लौटे तो उम्र भर के लिए
या फिर किसी गांव की याद आते ही
आपके हृदय में उठती हो एक हूक
धक कर जाता हो आपका तय कलेजा
फिर भी पलट कर कभी ना जाना
उस शहर,गली, मोहल्ले या उस गांव में
तब तक जब तक तुम्हारे इंतज़ार में
बिछी ना हों दो जोड़ी आंखें
संभव है कोई एक नाम अनायास ही तैर जाता हो
आपकी जिह्वा पर
अचानक ही प्यारा लगने लगे उस नाम का हर शख्स
और तुम कभी रेत पर, पानी पर, दीवारों पर लिख लिख कर मिटाने लगो वो एक
नाम
फिर भी कभी जाहिर मत होने देना उस इंसान पर
अपनी अधीरता को तब तक,जब तक
उसके हृदय में अंकुरित ना हो तुम्हारे लिए
प्रेम का बीज
मत भेजना अपने व्याकुल हृदय की धड़कनें
और उसके कुशल क्षेम को पूछने वाले संदेश वहां
जहां कोई नज़र उन संदेशों को पढ़कर चूमती ना
हो
जो अपनी आत्मा के सूरज को मारकर नही भेजते हो
तुम्हारे सन्देशो के जवाब
क्योंकि जब किसी पुकार से बाहर हो जाये कोई
नाम
मर चुकी हो प्रत्युत्तर की आखिरी उम्मीद
तो फिर लौट आना चाहिए अपनी आत्मा की ओर
अकेले ही , खुद को
प्यार करते हुए !!
1 टिप्पणी:
सत्य कहा लौट आना चाहिए परंतु
इंतजार को पूरा कर लेने के पश्चात
प्रतीक्षा की घड़ी समाप्त होने के पश्चात
हर उम्मीद का इंतजार करने के पश्चात
आखिरी आस के बुझ जाने के पश्चात
हाँ लौट आना चाहिए
सारी यादों को मन मस्तिष्क में रक्षित करने के पश्चात
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