अमिताभ शुक्ल
कवि,लेखक और अर्थशास्त्री
* सुंदर कविताओं का सुंदर संसार :
कितना सुखद होता है सुंदर ,सुंदर कविताएं रचना ,
बैठे ,बैठे ही संवद्नाओं का संसार बुनना।
सारे भाव ,जज्बात आ जाते हैं,
सुंदर शब्दों में रची कविताओं में।
न आर्थिक परेशानी हो , न लंदन ,दुबई जाने में दिक्कत ,
इस तरह हो जाती है अंतरराष्ट्रीय आयोजनों में भी शिरकत ।
वर्ना गांव ,गांव भटकना , गरीबी देख ,देख कर लिखना ,
दर्द भरी कविताओं से लोग ऊब जाते हैं।
साहित्य में भी उच्च स्थान पाना कठिन हो जाता है,
बेरोजगारी , कुपोषण ,अत्याचार पर कविताओं से ।
साहित्य का संसार तो सुंदर होता है,
सुविधाओं के साथ सुंदर विचारों से पनपता है।
लिटरेलिया के आमंत्रण आ जाते हैं,
महोत्सवों में भी भागीदारी हो जाती हैं।
सचमुच सुंदर हो जाता है साहित्य का संसार ,
जब वीडियो के साथ समाचार आ जाते हैं।
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