रविवार, 14 जनवरी 2024

मुसोलिनी- हूबनाथ पांडे


 

मुसोलिनी

  

अपने समय का

सबसे महान

राष्ट्रभक्त मुसोलिनी

 इतना महान

कि वह स्वयं

राष्ट्र बन गया

राष्ट्र का अपमान

मुसोलिनी का अपमान

मुसोलिनी का अपमान

राष्ट्र का अपमान

 ऐसा पहली बार हुआ

किसी नेता ने

राष्ट्र का सर्वोच्च शिखर छुआ

 राष्ट्र बन जाने के बाद

मुसोलिनी ने ढूंँढ़े

राष्ट्रद्रोही

उन्हें सज़ा-ए-मौत दी

 फिर एक दिन

राष्ट्र को अहसास हुआ

कि एक व्यक्ति

कैसे पूरा राष्ट्र हो सकता है

 उसके बाद की कथा

इतिहास में दर्ज है

व्यक्ति का राष्ट्र होना

एक राष्ट्रीय मर्ज़ है

 जिसका इलाज

जितनी देर से होगा

राष्ट्र उतने दिन बीमार रहेगा

 अब यह राष्ट्र को तै करना है

कि राष्ट्रीय मर्ज़ को

कितने दिन तक सहना है

 

 

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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