शनिवार, 10 फ़रवरी 2024

हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध संस्मरण लेखिका सरिता कुमार- जयचन्द प्रजापति ’जय’ प्रयागराज

हिंदी साहित्य की प्रसिद्ध संस्मरण लेखिका सरिता कुमार

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हिंदी साहित्य में ऐसा नाम जो सभी जानते ही है एक सुपरिचित लेखिका कवियत्री सरिता कुमार जो कई विधाओं में अपनी लेखनी चलाई और एक से एक साहित्य लिखा। वास्तव में जीवन की सच कहती इनकी रचनाएं वास्तविक जीवन की सैर कराती हैं। जनक बिहारी शरण के घर पर 26 अगस्त 1966 को जन्म हुआ था। इनकी माता का नाम प्रेमलता शरण है। इनके पति का नाम आनरी लेफ्टिनेंट अंजनी कुमार हैं। पढ़ाई लिखाई स्नातक प्रतिष्ठा ( मनोविज्ञान ) हुई।भारतीय सेना के ब्रिगेड स्कूल में शिक्षिका,प्रौढ़ शिक्षा केन्द्र में शिक्षिका,खाद्य पदार्थों का संरक्षण एवं संचयन प्रशिक्षिका , आवा की प्रमुख प्रभारी ,सैनिक भाईयों के साथ मच्छरदानी सिलाई एवं न  सेवा में समर्पित रहने वाली वर्तमान में पद नवीन डिजास्टर रेस्क्यू फाउंडेशन में हरियाणा क्षेत्र की "राष्ट्रभाषा प्रकोष्ठ " की अध्यक्ष एवं "एच आई एफ आई" की वाइस प्रेसिडेंट हैं।

 

सरिता कुमार अपने बारे में बताती हुई कहती हैं। मेरा जन्म बिहार राज्य के बेतिया शहर में हुआ था । मेरे पापा आई टी आई में इंस्ट्रक्टर थें । जन्म के कुछ साल बाद उनकी पोस्टिंग मुजफ्फरपुर शहर में हो गई और मुजफ्फरपुर शहर में ही मेरा लालन पालन हुई और शिक्षा दीक्षा मिली । पांच भाई बहनों में मैं चौथे नंबर पर हूं । मुजफ्फरपुर के सरकारी स्कूल हरियर नारायण माध्यमिक विद्यालय हरिसभा चौक पर स्थित है जहां से मेरी शिक्षा शुरू हुई ।

 

बचपन में मैं बहुत होशियार थी इसलिए दूसरी कक्षा में मुझे डबल प्रमोशन देकर चौथी कक्षा में स्थानांतरित कर दिया गया और मेरी बड़ी बहन जो उसी स्कूल में पांचवीं कक्षा पास करके माध्यमिक विद्यालय से उच्च विद्यालय  चैपमैन गर्ल्स हाई स्कूल में नामांकन परीक्षा में बैठने के लिए आवेदन पत्र पर भर रही थीं । तब मेरी भी इच्छा हुई की बड़ी बहन के साथ उनके स्कूल में एडमिशन करवा लूं जो कि शहर का नंबर वन स्कूल माना जाता था । स्कूल का ड्रेस भी बेहद आकर्षक था । चुकी दूसरी क्लास से चौथी क्लास में प्रमोशन मिला था इसलिए मनोबल बहुत बढ़ गया और बेहद उत्साहित होकर मैंने भी आवेदन किया और जांच परीक्षा में पास हो गई । फिर हम दोनों बहनें शहर के नंबर वन स्कूल में पढ़ने के लिए जाने लगें ।

 

1981 में हमने मैट्रिक की परीक्षा पास की और फिर शहर के नंबर वन कॉलेज , मंहत दर्शन दास महिला महाविद्यालय में नामांकित हुए । स्कूल से कॉलेज में जाने के बाद कुछ स्वतंत्रता मिली और छात्र जीवन बेहतरीन हुआ । वहां हिंदी साहित्य की प्रोफेसर विनोदिनी सिंह जी  , शांती सुमन  जी , कमला कानोड़िया जी । राजनीति शास्त्र में राधिका जी , वीणा जी , वैदेही जी , अंग्रेजी साहित्य में नीलम शरण जी , प्रेम सिंह जी , और मनोविज्ञान में शांति सिंह जी , विमला जी का सानिध्य मिला , शिक्षा और ज्ञान मिला जिससे हमारा विद्यार्थी जीवन धन्य हुआ । पढ़ाई लिखाई के अलावा राष्ट्रीय सेवा समिति और सांस्कृतिक कार्यक्रमों में भी हमने हिस्सेदारी निभाई है । मनोविज्ञान में प्रतिष्ठा के बाद मेरी पढ़ाई बाधित हो गई ।

 

मेरे पारिवारिक जीवन में घोर संकट आया । मेरे पापा का एक्सिडेंट हुआ वो लगभग एक साल बीमार रहें और उनकी सेवा में सतत लगी रही मेरी मां अपना ख्याल नहीं रख सकी । हम पांच भाई बहनों के अलावा दादा जी और दादी मां एक सहायक भरत और एक सहायिका फुलझडियां बुआ कुल मिलाकर ग्यारह लोगों का परिवार था । हम बच्चों को पढ़ाई लिखाई और खेल कूद के अलावा कुछ खास जिम्मेदारी नहीं थी जिसका खामियाजा हम सभी को भुगतना पड़ा । असमय मेरी मां का देहांत हो गया 1988 में उसके बाद 1991 में मेरे पापा का देहांत हो गया । 1992 में मेरा विवाह वैशाली के निवासी डॉ गुलजार सहाय के छोटे बेटे अंजनी कुमार से हुई जो भारतीय सेना के इंपैक्ट बटालियन राजपुताना राइफल्स में सेवारत थें । शादी के बाद एक वर्ष तक आदर्श बहू रानी की भूमिका निभाई अपने सास ससुर , जेठ जेठानी , ननद और जेठानी के पांच बच्चों के साथ गांव में खुशी खुशी रही । 1932 मई में पंजाब के फीरोजपुर जिले में पति के पास चली गई । वहां मैंने स्कूल ज्वाइन किया बरकी ब्रिगेड स्कूल में शिक्षिका बनी । 1995 फरवरी में मेरे स्त्री जीवन को पूर्णता मिली मैं मां बनी । जैसा कि मैंने सोचा था चाहा था बिल्कुल वैसा ही हुआ मुझे बेटी हुई जिसका नाम मैंने बरसों पहले सोच रखा था "प्योली " एक पहाड़ी फूल को कहते हैं जो अल्मोड़ा , मसूरी और नैनीताल के पहाड़ी इलाकों में खिलने वाला पीले रंग का एक दुर्लभ फूल का नाम है ।  हालांकि मेरे स्कूल का सबसे प्यारा स्टूडेंट जिसका नाम था अंकेश , वो चाहता था कि मुझे बेटा हो और उसका नाम मैं अंकेश ही रखूं । मेरी बेटी होने पर वो थोड़ा मायूस हो गया लेकिन जब मैंने उससे वादा किया कि अगली बार बेटा लाऊंगी और उसका नाम अंकेश ही रखूंगी तब वो खुश हो गया और प्योली को स्वीकार लिया उसके लिए फूल लेकर आने लगा ।

 

1996 दिसंबर में मुझे बेटा हुआ और अंकेश से किए हुए वादा के मुताबिक मैंने अपने बेटा का नाम अंकेश ही रखा मगर अफसोस की अपने स्टूडेंट अंकेश को यह बात आज तक नहीं बता सकी । 1995 के अप्रैल में बटालियन उड़ी सेक्टर के लिए रवाना हो गई और मैं वापस अपने गांव वैशाली आ गई ।  जिस ब्रिगेड स्कूल में मैं टीचर थी वहां तीन अलग अलग बटालियन के सैनिकों के बच्चें पढ़ते थें उन सभी का पता ठिकाना मालूम नहीं था । बस इतना याद है कि वो ई एम ई बटालियन का बच्चा था ।

 

सरिता कुमार कविता,आलेख,कहानी तथा संस्मरण आदि विधाओं में रचनाएं लिखती हैं।इनकी भाषा शैली बहुत ही सरल व सादगी से भरी होती है जो मन को छू जाती है। इनकी प्रकाशित रचनाएं ’मेरे हमसफ़र 14 फरवरी 2023 , एवं  वर्दी 24 अप्रैल को प्रकाशित हुई है।नारी पहचान एक शक्ति की हमारा वतन हमारे वीर में सह लेखिका हैं।

 

साहित्य सुधा , स्वर्णिम साहित्य , शक्तिपुंज , प्रेम सुधा , नवनार , विश्व गाथा आदि पुस्तके हैं। 150 ई पुस्तकों में इनकी रचनाएं हैं। निर्दलीय , संस्कार न्यूज़ , दी ग्राम टूडे , अमृत राजस्थान , वाराणसी , जबलपुर , भोपाल पंजाब केसरी , राष्ट्रीय मुख्यधारा , हरिभूमि , गुंज कलम की , संस्कृति न्यूज  इत्यादि अखबारों में प्रकाशित आलेख एवं कवितायें प्रकाशित हुई हैं।

 

सरिता कुमार को कई सम्मान और पुरस्कार मिले हैं।पुरस्कार - 1189 प्रशस्ति-पत्र , सम्मान पत्र , पुरस्कार , पुरस्कार राशि एवं कुछ विशिष्ट उपाधियां जैसे शिक्षक रत्न सम्मान ( 2022 ), साहित्य भूषण सम्मान , काव्य श्री सम्मान ( 2021 ) , नारी शक्ति सम्मान  ( 2022 ), लिटरेरी ब्रिगेडियर सम्मान एवं सुपर मॉम सम्मान ( 2021 ) , साहित्य बोध सम्मान ( 2022 ) नारी तू नारायणी सम्मान ( 2022 ), "अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस काव्य सम्मान " ( 2022 ) , साहित्य रत्न सम्मान (2022) , साहित्य भास्कर सम्मान ( 2022) काव्य सुमन सम्मान ( 1 मई 2022 ) पितृ भक्ति सम्मान - (जून 2022) गुरु भक्त सम्मान (जून 2022) सर्वश्रेष्ठ योद्धा सम्मान ( 2022 ) साहित्य भूषण सम्मान ( अगस्त 2022) साहित्य रत्न सम्मान ( अगस्त 2022 ) देश प्रेमी सम्मान ( अगस्त 2022) काशी रत्न सम्मान (सितंबर 2022) , समर्पित शिक्षक सम्मान सितंबर ( 2022) आचार्य सूर्यदेव नारायण श्रीवास्तव शिखर सम्मान (सितंबर 2022) सर्वश्रेष्ठ सृजनकार सम्मान ( सितंबर 2022) है

 

हिंदी रत्न सम्मान , हिंदी प्रहरी सम्मान ( सितंबर 2022 ) ( सितंबर 2022) कविराज सम्मान ( सितंबर 2022) साहित्य साधक सम्मान ( अक्टूबर 2022) मानवीय मूल्य सम्मान (अक्टूबर 2022) प्रेमानुभूति सम्मान ( अक्टूबर 2022) मानवतावादी व्यक्तित्व सम्मान ( अक्टूबर 2022) गोपाल दास नीरज सम्मान ( 2023)साहित्य भारत केसरी काव्य रत्न सम्मान (2023) मातृभाषा रक्षक सम्मान हिंदी दिवस सम्मान (2023) , स्वामी विवेकानंद जयंती सम्मान  ( 2023 ) भारतीय सेना स्मृति सम्मान सेना दिवस 15 जनवरी 2023 सहर्ष उत्सव सम्मान है।

 

साहित्य सागर सम्मान ( जनवरी 2023) , ( जनवरी 2023) राष्ट्रीय गौरव सम्मान (26 जनवरी 2023) लिटरेरी जनरल की उपाधि मिली है 27 जनवरी 2023 को । रश्मिरथी साहित्य सम्मान ( 29 जनवरी 2023) काव्य प्रतिभा सम्मान ( 20 फरवरी 2023 ) अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस सम्मान ( 1 मार्च 2023 ) अंतरराष्ट्रीय नारी शौर्य सम्मान ( 3 मार्च 2023 ) राष्ट्रीय गौरव नारी शक्ति सम्मान ( 8 मार्च 2023 ) नारी रत्न सम्मान ( प्रशस्ति पत्र एवं मेडल ) महिला दिवस सम्मान , 16 मार्च 2023 अरूणाभा वेलफेयर सोसायटी फरीदाबाद , आर्थर आफ द ईयर अवार्ड 2022 , स्टोर मिरर , मुंबई से , महादेवी वर्मा सम्मान 2023 , कलश कारवां फाउंडेशन , बैंगलुरू से । माधुर्य सम्मान 2023 , आदर्श गुरु सम्मान 2023 . शिक्षक गौरव सम्मान 2023 साहित्य भारती सम्मान 2024 , स्वामी विवेकानंद राष्ट्रीय स्मृति सम्मान 2024 , सनसनी क्विन अवार्ड 2024 एक लंबी लिस्ट है।

 

         

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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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