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एम.असलम, टोंक
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राज्य
के पिछड़े जिलों में शुमार किए जाने वाले टोंक में कलाकारों की कोई कमी नहीं है।
इसबात को यहां के युवा कलाकार बखूबी साबित भी करते रहे हैं। चाहे परिस्थितियां
अनुकुल हो या ना हो। लेकिन युवा प्रतिभावान कलाकारों ने टोंक का नाम रोशन करने में
कोई कसर नहीं छोड़ी है। हाल ही में एक 21 वर्षीय कलाकार शादाब खान उपनाम शहंशाह
सूरी खान ने भी फिल्म के क्षेत्र में बड़ा काम कर डाला है। हम कह सकते हैं कि
एक्टिंग के जादूगर फिल्म अभिनेता इरफान खान के शहर में आज भी प्रतिभावान युवाओं की
कोई कमी नहीं है। हाल ही में टोंक के युवा कलाकारों ने इरफान खान के संघर्षमय जीवन
से प्रेरित होकर बड़े पर्दें की फिल्म बनाकर एक इतिहास ही रचने का कार्य कर दिया
है। जिसे दुनिया के एक बड़े फिल्म फेस्टिवल के रुप में अपने जगह बना रहे जयपुर
इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में 9 फरवरी 2024 को राजस्थान की चयनित टाप 8 फिल्म का
अवार्ड दिया गया है।
इस
फिल्म के निर्माण में जूनियर कलाकारों का हौसला, लगन, मेहनत ही है, बाकी तो इस
फिल्म को बनाने में महज 5 हजार रुपए ही लगे बताए जा रहे हैं। लेकिन जिले के लिए
बड़ी बात ये हैं कि 9 से13फरवरी में जयपुर में आयोजित होने वाले जयपुर इंटरनेशल
फिल्म फेस्टिवल जिसमें कई देशों की 329 फिल्मों का चयन हुआ है। इसमें फिल्म ईरीई ए
टेरर ऑफ जोम्बीं वायरस..भी शामिल है। जिसे अवार्ड मिला है।
युवा
कलाकार शादाब खान उपनाम शहंशाह सूरी खान ने ये फिल्म बनाई है। इसके डायरेक्टर, लीड हीरो, राइटर, प्रोड्यूसर, एडिटर 21 वर्षीय शहंशाह सूरी खान ही है।
इसमें कलाकार जूनियर कलाकार सोहेल सूरी, नाजिश खान, कासिम खान, नायब खान सूरी, अनुराधा
धुंडिया, बिट्टू वर्मा, आकिब खान,
अयाज खान, जवाद हबीब, सलमान
रशीद, गुफरान मलिक, जीतेंद्र वर्मा,
तुबा खान सूरी, रवि धानका, मोहम्मद अली कौसर, अंसार खान, फैसल
अंसारी, अकबर खान, शादाब खान, अप्पी चाचा, हस्सान खान, सुभान
खान आदि ने काम किया है। शहंशाह खान सूरी का कहना है कि ये फिल्म वायरस पर आधारित
है। इसमें एक वायरस तबाही मचा रहा है, तो उसको रोकने के लिए
भी वैक्सीन तैयार कर एक साइंटिस्ट बचाने का काम करता है। दोनों के बीच की जंग के
साथ ही इस फिल्म में एकता भाईचारे का संदेश व इंसानी लालच को भी दिखाया गया है। एक
सकारात्मक संदेश देने की कोशिश की है। जिसका चयन जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल
के लिए हुआ है।
फिल्म
बनाने की कैसे मिली प्रेरणा :
बचपन
से ही सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भाग लेने वाले शहंशाह सूरी खान का सपना था कि वो
इरफान खान के साथ भी काम करें। लेकिन उसको ये मौका तो नहीं मिल सका। लेकिन इरफान
की मृत्यु के बाद उसने फिल्म लाइन में जाने की ठानी। उसने रवींद्र मंच में एक्टिंग
सीखने के दौरान टिफिन सेंटर पर काम करके
अपना खर्च आदि की इंतज़ाम भी किया। एक दिन उसने बैठे-बैठे सोचा की अपने जैसे कलाकार
को बॉलीवुड में आसानी से रोल नहीं मिलेगा। ऐसे में उसने स्वयं ही फिल्म बनाने की
सोची। और इस में अपने साथियों का साथ लेकर वायरस पर आधारित फिल्म बना डाली।
आस्कर
जीतने का है सपना :
शहंशाह
खान सूरी का कहना है कि वो वैसे तो आस्कर जीतने का सपना देखता है। लेकिन उसका काम
अच्छी एवं बेहतर फिल्म का निर्माण करके, लोगों को रचानात्मक दिशा की ओर लाना है। अब तक वो कई धारावाहिक एवं कुछ
फिल्मों में भी छोटा-मोटा रोल कर चुका है। फिल्म अभिनेता शाहरुख खान की जवान फिल्म
में भी उसने फोटो ग्राफर का छोटा रोल किया है।
इरफान
खान से है काफी प्रभावित :
शहंशाह
सूरी खान का कहना है कि वो एक्टिंग की दुनिया में फिल्म अभिनेता इरफान खान से
प्रभावित होकर ही आया हैं। हालांकि वो इस क्षेत्र में अपनी एक्टिंग एवं अपनी अलग
ही पहचान कायम करना चाहता है। इसके लिए वो निरंतर प्रयास भी कर रहा है। साथ ही
उसका सपना है कि बाॅलीवुड टोंक की वादियों में भी शूटिंग करें। यहां के पर्यटन
क्षेत्र को भी फिल्मों के माध्यम से बढावा दिलाएं। जो फिल्म उसने बनाई है। वो टोंक
में बनी बड़े पर्दें की पहली फिल्म है, जो टोंक में ही फिल्माई गई है।
पहली
फिल्म के बारे में शहंशाह सूरी क्या कहते हैं :
शादाब
खान जिनको अब एसएसके शहंशाह सूरी खान के नाम से भी पहचान मिलने लगी है। सूरी खान
ने इसके बारे में बताया कि ईरीई ए टेरर ऑफ जोंबी वायरस उनकी पहली फिल्म है। जो
जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल के लिए चयनित हुई है। इसको टोंक, राजस्थान की अलग-अलग लोकेशन पर शूट किया गया है।
ये टोंक की पहला फीचर फिल्म है, जिसकी अवधि 2 घंटे 8 मिनट
है। वो एक साइंस फिक्शन और हॉरर थ्रिलर फिल्म है। ये फिल्म में हमने दिखाया कि एक
विज्ञान प्रयोग कैसे दुनिया के ख़तम होने का कारण बन जाता है या एक वायरस एक भयावह
ज़ोंबी वायरस पेंडमिक में तब्दिल हो जाता है...। इस फिल्म में इसबात को रोचक तरीक़े
से दिखाया गया है। और सूरी जो की फिल्म का हीरो है, वो देश
को बचाता है... उन अंग्रेज साइंटिस्ट से...। ये फिल्म जयपुर इंटरनेशनल फिल्म
फेस्टिवल के लिए सेलेक्ट हुई है। EERIE
A terror of zombie virus को अवार्ड भी मिला हैं। सूरी खान ने इससे
पूर्व हिंदी सीरियल या थिएटर शो या बॉलीवुड फिल्म में काम किया है। मंथन, जवान एटली की, द ग्रेट वेडिंग ऑफ मुन्नेस, हिट फर्स्ट केस, डर, खो गए हम
काहा जोया अख्तर की, मुंबई डायरीज़ सीजन 2, इसके अलावा रवींद्र मंच जयपुर से एक्टिंग सीखी है। उनके गुरु समीर राज थे।
जिनका कोरोना में इंतकाल हो गया। उन्होंने अभिनय, निर्देशन
सिखाया। मैँने थिएटर शो भी किया है। कोर्ट मार्शल जिसमें उनको सर्वश्रेष्ठ अभिनेता
का पुरस्कार मिला था। 2018 में रामचन्द्र में मुख्य भूमिका दी थी, और किसका हाथ, इन्साफ, भक्त
प्रल्हाद, पुतरा यागे, और मॉडलिंग शो
भी किया। अच्छे लेवल के, जिसमें वो फेम आइकन टोंक 2021 के
विजेता, मिस्टर इंडिया 2019 के चौथे रनर अप, या स्काई बैग वीआईपी, डिस्काउंट मास्टर, कदम शूज के लिए मॉडलिंग की है इसके अलावा वो, डांस,
मार्शल आर्ट, क्रिकेटर भी रुचि हैं। टोंक शहर
पर एक गाना भी बनाया है। विरासत टोंक आप उसे यूट्यूब पर सुन सकते हैं। इसके अलावा
नुक्कड़ नाटक, लघु फिल्में बनाई हैं। अपने स्कूल की पढ़ाई
रीजनल पब्लिक स्कूल से की। कॉलेज ग्रेजुएशन डॉ. अंबेडकर से की। बचपन से फिल्मों
में काम करने का जुनून रहा। अपना आइडियल गुरु इरफान खान को मानता हूं। जैसे इरफान
खान ने टोंक का नाम रोशन किया बॉलीवुड, हॉलीवुड में वैसे वो
भी करना चाहता है। इरीई ए टेरर ऑफ जॉम्बी वायरस फिल्म 365 दिनों की कड़ी मेहनत,
समर्पण और बलिदान का ही परिणाम है। जोंबी वायरस का भयानक आतंक,
ये मेरी पहली फीचर फिल्म है। जो मैंने एक निर्देशक, लेखक, निर्माता संपादक के रूप में पूरी की है। इस
फिल्म में हमारे टोंक के कलाकारों ने बहुत अच्छा परफॉर्म किया। जब में कहानी लिख
रहा था, जब मैंने सोचा नहीं था। इसका बजट कहां से आएगा।
फिल्म कैसे बनेगी, बस मैंने बिना सोचे समझे काम चालू कर
दिया। ये फिल्म का बजट लाखों में नहीं है, ये फिल्म 5000
रुपए के बजट में बनी हैं। देखा जाए तो ये फिल्म मेरी टीम की मेहनत, समर्पण या कड़ी मेहनत से बनी है मैंने क्या कुछ नहीं किया फिल्म बनाने के
लिए चाय की दुकान पे काम किया। टिफिन डिलीवरी बॉय बना। सैलून में नौकरी की। फिल्म
बनाना सीखने के लिए मैंने फिल्मों में बैकग्राउंड एक्टर, काम
किया। वहा जाकर में बहुत कुछ सिखा फिल्म इंडस्ट्री को जाना समझा मैंने कैसे फिल्म
बनाई जाती है। फिल्म में क्या-क्या इक्विपमेंट का इस्तेमाल होता है। डिपार्टमेंट
किया होते हैं। फिर मैंने कुछ पैसे जामा किए। और फिल्म का काम शुरू किया। हमारे
पास इतनी सुविधा भी नहीं थी कि हम लोग शूट लोकेशन पे पहुंच सके। गाड़ी से हम
ई-रिक्क्षा से जाते हर जगह टोंक की अलग-अलग लोकेशन पे शूट किया। हमने हमारे पास
फाइट सीन में सेफ्टी इक्विपमेंट्स नहीं थे। हमने सब फाइट रियलिस्टिक की। मैं बहुत
घायल हुआ। पर मैं रुका नहीं, इस फिल्म की शूटिंग हमने 7
दिनों में पूरी कर ली थी। इस फिल्म की एडिटिंग के लिए 1 लाख रुपए मांगे गए,
लेकिन मेरे पास पैसे नहीं थे, लेकिन मैंने एक
मोबाइल फोन लिया जिसका प्रोसेसर अच्छा था। उसमें ही मैंने फिल्म की एडिटिंग की।
बहुत रिस्क लेकर एडिट हुई फिल्म फोन में एक बार डिलीट हो गई थी। फोन हैंग हो गया।
मैं बहुत डिप्रेस्ड हुआ। पर मैंने कुछ दिन इंतजार करके वापस काम शुरू किया। मैंने
सब काम छोड़ दिया शूट्स जाना बंद कर दिया। और घर पे बैठ गया। बस, अपना पूरा फोकस एडिटिंग में लगा दिया। मेरी दाढ़ी और बाल इतने बड़े हो गए।
घर की हालत भी ठीक नहीं थी। मजबूरी में मुझे फोटोग्राफी करनी पड़ी शादियों में
अपने दिल मारके में कहीं नहीं जाता था। एक-एक पैसा बचाया या ये फिल्म फाइनली मैंने
हिम्मत करके जिफ यानी जयपुर इंटरनेशनल फिल्म फेस्टिवल में भेज दी और वो सेलेक्ट
हुई मैं अब बहुत खुश हूं। अब मेरा सपना है कि में ऑस्कर जीतू।
कौन है
शहंशाह सूरी खान :
राजस्थान
टोंक की एक नामवर शख्सियत रहे एजाज अहमद खान सूरी जो मैयो कॉलेज सहित कई जगह
अंग्रेजी के शिक्षक रहे तथा तारीखे टोंक पुस्तक के लेखक भी रहे। जिनका नाम देश के
विद्वानों में शुमार रहा है। उनके पौत्र हैं शहंशाह सूरी खान। उनका घराना शिक्षित
होने के साथ ही शहर का नामवर परिवार हैं। 21 वर्षीय शादाब खान उपनाम शहंशाह सूरी
खान पुत्र खुर्शीद सूरी, जो घंटाघर के
समीप रहते हैं। वो थियेटर कलाकार होने के साथ ही अब फिल्मी दुनिया में भी अपनी
पहचान बनाने लगे हैं।
सूरी
खान ने बताया कि प्राचीन रहस्यों का जिला टोंक, पुस्तक में टोंक में पैदा हुए दुनिया के बड़े शायर अख्तर शीरानी के बारे
में पढ़ा, अब उन पर भी फिल्म बनाने की कोशिश की जाएगी।
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