बुधवार, 10 अप्रैल 2024

‘बेरंग मानवीय जीवन को रंगीन बनाती ... फुर्सतगंज वाली सुकून भरी चाय’- ताराचंद कुमावत ,शोधार्थी- हिंदी विभाग राजकीय कला महाविद्यालय, कोटा


                                     बेरंग मानवीय जीवन को रंगीन बनाती ... 

                  'फुर्सतगंज वाली सुकून भरी चाय'

       

वर्तमान दशक के उभरते हुए काव्यकारों में ‘विवेक कुमार मिश्र’ का नाम अदब के साथ लिया जाता है | ‘कुछ हो जाते ...पेड़ सा’ के माध्यम से अपने काव्य-कर्म की शुरुआत करने वाले ‘मिश्रजी’ अपने समसामयिक आलेखों एवं कविताओं के लिए बहुचर्चित हैं | ये प्रसिद्धि प्राप्ति के लिए नहीं लिखते वरन् जीवन की स्वाभाविक सरणियों से प्रेरणा ग्रहण कर जीवन जीने की सहज एवं माकूल स्थिति का परिचय करवाते हैं | इनका नवीन काव्य-संग्रह ‘फुर्सतगंज वाली सुकून भरी चाय’ एक ऐसे कविमन की भावभूमि में फलीभूत होने वाली रचना है । जो न केवल पतित होते मानवीय मूल्यों को सँवारने के लिए प्रेरित करती है ।अपितु व्यक्ति की स्वाभाविक जीवन शैली को भी सहजता के साथ अभिव्यक्त करती है । नयी पीढ़ी के काव्यकारों में अपनी महनीय उपस्थिति से प्रतिष्ठा प्राप्त करने वाले ‘विवेक कुमार मिश्र’ एक ऐसे कविमन के साथ पाठक वर्ग के सम्मुख उपस्थित होते हैं जो आधुनिक संवेदनाओं को व्यापकता के साथ रेखांकित करते हैं । कवि की यह रचना इसलिए भी महत्त्वपूर्ण है कि कवि ने भाग-दौड़ भरी जीवन शैली के बीच एक ठहराव के साथ जीवन जीने की राह दिखाई है | रचनाकार का कविमन केवल काव्य की सीमाओं में ही प्रतिबंधित नहीं होता । अपितुआलोचना एवं समसामयिक मुद्दों के मूल में विद्यमान वैचारिकी को भी प्रखरता के साथ अभिव्यक्त करता है । ‘विवेकजी’ ने अपनी पारखी नजरों एवं द्रवीभूत हृदय के चलते उद्बुद्ध होने वाली मानवीय संवेदनाओं को बड़ी संजीदगी के साथ अभिव्यक किया है ।

यह माना जाता है कि बदलते समाजार्थिक परिदृश्य के बीच आधुनिक संवेदनाओं को समझ पाना दुष्कर है | यक्ष प्रश्न यह है कि अनुत्साहित एवं  रंगहीन होते जीवन को रंगीन एवं उत्साहित किसप्रकार बनाया जाय? क्योंकि जिस तरह की सामाजिक स्थितियाँ वर्तमान समय में निर्मित हो रही हैं उससे यही प्रतीत होता है कि पर्व-त्योहारों के प्रति लोगों के मन में जो उमंग एवं उत्साह पहले दिखाई पड़ता था; वह आज के मनुष्य में परिलक्षित नहीं होता है | आखिर ऐसे कौन से कारण हैं जिनके चलते ऐसी स्थितियाँ बन रही हैं | उन्हीं कारणों की मीमांसा कर उसका उचित समाधान दिखाना कवि का मूल उत्स है | इसीलिए चाय जैसे सहज, सामान्य एवं महनीय विषय के माध्यम से जीवन को रंगीन एवं उत्साहित बनाने की बात कवि कुछ इसतरह करता है –

“ चाय के साथ जीवन का रंग और / चाय का पकता हुआ रंग साथ-साथ होता

आप चाय के साथ हैं / इसका सीधा सा अर्थ यह है कि

आप जीवन के उत्सव को जी रहे हैं |”

अक्सर यह सोचा जाता है कि चाय की थड़ी पर बैठने वाले लोग निठल्ले एवं आलसी होते हैं | उन्हें न घर-परिवार की परवाह है और न देश की बनती-बिगड़ती स्थितियों की | ऐसा सोचना शायद उचित नहीं है | कारण स्पष्ट है कि चाय की दुकान पर बैठने वालों ने समय के पृष्ठों पर सुनहरे अक्षरों में अपनी सफलता का इतिहास लिखा है | दैनंदिन जीवन में यह देखा जाता है कि आलस्य को दूर कर के लिए चाय की चुस्कियाँ कितनी सार्थक सिद्ध होती हैं | चाय केवल कुछ पल के लिए आलस्य को ही नहीं हटाती अपितु वह जीवन को उर्जस्वित एवं उत्साहित भी बनाती है | यह वैयक्तिक जीवन में व्याप्त अनुत्साह को तिरोहित कर उत्साह के तारों को झंकृत करती है | न केवल जीवन को उत्साहित बनाती है अपितु जीवन में नवीन भाव-सौन्दर्य को सृजित कर व्यक्ति को जीवन में कुछ कर गुजरने का मादा भी प्रदान करती है | ‘विवेकजी’ का कविमन भी नैरन्तर्य के साथ लोगों को जीवन में कुछ नूतन करने की प्रेरणा एवं साहस प्रदान करता है - 

“चाय एक रंग लिए /जीवन का उत्सव रचती है

चाय के साथ ताजगी नयापन / और कुछ करने का जज्बा होता है |”

चाय एक ऐसा जरिया है जो व्यक्ति व समाज को दुनिया के भले-बुरे अनुभवों से परिचय करवाती है | चाय की बैठक व्यक्ति व समाज को संसार का रहस्य समझाकर जीवन को सुकूनता के साथ जीने की राह दिखाती है | वैश्वीकरण के चलते बनते-बिगड़ते सामाजिक सम्बन्धों के बीच संवादहीनता का प्रचलन आज एक प्रबल समस्या बन गई है | और इस संवादहीनता ने वैयक्तिक मन में तनाव, अजनबीपन,अकेलपन, नैराश्य जैसे जीवन विरोधी भावों का विकास किया है जो मानवीय जीवन को बेरंग एवं नारकीय बनाने के लिए पर्याप्त हैं | कवि को यही सब सालता है | परिणामत: वे अपनी कलम के माध्यम से व्यक्ति व समाज को इन जीवन विरोधी स्थितियों से निजात दिलाने की राह दिखाकर जीवन को सुकूनता के साथ जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं | उनकी मान्यता है कि चाय का एक कप व्यक्ति को संवादोन्मुख ही नहीं बनाता अपितु वह उसे दुनिया की समस्याओं पर भी विचार करने की प्रेरणा देता है -    

एक चाय पर / दुनिया अनेकश: अर्थ लिए आ जाती है

चाय सीधे-सीधे संसार से संवाद करना सिखाती / खाली बैठे आदमी को

दुनिया के मसले पर विचार के लिए उकसा देती |

संवादशीलता की प्रवृत्ति के चलते वैयक्तिक एवं सामाजिक जीवन में जीवन्तता का संचरण होना स्वाभाविक है | किसी भी रचनाकार का उदिष्ट यही रहता है कि व्यक्ति संवादशील होकर अपनी जीवन्तता का परिचय दे | जीवन में संवादों की जीवन्तता की महनीयता इस बात में है कि वह व्यक्ति को प्रतिबंधित नहीं करती अपितु उसे मुक्त संसार में विचरण करने की प्रेरणा प्रदान करती है | ‘विवेकजी’ का कविमन भी मनुष्य मात्र में संवादों की प्रतिष्ठापना कर उनके जीवन को जीवंत एवं सार्थक बनाना चाहता है | उन्होंने यह स्पष्ट कर दिया है कि चाय की बैठक ही वह ठौर है जहाँ से मानवीय व्यवहार को परिवर्तित कर उसे जीवन के सौन्दर्य से सम्पृक्त किया जा सकता है-

एक चाय ही तो है / जो सांसारिक यात्रा में

संवाद का पुल रचते-रचते मुक्त मन संसार में चली जाती है / चाय पर बैठे हुए हम सब का व्यवहार जीवंत संवाद के साथ / शुरू होता है |

मानवीय जीवन में संवादों के संचरण से जीवन्तता की प्रतिष्ठापना होती है | और इस जीवन्तता के साथ फलीभूत होती है मानवीय सम्बन्धों के मध्य रागानुराग भावना | आज मानवीय सम्बन्ध गाहे-बगाहे नीरस, अजनबी, अकेले एवं जीवनानंद से असम्पृक्त हो रहे हैं |  मानवीय जीवन का यह स्वभाव है कि वह उर्जस्वित, उमंगित, तरंगित एवं उत्साह्वान हो | लेकिन वर्तमान समय में जैसी स्थितियाँ बन रही हैं उससे यही प्रतीत होता है कि आज के मानवीय सम्बन्ध अपनी ही चौखट पर संघर्ष कर रहे हैं | कवि सम्बन्धों की बेरंग एवं सूनी चौखट को रंगीन बनाने की चाहना व्यक्त करता है -

चाय मानवीय संबंधों को जीने की गाथा है / यहाँ ऊष्मा, ऊर्जा, तरंग और उल्लास का

ऐसा जादू समाया होता है कि / चाय के साथ दुनिया भर के राग को

 उसके जीवित रंग के साथ जी लेते हैं |

समग्रत: यह कहा जा सकता है कि ‘विवेकजी’ का कविमन सामाजिक विद्रूपताओं का शमन करने के लिए लालायित एवं उत्साहित दिखाई पड़ता है | उन्हें जीवन की सुकूनता पसंद है | वे अपने कविता-कर्म के माध्यम से मानवीय मूल्यों की प्रतिष्ठापना कर जीवन को सहजता एवं सुकूनता के साथ जीने की प्रेरणा प्रदान करते हैं |

 


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“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

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