डॉ.पुष्पिता अवस्थी
प्रोफेसर,लेखिका और कवयित्री
नीदरलैंड
आदमीनामा
मेरी आंखे
तुम्हारी दृष्टि पहनकर
घूमती है - विश्व में
निर्भयता की अहिंसक
शक्ल होकर।
मेरे ओंठ
तुम्हारे आंठो की ताकत से
बोलते हैं - दुनिया में
दुनिया बचाने के सच्चे शब्द
- मरी हुई खामोशी
के विरोध में
मसिहाई आदमी के
बगलगीर खड़े होकर
बनाते हे - आदमी का पक्ष
एक बोलता हुआ
आदमीनामा
आदमी की तरह
अपने चले जाने के बाद भी
तुम चलते हो मेरे भीतर
मुझे चलाने के लिए
दुनिया के साजिशो के
विरुद्ध -
ताकत रचाने के लिए.
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