बुधवार, 31 जनवरी 2024

गांधी जी की आत्मा और देश का हाल : अमिताभ शुक्ल


 गांधी जी की आत्मा और देश का हाल :

 * अमिताभ शुक्ल

 गांधी जी की आत्मा गांवों में बसा करती  थी ,

 वह गांव आज भी हैं शिक्षा और स्वास्थ्य की अच्छी व्यवस्था से दूर.

 स्वच्छ पेयजल और पोषण से वंचित हैं गांव ,

 फिर भी हम कहते हैं भारत महान .

 सद्भाव और बंधुत्व  भी दूर हुए अब ,

 बसना पड़ता है शहरों में रोटी ,रोजगार के लिए .

 बापू का सपना करोड़ों आंखों में आज भी है,

 जुम्मन और रामू में न कोई भेद भाव है.

 किस तरह इबारतें लिखी जाएंगी सच्चे लोकतंत्र की ,

 जब नीचे से ऊपर तक व्यापार हैं.

 वोट कितना सस्ता हुआ अब इस सदी में ,

 जब बिना वोट के भी सरकार हैं.

 खरबों के पुल ,सड़कें , रेल गाड़ियां और मेट्रो ,

 फिर भी नहीं रोजगार हैं.

 बापू तो देते रहते हैं संदेश ,

 लेकिन सीख के अभाव हैं.

 लोकराज , स्वराज और कितनी दूर हुए ,

 मापने के नहीं औजार हैं.

 शिक्षाओं का असर रह गया बहुत काम बाकी ,

 फिर भी बापू  कइयों के लिए रोजगार हैं .

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...