युवा सोच और संकल्प के साथ कदम बढ़ाते हुए चलें
विवेक कुमार मिश्र
युवा मन को समझाने के लिए आपके पास तर्क , वैज्ञानिकता और चेतना के साथ-साथ सत्य के प्रति
निष्ठा का आग्रह होना आवश्यक होता है । कोई भी युवा क्यों न हो यदि वह युवा मन
चेतना का प्राणी है तो किसी भी तथ्य को तभी स्वीकार करेगा जब उस पर तर्क कर चुका
हो और उसे तर्क की कसौटी पर कस चुका हो । तो उसे सत्य को स्वीकार करने में कोई
दिक्कत नहीं होती । वह इस संदर्भ और सत्य तथ्य को स्वीकार करता है जिसे उसका मन
मान चुका होता है । युवा मन चैलेंज के सात अविष्कारी होता है । वह किसी न किसी
आविष्कार में लगा होता है । उसकी आंखें इस संसार के साथ सामंजस्य बिठाने में नित्य
नया कुछ खोजने के लिए तैयार होती हैं । उसका सोचना इस तरह शुरू होता है कि यह जो
संसार है इसमें मैं कहां हूं ? मैं क्या कर रहा हूं ? और मैं क्या कर सकता हूं ?
जब इस तरह सोचते हुए वह आगे बढ़ता है और समाज के लिए कुछ नया लेकर
आता है तो वह तकनीकी तौर पर युवा वैज्ञानिक ही होता है । और ऐसे मन मस्तिष्क को हम
कुछ और नहीं तो युवा वैज्ञानिक का सम्मान दे सकते हैं । यह टूल के क्षेत्र से लेकर
सामाजिक संबंधों की बदलती गति और विचारों के संसार में आ रहे तेज परिवर्तन की
दिशाओं में एक साथ देखा जा सकता है ।
यह सारा बदलाव कोई और नहीं हमारा युवा मन मस्तिष्क कर रहा है । आज
कोई माने या न माने पर देर सबेर सबको मानना ही होगा । इसीलिए युवा पीढ़ी से यह
बड़ा आग्रह है कि वह अपने सपनों पर न केवल चलें बल्कि अपने सपनों की प्राप्ति तक
उसका पीछा करते हुए चलें । तभी सफलता और सार्थकता के साथ नई खोज नई वैज्ञानिकता व
नई सोच को आकार और रंग मिलेगा । तथा इसी रूप में हम समाज को नई बातें नए संदर्भ
तथा नए मैसेज दे पाएंगे ।
युवा सोच के साथी हम आगे बढ़ सकते हैं । कुछ नया सोच और सोच भर
नहीं सोचे गए कार्य को पूरा करने का संकल्प लें । उस दिशा में कार्य करें कोई
कार्य संभव नहीं है जिसे आप कर नहीं सकते । बस शुरुआत करने की देरी है । जब आप
कार्य की शुरुआत करते हैं तो वह क्षण आपके पास होता है जो उस कार्य के प्रति अपनी
पूरी शक्ति लगा देता है । इस तरह कार्य करना शुरू करते हैं और कार्य पूरा होते ही
एक आत्मिक संतोष और खुशी होती है । यह खुशी ही हमारे मन मस्तिष्क को स्वस्थ रखती
है । कभी भी पीछे रहने या पीछे रह जाने के बारे में न सोचें । बस आज और अभी से
शुरुआत कर आगे बढ़ने के बारे में सोचें । रुकें नहीं अपनी गति बनाकर चलते रहें ।
अपने समान लोगों के साथ उठ बैठे चलें ।
सबसे पहले यह जानना जरूरी होता है कि हमारे आसपास ऐसा कौन है जो
नकारात्मक सोच रखता है । हमारे आसपास ऐसा कौन है जो हर कार्य में कमी निकालना शुरू
करता है या शुरू में ही या कह देता है मुझसे यह कार्य नहीं हो सकता । इस कार्य में
इतनी जटिलता है । ऐसे लोगों से दूर से ही किनारा करते हुए अपने साहस और संकल्प के
साथ चलना शुरू करने की जरूरत है । जब भी कुछ करने के लिए चलते हैं तो स्वाभाविक रूप से विघ्न बाधाएं आयेंगी पर आपको
रुकना नहीं है । आपको लगातार अपने पथ पर चलना है । तय मानिए एक दिन आपको सफलता
मिलेगी ।
अपनी युवा सोच और संकल्प के साथ कदम बढ़ाते हुए चलें । एक जगह
रुकें नहीं । कोई भी अंतिम रास्ता नहीं है । हर रास्ते से एक नया रास्ता फूटता है
। यह सोच ही हमें आगे बढ़ाती है । हार जाने , रुक
जाने या यूं ही बैठे रहने के लिए हम नहीं बने हैं । हमें कुछ करना है और कुछ नया व
अपूर्व करना है । इस पथ पर जो भी मुश्किलें हैं , जो भी
कठिनाइयां हैं उनका मुकाबला करते हुए ही आगे बढ़ना है । जब यह सोचकर चलते हैं तो
तय मानिए कि सफलता और लक्ष्य आपकी मुठ्ठी में होते हैं । यह सब युवा सोच व युवा
जज्बा का ही दाय है - इसे संभालकर रखना चाहिए ।
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बारां रोड - 324002
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