बुधवार, 27 दिसंबर 2023

गाड़ियों में होकर सवार - हरिराम मीना,नई दिल्ली


 हरिराम मीना,नई दिल्ली

कवि,लेखक,संपादक


गाड़ियों में होकर सवार

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गाड़ियों में होकर सवार

बर्तन भांडे लादकर

आए हैं लोहपीटे  गांव में

जमाया है तंबू डेरा

करते रैन बसेरा

रात दिन खटते हैं वे खाली मैदान में

बनाते किसानी  औजार

धौंकनी से निकलती बयार

जला देती लोहे को भी अपनी आग में

उड़ते अंगारे

सनडासी  के सहारे

पड़ती चोट हथौड़े की अपनी शान में

नया ढाल देती आकार

आतप का प्रतिकार

एडी चोटी पसीना बहाया ईमान में

नेता देता भाषण

करता सब पर शासन

सब को लूटकर घूमता जहान में

न्याय, दंड और ईमान

जेब में बढ़ाते शान

पूरी दुनिया को नचाता अपनी आन में।

 


“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...