मंगलवार, 26 दिसंबर 2023

||तुम्हारे कवि होने पर|| - भानु प्रकाश रघुवंशी

भानु प्रकाश रघुवंशी

||तुम्हारे कवि होने पर|| अगर तुम्हारे रास्ते में पेड़ नहीं आते पगडंडियां नहीं आतीं पत्तों की सरसराहट नहीं डराती तुम्हें तुम्हारे सिर पर आसमान और पैरों मे नहीं चिपकी है धूल-मिट्टी टखना-टखना भीगते हुए पार नहीं किया कोई नदी-नाला तलवों में नहीं लगा कीचड़ कोई कांटा नहीं चुभा कभी नहीं गुजरे किसी तालाब के किनारे से कंकड़ नहीं उछाला ठहरे हुए पानी में लहरों के वृत्त में खड़ा महसूस नहीं किया अपने आप को तुम्हारे बड़ा होने के अंहकार को ध्वस्त करते पहाड़ विकास की परिभाषा से इतर जंगल और वन्यजीवों ने लुभाया नहीं है तुम्हें स्वाति नक्षत्र की बारिश आने तक रा.. प्यासा- रा.. प्यासा रटते पपीहे की पुकार ने करुणा से नहीं भर दिया तुम्हारा हृदय बाग-बगीचे,खेत-खलिहान सप्रयास आते रहे तुम्हारी कविता में सिर्फ कागजों में देखते और लिखते रहे तितलियों का उड़ना-बैठना, फिर-फिर उड़ना-बैठना अगर तुम्हारी मुग्धता का कारण बासी फूल हैं यदि फिलीस्तीन कोई और देश है तुम्हारी नज़र में कोई दूसरा, या पड़ोसी राज्य है मणिपुर कि छह दिसंबर को नहीं मानते काला दिवस अफ़ग़ान तर्ज पर सत्ता हस्तांतरण के पक्षधर हो तुम जब बातों-बातों में कह देते हो मन की बात तब भी लिखते रहो कविताएं तुम्हारे कवि होने पर मुझे कोई संदेह नहीं है।

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...