रविवार, 4 फ़रवरी 2024

आत्म शक्ति-डॉ.पुष्पिता अवस्थी - प्रोफेसर,लेखिका और कवयित्री नीदरलैंड


                                       डॉ.पुष्पिता अवस्थी                                                                                                                                             प्रोफेसर,लेखिका और कवयित्री                                                                                                                            नीदरलैंड

आत्म शक्ति

 

आंखों की कोरो के

तटबंध धसके है -

शब्द स्पर्श से.

आत्मा के भीतर

अभिषापित अहिल्या

अवतरित हुई है

जिसके आंसुओ को

जिया है।

मेरी आंखों ने

अहिल्या की आंखे बनकर।

 

आंखे साक्षी है

आत्मा की मुक्तावस्था

के सत्य की

उनके पास

आंसू के हस्ताक्षर हैं।

जो आत्मा की आंखो से

बहे हैं -

अविश्वसीय दुनिया के बीच

विश्वास के अपरिहार्य

क्षणों में

1 टिप्पणी:

अभिषेक आयरलैंड ने कहा…

उत्तम कविता। 'अहिल्या की आंखें'लुप्तोपमा अलंकार का सुंदर प्रयोग है। कविता एक उर्वर कल्पनाशील चेतन का सशक्त सृजन है। गागर में सागर भर कर कवयित्री ने पाठक के मानस को झंकृत किया है।

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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