शनिवार, 30 दिसंबर 2023

मैं लौट आया हूँ- राजेन्द्र सजल (कवि -कथाकार)

 राजेन्द्र सजल
 कवि -कथाकार

मैं लौट आया हूँ

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मैं लौट आया हूँ

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मैं लौट आया गली के मोड़ से

उसी मोड़ से जहाँ कभी हम अक्सर मिल जाया करते थे

और उर्वरा हो जाया करती थी देह एक दूसरे को देखने भर से

आसमान में छाने लगती थी घटाएं

हम और तुम वहीं तो भीगे थे पहली बार

और मैं ने कहा था कि यह धरती पर पहली बरसात है

और तब तुम खिलखिलाकर हँसने लगी थी

और तभी अंकुरित हुआ था सृष्टि का बीज

उसी पुरानी हवेली के ढहे  हुए कोने में

जहाँ  लटकी  है एक तख्ती

और उस पर लिखा  है कि

'यह हवेली विवादास्पद है'

लोगों की आवाजाही और गाड़ियों के शोर से भरी हुई सड़क उस समय

तुम्हारे और मेरे बीच किसी सरहद से कम नहीं थी ।

मैं जब भी सड़क पार कर के

तुम्हारी तरफ आता था तब मुझे लगता था कि मैं कोई तस्कर हूँ

और दुनिया की सबसे नशीली चीज केवल और केवल मेरे पास है

उस सड़क पर मैं छोड़ आया हूँ

हम दोनों की गुथी हुई गंध

मैं लौट आया हूँ

तुम्हारे सुर्ख़ गालों

और बिखरी लटों में उलझी हुई झुंझलाहट

थरथराते होंठ

वहीं छोड़ कर

वह झूलती हुई तख्ती आखिर किस दिन काम आती

मैं उसी पर सब  शिकवे गिले टांग आया हूँ

मैं लौट आया हूँ

जानती हो क्यों

क्योंकि वक्त रहते सौंप देना चाहता हूँ यह विरासत

नई पीढ़ी को

ताकि मैं जीते जी देख सकूँ इसको फूलते –फलते ।


राजेन्द्र सजल

कवि -कथाकार

कहानी संग्रह प्रकाशित

अंतिम रामलीला

नज़र

सम्प्रति – स्वतंत्र लेखन एवं अध्यापन कार्य ।

पता- ग्राम – हनूतपुरा , तहसील –शाहपुरा [अमरसर वाटी ]

जिला – जयपुर  राजस्थान ,पिन -303601

मो.न. 8005642366 , 8094433483

अकादमिक नाम –राजेन्द्र प्रसाद रेगर

Rajendrasajal74@gmail.com

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

बहुत खूब

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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