बुधवार, 17 जनवरी 2024

बेटियाॅं!- निमिषा सिंघल

 

बेटियाॅं!

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गाय समझ दान दे दी जाती हैं,

गाय की तरह किसी खूॅंटे से बाॅंध दी जाती है।

दान देकर पराया मान लिया जाता है,

उनका अस्तित्व

नकार दिया जाता है।

उनका कमरा उनका स्थान अब उनका नहीं रहता,

छीन लिया जाता है।

रोती बिटिया के साथ रोकर

विदा कर दिया जाता है।

नए घर में अनजान लोगों और

नयी परिस्थितियों के बीच

मान सम्मान का पल्लू सॅंभालती,

कहीं किसी को बुरा न लग जाए, 

पहले की तरह मुखर नहीं रह पाती।

हर कदम फूंक-फूंक कर आगे बढ़ाती फिर भी कमियों का पर्याय बन जाती है।

जहाॅं 

अब तक हर कदम उत्साह जनक बातों से घर के लोगों के प्रोत्साहन से उसे आगे बढ़ाता गया वही निराशाजनक बातों और आलोचनाओं सें घेर 

परंपराऐं रीति रिवाज

 थोप दिए जाते हैं।

संस्कारों के नाम पर

पॅंख काट दिए जाते हैं।

उड़ना मना है उन्हें।

2 टिप्‍पणियां:

Nimisha Singhal ने कहा…

बहुत बहुत आभार 🙏

Nimisha Singhal ने कहा…

बेहद आभारी🙏

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...