शुक्रवार, 26 जनवरी 2024

उत्सव- अमिताभ शुक्ल (कवि,लेखक और अर्थशास्त्री)




 

उत्सव

उत्सव भुला देते हैं दुखों को कुछ समय के लिए  ,

महा उत्सव अदृश्य कर देते हैं समस्याओं को ,

ढोल , ढमाकों की गूंज में दब जाती हैं भूख की आवाजें ,

खुशी के प्रदर्शन का जलजला कायम रखते हैं उत्सव 

जाहिर है जो दुखी होंगे वह नहीं मना पाएंगे उत्सव ,

गमों को भूल पाना कठिन होता है उनके लिए ,

इस तरह बाहर रहते हैं वह उत्सवों से ,

उत्सवों के लिए जरूरी होती हैं रंग ,बिरंगी पोशाखें .

कितना अच्छा होगा वह दृश्य जिसमें सब दिखेंगे एक साथ ,

लिए हाथ में हाथ और कोई गम न होगा किसी के साथ ,

नहीं छपवाना होंगे विज्ञापन , इस्तहार और समाचार ,

लोगों की खुशी के उस दिन .

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...