जब नयी-नयी आई थी दोनों
देवरानी-जेठानी
बाप-दादा तक को बखेल
देती
जब लड़ धापती पतियों के
सामने दहाड़ मारकर रोती
लाठियाँ तन जाती
बीच-बचाव करना मुश्किल
हो जाता
टेसरे करती आपस में
भाई भी कई दिनों तक नहीं
करते
एक-दूसरे से राम-राम
फिर बाल-बच्चे हुए तो कटुता घटी
सात घड़ी बच्चों के संग
से थोड़ा हेत बढ़ा
जैसे-जैसे उम्र पकी
गोड़े टूट गए और हाथ छूट
गए
दोनों बुढ़िया एक-दूसरे
की लाठी बन गयी
एक दूसरे को नहलाती चोटी
गूँथती
जो भी होता बाँटकर खाती
एक बीमार हो जाये तो
दूसरी की नींद उड़ जाती
दोनों बूढ़े भी खखार
थूककर
कउ पर बैठने लगे हैं
साथ हुक्का भरते हैं
ठहाका लगाते हैं कोई
पुरानी बात याद कर
दोनों बुढ़िया भी सुल्फी
धरती हुई
एक-दूसरे के कान में कुछ
कहती हैं
और हँसती हैं हरहरार
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