सोमवार, 25 दिसंबर 2023

दोहे- डॉ.मनु शर्मा ( वरिष्ठ साहित्यकार और आलोचक) टोंक (राजस्थान)

                                                                                                    
डॉ.मनु शर्मा, टोंक (राजस्थान)

दोहे

पैंसठ वर्षों में पचपन,
दस में दो सौ पांच।
लाख करोड़ों देश पर,
कर्ज़ हुआ सच जाँच।

।। आज के दोहे ।।
अंगुली के संकेत पर, नाचे घूंघट खोल।
साहब पुतली काठ की, बजा रही रमझोल।।
मुर्दों के इस गांव में, अलख सुनेगा कौन।
खुद से ही अनजान हो, भटक रहा है मौन।।
गाड़ी की गति तेज हो, मरें भले ही लोग।
युवा जनों का शौक यह, बना आज इक रोग।।
सांझ ढले चकवी कहे, कर चकवा कुछ बात।
बैठ अलाव के पास में, कटे ठंड की रात।।

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...