सहायक निदेशक डॉ गीताराम शर्मा की भावभीनी विदाई-
कोटा/ कॉलेज शिक्षा के कोटा संभाग के सहायक निदेशक डॉ गीताराम शर्मा की सेवानिवृत्ति पर राजकीय महाविद्यालय कोटा एवं एबीआरएसएम तथा नवनियुक्त सहायक निदेशक डॉ विजय पंचोली ने भावभीनी विदाई दी। इस गरिमामय कार्यक्रम में राजकीय महाविद्यालय कोटा के प्राचार्य प्रोफेसर प्रतिमा श्रीवास्तव, राजकीय कला महाविद्यालय कोटा के प्राचार्य प्रो. रोशन भारती, जे डी बी राजकीय महाविद्यालय के प्राचार्य डॉ अजेय विक्रम सिंह, पूर्व सहायक निदेशक डॉ एम एल साहू, डॉ हरिशंकर शर्मा, एबीआरएसएम के विभाग सेवा निवृत प्रकोष्ठ के प्रदेश संयोजक डॉ एम एल साहू, सेवा निवृत वरिष्ठ कार्यकर्ता डॉ राजेश शर्मा, डॉ सुदेश आहूजा, पूर्व प्राचार्य डॉ के बी भारतीय, डॉ बी डी शर्मा, विभाग संयोजक डॉ नवीन मित्तल, विभाग महिला प्रतिनिधि डॉ मंजू गुप्ता,जिला उपाध्यक्ष डॉ राम प्रकाश सोमानी, संगठन की विभिन्न इकाइयों के सचिव डॉ आदित्य गुप्ता, डॉ रामावतार मेघवाल, विकास जांगिड़ डॉ महावीर साहू, डॉ चन्द्रजीत सिंह डॉ महेन्द्र मीना विद्यार्थी परिषद के प्रान्त अध्यक्ष डॉ घनश्याम शर्मा,कोटा विश्व विद्यालय इकाई डॉ सुशील शर्मा,सहित विभिन्न महाविद्यालयों के बड़ी संख्या में विश्वविद्यालय एवं महाविद्यालयों के शिक्षकों तथा कर्मचारियों ने भाग लिया। इस अवसर पनेहमी सम्भागियों ने सेवानिवृत्त डॉ गीताराम शर्मा के वैदुष्य, शैक्षिक अवदान, निर्णय क्षमता, सतत सक्रियता एवं शिक्षकीय गुण गरिमा एवं विद्यार्थियों में शिक्षक के रुप में उदात्त छवि की खूब प्रशंसा की।डॉ मोहन लाल साहू ने कहा कि डॉ शर्मा का व्यक्तित्व अनुकूल और प्रतिकूल परिस्थितियों की परवाह किये बिना सतत आगे बढ़ने का रहा है। डॉ हरिशंकर ने कहा कि सभी के साथ समन्वय कर सकारात्मक परिवेश सृजन में डॉ शर्मा की छवि बेजोड़ है। प्रो के बी भारतीय और प्रो विवेक मिश्र ने झालावाड़ कॉलेज के अनुभव साक्षा करते हुए उन्हें दृढ़ निश्चयी ,उत्साही, सतत कर्मशील तथा आत्मविश्वास से आपूरित शिक्षक बताया। सभी प्राचार्यों ने डॉ शर्मा की सादगी, सकारात्मकता,वक्तृत्व क्षमता और प्रशासनिक दक्षता की प्रशंसा की। इस अवसर पर सेवानिवृत्त हो रहे डॉ गीताराम शर्मा ने कहा कि शिक्षक समज का शास्ता होता है। भारतीय समाज आज भी शिक्षक के चरित्र और कर्तव्य निष्ठा पर भरोसा करता है। हम सभी को अपने हिस्से का कर्तव्य निभाकर समाज के इस विश्वास की सुरक्षा करनी होगी।अतीत में भारत की विश्ववरेण्य छवि शिक्षकों के कारण थी। शिक्षक का चरित्र ऐसा हो कि विद्यार्थी उसमें अन्त:समाविष्ट गुरु की दिव्य छवि का दर्शन कर सके और उसी गुरुता का उपयोग सभ्य समाज और भव्य राष्ट्र के निर्माण में कर सके। सद शिक्षकों के स्वत: प्रकाशित व्यक्तित्व से अंधेरों के व्यूह टूटने लगते हैं और व्यक्तित्व अपनी आत्म ज्योति से दमकने लगता है। अंधेरे चाहे अपने व्यक्तित्व की कमजोरी के हों या बाहरी परिवेश के ,उनका ध्वंश ज्ञान और चरित्र के प्रकाश के बिना संभव नहीं है।शिक्षक के व्यापक दायित्व की कसोटी यह है कि वह शिष्यों के व्यक्तित्व में ऐसा गुरुत्वाकर्षण पैदा करें कि सम्पूर्ण समाज उसकी ओर आकर्षित हो सके|हमारी महान शिक्षक परम्परा में ऐसा गुरुत्वाकर्षण पैदा करने के हजारों अमर उदाहरण हैं जिन्होंने समाज को अपना परिवार मानकर शिक्षा, संस्कृति की अलख जगायी तथा समाज में व्याप्त अनेक कुरीतियों और दुर्गुणों के अंधेरे को प्रकाश में बदलने के लिए अपना जीवन लगा दिया। अपनी इसी तेजस्विता के कारण समाज में आज वे जन जन के पूज्य हैं| बदलती परिस्थितियों में शिक्षकमात्र को मूल्यपरक शिक्षा के साथ साथ विद्यार्थियों को प्रकृति, पर्यावरण, सामाजिक सद्भाव की ओर प्रेरित करना भी ध्येय रहना चाहिए। नवनियुक्त सहायक निदेशक डॉ विजय पंचोली ने सभी का धन्यवाद व्यक्त करते हुए आश्वस्त किया कि डॉ गीताराम शर्मा के श्रेष्ठ गुणों का उपयोग मैं भी गुणवत्तापूर्ण शैक्षिक और अकादमिक परिवेश निर्माण में करुंगा।
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