बुधवार, 27 दिसंबर 2023

(1)--जाने क्या?- (2)--सड़कें और पगडण्डी - जनकवि कैलाश मनहर


जनकवि कैलाश मनहर 

(1)--जाने क्या?

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क्या सोच रहा है वह बेलदार

ट्रक में से सीमेन्ट के बोरे उतार कर गोदाम में रखते हुये

क्या सोच रहा वह लड़का

ग्राहकों की मेज़ साफ़ करते हुये ढाबे पर

क्या सोच रही है वह स्त्री

घर-भर का आटा गूँदते हुये रसोई में

क्या सोच रहा है भटकता हुआ वह राहगीर

जिसे नहीं मिला अभी सही रास्ता

क्या सोचती होगी वह लड़की

अपने पिता को चिन्ता में डूबे देख कर हमेशा

क्या सोचता होगा सरकारी स्कूल में पैदल जाता वह बच्चा

प्राइवेट स्कूल की बाल-वाहिनी को देख कर

क्या सोचती होगी वह मजदूरन

ज़मींदार के खेत में लावणी करते हुये

क्या सोचता होगा वह बेरोजगार युवक

चुनाव सभा में उम्मीदवार का भाषण सुनते हुये

क्या सोचता होगा कोई चोर-उचक्का

भ्रष्टाचारपूर्ण घोटालों के बारे में जान कर सरकार के

क्या सोचती होगी घुटनों पर तैल मलती पत्नी

मुझे कविता लिखने में व्यस्त देख कर

पता नहीं क्या सोचते होंगे बहुत-से लोग

थोड़े-से लोगों के अथाह ऐश्वर्य को देख कर

हाय रे यह चढ़ती हुई रात कार्तिक की

क्या सोचता होगा वह फक़ीर

जिसका कम्बल हो चुका है जीर्ण-शीर्ण

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(2)--सड़कें और पगडण्डी 

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ये सड़कें जैसे कि हमारी सौतेली माँएं हैं

हम जो नदियों को जाये

जिनसे छूट गया

जन्मदात्री माँओं का आँचल

सड़कों की गोद में जबरदस्ती लदे हुये हैं

 

भूलते हुये अपनी परम्परायें हम

तृष्णाओं के विकट पाश में जकड़े हुये

घसीटे जा रहे हैं लगातार

किसी गहन अँधेरी गुफ़ा के गर्त में

जीवन की विवशताओं के साथ

स्मृतियों में कौंधते हैं नदियों के उद्गम और

अपने आप में बड़बड़ाते हुये

कुछ निरर्थक शब्द हमारी आत्मा की

चौखट पर दम तोड़ देते हैं जब

मध्य रात्रि में चौंक कर जाग पड़ते हैं हम

सड़कों पर फैली अस्तव्यस्त आपाधापी में

हम कोई पगडण्डी ढूँढ़ते हैं

और ख़ुद को किसी ओवरब्रिज पर पाते हैं

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कैलाश मनहर

जन्म:- 02अप्रेल1954

शिक्षा:- एम.ए.(बी.एड)

शिक्षा विभाग राजस्थान, विद्यालय शिक्षक के रूप में चालीस वर्ष कार्य करने के उपरांत सेवानिवृत्त।

(1) कविता की सहयात्रा में (2) सूखी नदी (3) उदास आँखों में उम्मीद(4) अवसाद पक्ष

(5) हर्फ़ दर हर्फ़ (6) अरे भानगढ़़ तथा अन्य कवितायें(7) मुरारी माहात्म्य 

(8) मध्यरात्रि प्रलाप एवं (9)निगहबानी (10)--चयनित कवितायें (11)--काल-अकाल

(सभी कविता संग्रह)  तथा "मेरे सहचर : मेरे मित्र" (संस्मरणात्मक रेखाचित्र)प्रकाशित।

प्रगतिशील लेखक संघ, राजस्थान द्वारा कन्हैया लाल सेठिया जन्म शताब्दी सम्मान, राष्ट्रभाषा प्रचार समिति, श्री डूँगरगढ़ द्वारा डॉ.नन्द लाल महर्षि सम्मान,कथा संस्था जोधपुर का नन्द चतुर्वेदी कविता सम्मान तथा राजस्थान साहित्य अकादमी का विशिष्ट साहित्यकार प्राप्त।

आकाशवाणी एवं दूरदर्शन से भी प्रसारण ।

देश के अधिकतर  पत्र-पत्रिकाओं में रचनायें प्रकाशित

पता:- स्वामी मुहल्ला, मनोहरपुर, जयपुर (राजस्थान)

मोबा.9460757408

ईमेल-manhar.kailash@gmail.com

                           

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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