विश्व के सर्वाधिक प्रतिष्ठित
जन नेता महात्मा गांधी
अमिताभ शुक्ल
महात्मा गांधी संपूर्ण
विश्व में माने जाने वाले जन नायक हैं.
किसी धर्म , संप्रदाय , राजनेतिक दल ,
सत्ता ,पद की स्थापना किए बिना उनके अतिरिक्त
इतनी अधिक ख्याति और मान्यता का दूसरा उदाहरण दुर्लभ है. इस लिए यह कहा गया कि,
सदियां उन्हें स्मरण करेंगी कि ," हाड़
मांस का बना कोई ऐसा भी मनुष्य हुआ था
". गीता ताई पवनार आश्रम में रहने वालीं गीता की प्रकांड भास्यकार , विदुषी और देश भर में लोकप्रिय समाजसेवी थीं. उनसे एक बार वार्तालाप के दौरान मैंने जिज्ञासा प्रगट की थी कि,
गांधी जी कौन थे ? उनका उत्तर था कि,
"गांधी जी विष्णु के १२ वें अवतार थे ".
विगत दिनों एक अन्य विदुषी के द्वारा भी इस कथन को उनके वक्तव्य
में मैने पढ़ा .यह विचार आध्यात्मिक मान्यताओं में विश्वास रखने वाले विद्वत जनों
का है.
भारत के सामान्य जनों के लिए वह " बापू " थे . आधी धोती
शरीर पर लपेटे हुए बापू के आव्हान पर करोड़ पति धनाढ्यों ने अकूत जमीनें दान कर
दीं थीं तो भारी भीड़ भरी जनसभाओं में और यत्र , तत्र
धनाढ्य और सामान्य आर्थिक स्थिति की गृहिणी महिलाएं अपने जेवर न्योछावर कर दिया
करती थीं.
जिनका उपयोग स्वतंत्रता के आंदोलनों , समाज के कमजोर वर्गों , स्त्रियों , बालकों की शिक्षा के लिए आश्रमों और संस्थाओं की स्थापना में किया जाता
था.ठक्कर बापा , जमना लाल बजाज , क्रिलोस्कर
सहित लंबी सूची थी गांधी जी के भक्त कुबेर पतियों की .
गांधी जी की वेष भूषा के कारण ही उन्हें " नंगा फकीर "
तक कहा जाता था .
गांधी जी रहस्यमयी भी थे
. अन्यथा , केवल विचारों के आधार पर सत्य , अहिंसा ,शांति , सर्व धर्म
समभाव , मित्वययिता,अछूतों की सेवा
जैसी शिक्षाओं को ( जिनका कड़ाई से
उन्होंने स्वयं पालन किया ) वैश्विक स्तर पर इतनी मान्यता कैसे प्राप्त होती ?
भारत के स्वतंत्रता संग्राम में अनूठी भूमिका निभाने वाले गांधी
आजादी प्राप्त होने के बाद भी एक दिन भी शांत और निष्क्रिय नहीं रहे . जश्न मनाते
देश में वह नोआखली के दंगों से उत्पन विषम स्थितियों में वहां थे , उपवास पर थे और देश भर में शांति और सद्भाव स्थापना के लिए कार्य करते
रहे.
स्वतंत्रता के बाद छह माह भी शारीरिक रूप से उपस्थित न रहे.
और इस कारण यह देश , यहां का
जनतंत्र , सत्ता की मशीनरी भी गांधी जी के विचारों के अनुरूप
न बन सकी. लेकिन , लंबे समय तक आर्थिक नीतियों पर उनकी छाप
निर्धनों , कमजोर वर्गों , स्त्रियों
के लिए संजीवनी की भूमिका निभाती रही.
वर्ष १९२० / १९३० से अफ्रीका से प्रारंभ उनका संघर्ष एक शताब्दी
पस्चात भी विश्व में अहिंसा , शांति , सामाजिक सद्भाव और सर्व धर्म सद्भाव के मूल्यों को लेकर कार्य करने वालों
के लिए प्रेरणा का स्रोत बना हुआ है.
गांधी जी के विचारों की प्रासंगिकता सर्व कालीन और सर्व व्यापी इस
लिए है कि, समाज में अन्याय , स्वार्थ ,
विषमता ,शोषण विद्यमान है. इन प्रवर्तियो में
परिवार , समूहों , समाज ,देश और विश्व में वृद्धि होती जा रही है.
मानवीय मूल्यों में विश्वास करने वालों के लिए गांधी जी के विचार
आदर्श के रूप में हैं. जिनका पालन वह जारी रखे हुए हैं.
अन्य दार्शनिक , धार्मिक ,आध्यात्मिक विचारों के समान गांधी के विचारों में विश्वास करने वालों को कोई शीघ्रता नहीं है , उनके प्रयत्न अवश्य जारी हैं क्योंकि ,यह संघर्ष न सत्ता का हे , न पूंजी और वैभव का और न विलासिता पूर्ण जीवन का .
यह संघर्ष परिवर्तन की धारा को जगाए रख कर अहिंसक विचारों द्वारा
समाज में विकृत प्रवृत्तियों का बहिष्कार और तिरस्कार करने का है. ताकि , सद्भाव द्वारा वह आनंद प्राप्त किया जा सके जो परमानंद में परिणत हो जाता
है जिसे अनुभूति द्वारा अनुभव किया जा सकता है ,वैभव और
विलासिता की तराजू पर मापना संभव नहीं.
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