हाँ
मैने विस्मृत कर दिया
अपनी स्मृतियों से प्रेम और सहेज समेट लिया
स्वयं को
मन की कन्दरा में ।
बादलों में उन्मुक्त उड़ रही अनुभूतियों को
लौटा लिया अंतस की मंजूषा में ।
बारिश की नन्हीं बूंदों को बहला दिया कह कर कि
नहीं भीग सकूँगी
तुम लौट जाओ अपने आकाश में
खिला था मोगरा स्वपनिल स्वर माधुर्य में
पर कंठ मे उसे उतरने नहीं दिया
कुछ जुगन जगमगाए थे अँधेरी रात में
कुछ झींगुर भी खनके थे भैरवी की तर्ज पर
लेकिन
सबको अनसुना किया क्योंकि जान चुकी हूँ
यह सब महज दिवास्व्प्न हैं
कहीं नहीं पहुँचती प्रार्थनाएं सब एकलाप हैं
कवि जन्म होते हैं सिर्फ़ प्रेम की कविताएँ
लिखने के लिए और
कुछ ह्रदय
सिर्फ़ प्रेम के लिए जन्म लेते हैं
प्रेम में होना और प्रेम की कविता करना
दो भिन्न-भिन्न अवस्थाएँ हो सकती हैं ।।
श्रद्धा सुनील
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जन्म : भोपाल
शिक्षा - *
बरकतउल्ला विश्वविद्यालय भोपाल से हिन्दुस्तानी शास्त्रीय संगीत (गायन) में स्नातकोत्तर कुमार गंधर्व जी की वरिष्ठ शिष्या मीरा वी राव से शास्त्रीय संगीत की तालीम।।
कविता संग्रह : "हिमालय की कंदराओं में "आस्था प्रकाशन नई दिल्ली (वर्ष 2020)
सम्मान
*1. "हिमालय की कंदराओं में " के लिए जबलपुर त्रिवेणी परिषद द्वारा सुनीति सक्सेना
2. अखिल भारतीय संस्था कादंबरी से सम्मानित।
अन्य उपलब्धियाँ :
कविताओं का मराठी एवं अंग्रेजी भाषा में अनुवाद
खिल गया जवां कुसुम एवं अन्य साझा संकलनों में कविताएं प्रकाशित हुई हैं
हंस,वागर्थ, आजकल दोआबा कृति बहुमत देश की सभी प्रतिष्ठित पत्रिकाओं में कविताओं का लगातार प्रकाशन" इन नो टाइम" में अंग्रेजी में अनुवाद सीरीज़ साझा संकलनों में कविता का अंग्रेजी में अनुवाद प्रकाशित
साहित्यकारों की पत्नियां में विश्व विख्यात कथाकार ज्ञान रंजन जी की पत्नी सुनयना रंजन जी से साक्षात्कार प्रकाशित।।
डिजिटल मीडिया पर कविताओं के पाठ साक्षात्कार एवं
कई प्रतिष्ठित मंच पर प्रभावशाली काव्य पाठ
आल इंडिया रेडियो भोपाल से काव्य पाठ ।।
कर्मक्षेत्र :
दिग्दर्शिका पुनर्वास एवं अनुसंधान संस्थान भोपाल में मानसिक विकलांग बच्चों के विशेष शिक्षण में विशेषज्ञता एवं एक वर्ष कार्यरत रहीं.
सत्य साईं महिला महाविद्यालय भोपाल में छात्रावास अधीक्षिका के पद पर तीन वर्ष कार्यरत रहीं।।
वर्तमान में स्वतंत्र लेखन । जबलपुर में निवास।
1 टिप्पणी:
प्रभावशाली कविता
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