मंगलवार, 16 जनवरी 2024

प्रो. पुष्पिता अवस्थी को "विश्व नागरी रत्न" का सम्मान ।


 

हिंदी यूनिवर्स फाउंडेशन की अध्यक्ष और हिंदी भाषा की प्रख्यात साहित्यकार , भाषाविद तथा स्वाधीन भारत की वैचारिक चिंतक प्रो. पुष्पिता अवस्थी को पराधीन भारत के समय देश की स्वतंत्रता निमित्त देवरिया में स्थापित १९१५ की नागरी प्रचारणी सभा द्वारा "विश्व नागरी सम्मान" से गांधी सभागार में सम्मानित किया गया। उनके २५ वर्षो के विदेश प्रवास के दौरान लिखी गई

७८ पुस्तको के संदर्भ के साथ उनके कृतित्व पर विद्वानों ने चर्चा की और कवियों ने अपनी कविताओं के पाठ द्वारा रचनात्मक अभिनंदन किया। प्रो  पुष्पिता अवस्थी की आउट लुक, नया ज्ञानोदय और वागर्थ जैसी पत्रिका ओ में प्रकाशित समीक्षा का उल्लेख करते हुए आलोचकों ने रचनात्मक

समीक्षा की।   इसी अवसर पर प्रो. पुस्पिता ने प्रचारिणी सभा के मंत्री डा.अनिल कुमार त्रिपाठीजी, संयुक्त मंत्री

डा. सौरभ श्रीवास्तव जी को चाचा चौधरी, गुलशन नंदा, और ओशो चर्चित पुस्तको के प्रकाशक डायमंड की ओर से प्रकाशित अपनी सात पुस्तको के

चार सेट भेंट किए । हिंदी साहित्य और भारत की मनीषा तथा  चिंतन परंपरा के प्रकाशन के लिए समर्पित  डायमंड के मालिक श्री नरेंद्र वर्मा जी को हार्दिक धन्यवाद देते हुए दो  दो प्रतियां पुस्तकालय केलिए अन्य शेष वहां के विद्वानों के लिए सभा को प्रदान की।

 प्रो. पुष्पिता  ने देव और देवरहा बाबा की भूमि को

नमन से पूर्व विश्व के बौद्ध  साधकों की तीर्थ स्थली कुशी नगर की परिक्रमा की। शयन की मुद्रा के गोतम  बुद्ध जी  की अर्चना की।संतरी रंग की चादर ओढ़कर गौतम  बुद्ध का अभिनंदन किया साथ ही दो बस में आए कोरिया के बौद्ध भक्तो से मुलाकात की।

 

देवरिया की धरती से उद्भूत

देवरिया देवी की पूजा की।

 बालाजी के दर्शन कर वहां के महंत गुरु जी से आशीष प्रसाद लिया।

कार्यक्रम की विशिष्ट अतिथि मेयर श्रीमती अलका सिंह जी ने काशी के जे.कृष्णमूर्ति शिक्षण संस्था  की अपनी शिक्षा का उल्लेख करते हुए उसी

संस्थान से शिक्षित प्रो. पुष्पिता जी को अपने गुरु के रूप में अभिनंदन किया

और विश्व नागरी रत्न प्रदान करने के अवसर पर उपस्थित होकर गोरवान्वित अनुभव किया।

कोई टिप्पणी नहीं:

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...