मुझको नज़रों में मेरी फिर से गिरा दो यारो
कोई तूफ़ान नया ऐसा उठा दो यारो
उनकी आँखों में भी तस्वीर कोई बोलेगी
तुम मेरे शे'र ज़रा उनको सुना दो यारो
हमको फिर इश्क़ हुआ अपनी ही परछाई से
ऐसी अफ़वाह कोई फिर से उड़ा दो यारो
एक पत्थर की तरह जिनके सभी अक्स हुए
आइना उनको भी इक बार दिखा दो यारो
फिर से आना न पड़े रूह को इस दुनिया में
हमको मरने की कोई ऐसी दुआ दो यारो
उम्र भर शोर फ़क़त शोर सहा है मैंने
मेरे दीपक को तो चुपचाप सिरा दो यारो
जिसकी ताबीर मुकम्मल न कभी हो पाये
मुझको अब ख़्वाब कोई ऐसा दिखा दो यारो
भाव का गीत नहीं रूह का संगीत नहीं
"किस तरह जीते हैं ये लोग बता दो यारो"
रेत का एक समुन्दर हुआ दरिया कब का
अब तो 'साहिल' का हर इक नक्श मिटा दो यारो
लोकेश कुमार सिंह 'साहिल'
सम्पर्क:--9414077820
ईमेल:--lokeshsahil@yahoo.com
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