सोमवार, 8 जनवरी 2024

रिमझिम रिमझिम उस मौसम की -*गीत* - फ़रीद टौंकी *गीत*


                                                                   फ़रीद टौंकी
                                  *गीत*

रिमझिम रिमझिम उस मौसम की, झिलमिल याद

सूने सूने मेरे मन को, आके करे आबाद

मन को आके करे आबाद

याद है तेरा प्यार से कहना,आओ यहां तो आओ

हां जाओ किनारे नदिया के, काग़ज़ की नाव बहाओ

पार उतरी तो प्रेम सफल है, डूबी तो बर्बाद

मन को आके करे आबाद

सीले सीले तन पर कपड़े , मनभावन आकार

दहके दहके से वो चुंबन, मनमोहक उपहार

गीले गीले कैश की ठंडक,मन को करे थी शाद

मन को आके करे आबाद

बाली उम,र और धानी चुंदरी,कजरारी आंखें

गांव के कुछ अलबेले छैले, मुड़ मुड़ कर झांकें

देख के तेरी बांकी अदाएं, उनका देना दाद

मन को आके करे आबाद

कोयल कूके नाचे मयूरा, छेड़े पपीहा ‌ राग

बरखा बरसे प्रेमी तरसें,भड़के मिलन की आग

लैकिन ये जग तो है बैरी,कौन सुने फ़रियाद

मन को आके करे आबाद

___फ़रीद टौंकी

 


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