कवि,लेखक,नाट्यलेखक
स्वतंत्र पत्रकार
स्वागत 2024
नववर्ष की शुभकामनाओं के साथ
न देश अंधेर नगरी हो,
न दिखे राजा निरंकुश
होता हुआ।
न व्यवस्था हो पाए
चौपट,
न दिखे कभी कानून
सोता हुआ।
खिली हो मुस्कान चेहरे पर,
हर कोई हो फूल सा
खिलता हुआ।
न दिखे मुरझाया कोई चेहरा ,
न पीले पात सा झरता
हुआ।
हर मरीज का इलाज हो,
हो हर दुःख दर्द की
यहाँ पर दवा
अबाल वृद्ध स्वस्थ
हों यहाँ,
न दिखे यहाँ रोग कोई
फैलता हुआ।
छत हो यहाँ हर एक के सर पर,
हो वस्त्र हर एक के
तन पर
कोई भी न मिले भूखा, नंगा
या फिर फुटपाथ पर
सोता हुआ।
स्कूल हो हर बच्चे के लिए
हाथ में हर नौजवान
के काम हो
न दिखे इस देश में
एक भी हाथ
खैरात के लिए उठता हुआ।
करता हूँ दुआ कि
आवाम में
आ जाए समझ इतनी,इतनी हिम्मत
हर शख्स यहाँ पर दिखे
अन्याय के खिलाफ
बोलता हुआ।
हर तरफ उगे खुशियों की फसल
हर तरफ उमंग और
उत्साह हो
संसार में प्रगति का बोल बाला हो
कहीं पर न हो कोई
युद्ध होता हुआ।
नए साल में जन गण के लिए,
मांगता हूँ बस इतनी सी दुआ।
इतनी उपलब्धियाँ हों
कि कतार में
न दिखे कोई खड़ा होता
हुआ।
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