सोमवार, 8 जनवरी 2024

आदमीनामा- डॉ.पुष्पिता अवस्थी नीदरलैंड

                                                                  डॉ.पुष्पिता अवस्थी 
                                                             प्रोफेसर,लेखिका और कवयित्री 
                                                                            नीदरलैंड

आदमीनामा

मेरी आंखे

तुम्हारी दृष्टि पहनकर

घूमती है - विश्व में

निर्भयता की अहिंसक

शक्ल होकर।

मेरे ओंठ

तुम्हारे आंठो की ताकत से

बोलते हैं - दुनिया में

दुनिया बचाने के सच्चे शब्द  - मरी हुई खामोशी

के विरोध में

मसिहाई आदमी के

बगलगीर खड़े होकर

बनाते हे - आदमी का पक्ष

एक बोलता हुआ

आदमीनामा

आदमी की तरह

अपने चले जाने के बाद भी

तुम चलते हो मेरे भीतर

मुझे चलाने के लिए

दुनिया  के साजिशो के विरुद्ध -

ताकत रचाने के लिए.


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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...