बड़े शहरों में पढ़ने को जाती
बेटियों से
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सुनों लड़कियों !!
अपने पिता की एक तस्वीर
हमेशा अपने पास रखना
जिसने तुम्हें स्वप्न दिखाया
स्वप्नों खातिर हौसला बढ़ाया
स्वप्नों को हासिल करने खातिर
दहलीज पार कराई
ताकि हो सको तुम शिक्षित
ताकि कर सको हासिल अपने हिस्से का
आकाश
इसलिए हे लड़कियों !
रहें हमेशा
याद तुम्हें
जरूर रखना एक तस्वीर पिता की पास
अपने ।
सुनों लड़कियों !!
खाकर रोटी आधी
तुम्हें दिया पेट भर भोजन
सालो-साल रहे पुराने वस्त्रों में
पर तुम्हें पहनाते रहे नये- नये
हरदम
जब तुम सोती थी
तब तुम्हारे मुखमण्डल पर रंचमात्र
भी रेखाएं ना दिखे चिंता की
न जाने कितनी रातें जागकर काटी है
तुम्हें आभास भी नहीं
तुम जानती हो कि उनके पास नहीं है
कोई ऊंची पहुँच
ना ही है धन अपार
भेजते हैं तो वे अपनी मेहनत के ही
बल पर
इसलिए हे लड़कियों!!
रहें हमेशा याद तुम्हें
जरूर रखना एक तस्वीर पिता की पास
अपने।
सहज भाव और मृदुल- मुस्कान के साथ
भेजने वाले पिता की आँखों से जैसे
ही होती ओझल बस तुम्हारी
टूट पडते है बांध आँसुओं के।
लाख परेशानियों से जूझते रहे हर रोज
पर तुम्हारे लिए खुशियों के जुगनुओं
को सहेजते रहे हमेशा
उनकी आँखों में पल रहे स्वप्नों को
तुम ही करोगी साकार
ऐसा है उनका विश्वास
बनोगी उनके अकेलेपन की साथी
उनके बुढ़ापे की लाठी
पाल रखी है ऐसी आस
पिता के त्याग को,
उनके अथक परिश्रम को,
उनकी अनगिनत तकलीफों को
तुम भूलना नहीं
इसलिए हे लड़कियों
!
रहें हमेशा याद तुम्हें
जरूर रखना तस्वीर पिता की पास अपने।
सुनों लड़कियों !
खेतो में खटकर,
रिक्शा खींचकर,
गिट्टी-पत्थर तोड़कर,
जूते-चप्पल सिलकर,
बोझा ढोकर,
ईंट की भट्टी में ईंट से कही अधिक
तपकर,
सर्द रातों में जगकर,
भीषण गर्मी में झुलसकर,
भूखा सोकर
उन्होंने तुम्हें सींचा है
पाई- पाई जोड़कर
तुम्हारे देखे सपने को जीवन दिया है
बहुत कुछ सहकर तुम्हें शहर
भेजा है
इसलिए हे लड़कियों !
रहे हमेशा याद तुम्हें
जरूर रखना एक तस्वीर पिता की पास
अपने।
1 टिप्पणी:
बहुत शानदार कविता है इंदु जी की
स्त्री विमर्श और स्त्रीत्व की चेतना तभी जागृत हो सकती है जब बेटियां परिवारों के दायित्व और पिता के सपनो को सामने रखते हुए अपने अधिकारों की आवाज को स्वर दें|
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