शनिवार, 13 जनवरी 2024

तलाश कब से है- अमिताभ शुक्ल कवि,लेखक और अर्थशास्त्री




प्रेम खुला हो ,

जो हो जाए,

कहीं भी ,

रहे हर समय ,

वक्त खराब न हो,

पाने ,खोने ,याद,

करने के लिए,

तलाश कब से है,

ऐसे प्रेम की

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...