
डॉ.मनु शर्मा, टोंक (राजस्थान)
दोहे
पैंसठ वर्षों में पचपन,
दस में दो सौ पांच।
लाख करोड़ों देश पर,
कर्ज़ हुआ सच जाँच।
।। आज के दोहे ।।
अंगुली के संकेत पर, नाचे घूंघट खोल।
साहब पुतली काठ की, बजा रही रमझोल।।
गाड़ी की गति तेज हो, मरें भले ही लोग।
युवा जनों का शौक यह, बना आज इक रोग।।
सांझ ढले चकवी कहे, कर चकवा कुछ बात।
बैठ अलाव के पास में, कटे ठंड की रात।।
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