मंगलवार, 9 जनवरी 2024

मातृभाषा-भानु प्रकाश रघुवंशी

भानु प्रकाश रघुवंशी

              

 |मातृभाषा||

 जन्म लेने के बाद

जब पहली बार आंखें खुली

तो माॅं को ही देखा,

मैंने रोना शुरू कर दिया

 

तब मेरी कोई भाषा नहीं थी

रोने और हॅंसने की कोई भाषा नहीं होती

न भाषा की जरूरत होती है

रोने या हॅंसने के लिए

 

मुझे भाषा का ज्ञान माॅं ने दिया,

सबसे पहले माथा चूमा

वह स्पर्श की भाषा थी

 

फिर अपने होंठों पर उॅंगली रखकर

दाॅंए बाॅंए सिर हिलाते हुए

चुप हो जाने का इशारा किया

मैं न समझा

इस सांकेतिक भाषा में, माॅं की बात

 

फिर एक वर्ण '' कहा उसने

फिर कहा

न रे,न रे,न रे न न

माॅं ने इसी भाषा से गुदगुदाया था

पहली बार मुझे

 यह मेरी माॅं की भाषा है

यही मेरी मातृ भाषा है।

 

              

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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