधन हैं

मात्र साधन

सत्य साध्य है

तो माधव!

आप कह रहे थे...

मैं कह रहा था...


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