ज़मीन का चेहरा
बात पुरानी हो गई
जब बताया जाता था
ज़मीन का चेहरा
सूखा पड़ने पर कैसा हो जाता है
सारी नर्मी सूख जाती है
और ज़मीन पर बनती
आड़ी तिरछी रेखाएँ दटारों की शक्ल ले लेती हैं
आज
ज़मीन से जुड़े आदमी के चेहरे पर
ठहर गयी मेरी नज़र
पलट कर आईना देखा
उसका चेहरा अपना चेहरा
गडमड एक हो गये
समझ गया
अकाल
अब ज़मीन पर नहीं
आदमी के चेहरे पर है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें