नदी से नाता
पानी दो
किनारों के बीच से बहता हुआ गुजरता है
निर्विध्न रास्ते में आई सारी रुकावटों को आगे धकेलते
और धवस्त करते हुए अपने आप को ताज़ा और शीतल बनाये हुए
विनाश को
रोकने की पूरी कोशिश में
पानी को
मालूम है उसका थक कर किसी जगह रुक कर बैठ जाना
प्रलय को
आमंत्रण है एक नए और अस्वस्थ प्रलय का जिसका चेहरा
हमने अभी तक देखा नहीं है | पानी रुकना नहीं चाहता |
नदी बहते हुए चलती है|
एक नयी
सभ्यता जन्म लेती है पानी के दोनों तरफ़
गहरी रात
में बहते पानी के धार में से सुरीले संगीत गाती नदी को
अपनी नींद
में भी महसूस कर सकता हूँ
नदी का
गाना सदियों पुराना है एक ही गीत को नदी हर पल हर रोज़ नहीं
गाती है
संगीत नदी के नए पानी के साथ ही नया हो जाता है
हर रात
मैंने रात के गहराने का इंतज़ार किया है
हर रात
मैंने नदी में नए पानी के आने का इंतज़ार किया है
चांदनी
में नए पानी की चमक को देखने का इंतज़ार किया है
और संगीत
की नई स्वरलिपि को साफ़ साफ़ सुना है
मेरे पुरखों
के आने के पहले से नदी गाती हुई चली आ रही है
नदी के
संगीत से पैदा हुए होंगे एक स्त्री और एक पुरुष
इसी नदी
के तट पर मेरे पुरखे एक के बाद एक आते गए होंगे
नदी के
संगीत पर थिरकते और अपने जीवन को
नदी की
तरह सरल और मानवीय बनाये रखते हुए
हम सरल
कहाँ रह गए एक दिन हम नदी से चालीस किलोमीटर दूर हुए
और हमने
लिखा नदी हमसे चालीस किलोमीटर दूर चली गयी
फिर हमने
नदी से एक हज़ार किलोमीटर दूर अपना आशियाना बनाया
और कहा
नदी हमसे
बहुत दूर चली गयी उसका पानी गन्दा हो गया उसमें तैरना असंभव हो गया
उसकी काया
नाले सरीखी हो गयी नदी से हमने धीरे धीरे
संबंध-विच्छेद कर लिया नदी की आवाज़ें हम तक आनी बंद हो गयीं
संबंधों
का विरोधाभाष देखिये कि जल हमारा जीवन है क्योंकि नदी में पानी है और
उसी पानी
से हम अपनी दिनचर्या शुरू करते हैं|
नदी जब
उफन कर हमारे घरों में घुस जाती तो
हम यही
समझते नदी हमसे क्रोधित है
चन्द्रमा
और तारे हमसे नाराज़ हैं असहमत हैं
हमें तब
कहां पता था कि बर्फ पिघलती है तो नदी उफन जाती
है
एक नया
रहस्य हमने समझा बर्फ के पिघलने और नदी के उफनने के संबंध में
नदी के
पानी में पुरखों की राख है अधजली रह गई हड्डियां हैं
पानी पर
उनके हाथ और पैर के छापे हैं
नदी के
संगीत में उनके दुख का राग है
नदी अब
उदास रहती है
उसके संगीत
की जरुरत किसी को नहीं है
रात भर
राष्ट्रीय राजमार्ग पर घरघराती ट्रकों की आवाजाही
फिसलता
हुआ ब्रेक, अटकता हुआ गीयर और रौद्र रूप धारण करता एक्सेलरेटर
और उनके
बीच कभी नहीं बैठने वाला तालमेल
हॉर्न और
गति की आवाज़ें नदी के संगीत के लय को प्राणहीन कर देती
हैं
चांदनी
की उसकी आदिम तीव्रता को जिसमें लोग अपने लीकों को देखते थे
खंभे से
लटकते हुए बिजली के बल्ब की पीली रोशनी ने ग्रस
लिया है
नदी आज
भी गाती है खामोशी का गीत
नदी जो
अपने किनारों को नमीदार छायादार बनाये रखती
आज उदास
है अपने किनारों को पत्थरों में तब्दील होते हुए देख कर
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें