गुरुवार, 18 जनवरी 2024

पुस्तक: वर्जित इच्छाओं की सड़क लेखिका: अनुराधा ओस, समीक्षा मेवाराम गुर्जर


 #समीक्षा

पुस्तक: वर्जित इच्छाओं की सड़क

लेखिका: अनुराधा ओस

प्रकाशक: बोधि प्रकाशन जयपुर

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 उत्तर प्रदेश के मिर्जापुर जनपद में जन्मी अनुराधा ओस हिंदी साहित्य पटल पर स्वयं एक सशक्त हस्ताक्षर है। देश की  प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में कविताओं के प्रकाशन के साथ-साथ परिवर्तन साहित्य मंच पर भी सक्रिय हैं। 

'वर्जित इच्छाओं की सड़क' यह शीर्षक ही अपने आप मे एक पूरी कहानी कहता है। शाब्दिक और वैचारिक परिपक्वता की दृष्टि से अनुराधा ओस का रचना कार्य हिंदी साहित्य मे अपना विशिष्ट स्थान रखता है।इनकी रचनाओ मे एक सरलता है, सुगमता है, प्रवाह है जो पाठक को अपनी और खींचता है। शुरू से अंत तक पाठक को बांधे रखती हैं। अनुराधा ओस की कविताओं में जितनी सरलता है उतना ही भाव गंभीरता है।

 अनुराधा ओस की कविताएं ह्रदय की गहराइयों को स्पर्श कर जाती है। कविताओं का अपने उत्कृष्ट शिल्प, अपनी मधुर भाषा शैली और अपने रचना कर्म द्वारा सुधि पाठकों का ध्यान अपनी तरफ आकर्षित करना अनुराधा ओस के लेखन की विशेषता है। अनुराधा स्वयं एक स्त्री है तो यह बात साफ जाहिर है की स्त्री मन की भावना और स्त्री मन की पीड़ाओ को बहुत करीब से देखा है। और वो अनुभव कही न कही इनके शब्दों में झलकता हैं।

अनुराधा ओस ने विविध विषयों पर अपनी कलम बखूबी चलाई है। कविताओं में स्त्री की पीड़ा, पुरुष का दर्द, बचपन की सुनहरी यादें, चारों तरफ फैली अशांति और अन्याय, प्रेम, प्रकृति, पहाड़, नदी, समंदर इन सब की खूब बात हुई है।

अनुराधा ओस ने अपनी कविताओं में कहीं-कहीं पर कुछ क्षेत्रीय, देशज और अंग्रेजी शब्दों का भी सुंदर तरीके से प्रयोग किया है। एक लेखक का लिखना तब ज्यादा सार्थक हो जाता है जब उसका रचना कार्य एक आम पाठक भी रुचि से पढ़ें तथा उसके समझ में आए और इस दृष्टि से अनुराधा ओस अपने इस कार्य में सफल हुई है।

 एक किसान की पीड़ा को उजागर करती हुई एक स्थान पर लिखती है. ....

'उधर एक किसान

सर्द रात में दांत कितकीटाते बना रहा रास्ता

पानी को खेत से मिलाने के लिए।

खोद रहा है जमीन का

वो टुकडा जहां उसने कुछ अच्छे दिन

छुपा दिए थे।

 

स्त्रियों की पीड़ा के लिए.........

 

'जो औरते

छिली हुई हथेलियों से

सहला रही है

अपनी ही पीठ

उन्हे समय की आंच सिन्झाती है।'

 

अनुराधा ओस की कविताएँ अपनी सहजता के लिए पाठक के लिए प्रिय है। अनुराधा ओस बेहद सुंदर तरीके से अपनी बात कहने का हुनर रखती है। कम शब्दों में वो पूरी बात कह देती हैं जो कहना चाहती है।

 हिंदी काव्य प्रेमियों को यह अमूल्य निधि सौंपने करने के लिए अनुराधा ओस को बहुत बहुत बधाई और शुभकामनाएं।

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...