उनका अवसान कभी नहीं होगा
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हिन्दुस्तान के ऐतिहासिक काल में जो
घटना शायद कभी नहीं घटी वह 30 जनवरी 1948 को घटी l शान्ति के देवदूत और अहिंसा के पुजारी गांधी की हत्या कर दी गई l उनके देहावसान पर तब विनोबा ने कहा था हिन्दू धर्म में कहीं भी किसी
सत्पुरुष की हत्या नहीं हुई और वह भी ठीक ऐसे समय ढूंढ कर जब वे अपनी नित्य की
प्रार्थना करने निकले थे और प्रार्थना करने जा रहे थे। प्रार्थना की तैयारी मे थे
तब उनके चित्त में भगवान के सिवा दूसरा विचार नहीं था। प्रार्थना की जगह पहुँचते
ही उनकी गोली मारकर हत्या कर दी गई। गांधी जी के अंतिम दिनों मे अंतिम समय उनकी सेवा और सानिध्य में रही
मनुबेन ने इस घटना का वृतान्त अपनी डायरी मे लिखा है उस दिन बापू को दस मिनिट देर
हो गई थी... उसने मुझे इस तरह धक्का मारा की मेरे हाथ् से माला, पिकदानी और नोटबुक निचे गिर गयी,जब तक और चीज़ें
गिरी मै उस आदमी से जुझती रही लेकिन जब
माला भी गिर गयी तो उसे उठाने के लिए निचे झुकी इस बीच दन--दन...के बाद एक तीन
गोलिया दगी, अंधेरा छा गया
वातावरण धुमिल हो उठा और गगन भेदी आवाज हुई। हे-राम हे रा... कहते हुए बापू मानो पैदल ही छाती
खोलकर चले जा रहे थे वे हाथ जोडे हुये थे
और तत्काल वैसे ही जमीन पर गिर पडे । दूसरे दिन तत्कालिन हिन्दुस्तान स्टन्डर्ड
अखबार का मुख्य प्रुष्ट खाली था और उसमे इतना लिखा था "गांधी अपने ही लोगों
द्वारा मार दिये गये जिनकी मुक्ति के लिए वे जीये" हिंसा पाप है अधर्म है और
हे! राम का उच्चारण करने वाले महात्मा की हत्या तो महापाप ही नहीं रामतत्व की हत्या करने जैसा हैं। गांधी
सत्य के उपासक थे, ईश्वर
मे उनकी अटुट श्रद्धा थी , जीवन भर वे सत्य के साधक और सत्य
के आग्रही बने रहे, वे सत्य को ही ईश्वर मानते थे, सत्य को ही ईश्वर कहकर उन्होने ईश्वर तत्व को मानव सापेक्ष बना दिया था,
साध्य के लिए साधन की पवित्रता में उनका विश्वास था , कथनी और करनी मे एक रुपता उनके जीवन की विशेषता थी, सत्य
निष्ठ आचरण व अहिंसक सत्याग्रह से उन्होने देश को स्वाधिनता दिलाई और अपने नैतिक
जीवन मूल्यों और अहिंसक जीवन पद्धती से उन्होने देश व दुनिया को समग्र जीवन दर्शन भी दिया और इस रूप में गांधी
एक विचार और दर्शन के रुप में हमारे राष्ट्रीय जीवन के प्राण तत्व है। वे विश्व के
महात्मा है, देश के राष्ट्रपिता है और हमारे विचारों में,
हमारे ह्रदय में आज भी जीवित है। गांधी का अवसान कभी नहीं होगा और
उनके जैसा प्रत्यावर्तन भी किसी को प्राप्त नहीं होगा। वे आज भी अपने दैहिक स्वरुप
से अधिक विचार रुप में हमारे जीवन में गतिशील है और समुची मानव जाति के लिए
पथप्रदर्शक बने हुये है उनके निधन पर
अत्यंत दुखी होकर रुन्धे गले से राष्ट्र को सम्बोधित करते हुए नेहरू ने कहा था
"हमारे जीवन से वह प्रकाश चला गया, लेकिन शायद मै भुल
कर रहा हूं वह प्रकाश कोइ साधारण प्रकाश नहीं था वह हजारों हजारों साल तक भी इस
विश्व को प्रकाशित करता रहेगा क्योंकि वह जीते जागते सत्य की ज्योति थे l
गांधी विचारक -दिलीप
तायडे
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