रविवार, 31 दिसंबर 2023

इस आपाधापी में- विजय सिंह नाहटा

                                 विजय सिंह नाहटा

 

इस आपाधापी में

सब कुछ बचाया जा रहा है

जल, जंगल औ’ जमीन

ताजा हवा

आनेवाले कल के दाय में

एक साफ-सुथरी धरती

किसी अदेखे डर के खिलाफ

बचाया जा रहा

लड़ाई का हुनर

बचाया जा रहा अन्न अकाल के लिए

एक कार्य योजना बचाई जा रही है

आकस्मिक आपदा से निपटने के लिए

कुछ सपने बचाए जा रहे हैं

आनन-फानन ही सही

संभावित भूखे लोगों के लिए

हर तरफ अंतहीन दौड़ है कुछ बचाने की

फिर इस आपाधापी में

खुद बचे रह पाने की बेचैनी

चीजों औ’ चीखों से ठसाठस भरी इस दुनिया में

चाहता हूँ बस, बचा रहे थोड़ा – सा प्रेम

विकट समय के लिए ।

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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