गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

मुझे प्रेम जताना नही आया - मेवा राम गुर्जर

मेवा राम गुर्जर

कवि,समीक्षक और शिक्षक

मुझे प्रेम जताना नही आया

तुम जब भी मिले

एक फूल तक नही दिया

तुम्हारी ये शिकायत

मुझसे हमेसा रही

शायद इसलिए की

मुझे फूल

तुम्हारे हाथों में नही

डाली पर ज्यादा खूबसूरत लगते हैं

या फिर इसलिए कि

मैं जानता हुँ किसी के टूटने की पीड़ा

मैने कभी नही चाहा

फूल का टूटना

किसी पेड़ के तने को खरोंच कर

कभी नही लिख पाया तुम्हारा नाम

तुम्हारी यह शिकायत भी रही

की मैं तुमसे प्रेम नही करता

पर सच ये है

की मुझे प्रेम जताना नही आया

मैं जब भी प्रेम मे रहता हूँ

भर लेता हूँ किसी पेड़ को अपनी बाँहों में

और चूम लेता हूँ

उसके सबसे खुरदरे हिस्से को

मुझे सबसे अधिक प्रेम यही मिला।

 

6 टिप्‍पणियां:

Dosi ने कहा…

Nice

बेनामी ने कहा…

सुंदर‌ कविता।

बेनामी ने कहा…

खूबसूरत...

कैलाश मनहर ने कहा…

बहुत उम्दा कविता

Meva Ram Gurjar ने कहा…

शुक्रिया जन सरोकार मंच

Meva Ram Gurjar ने कहा…

धन्यवाद sir

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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