शहतूत पक गये हैं
रंग और रस से भरे
शहतूत पक गये हैं
जिंदगी से भर गये हैं
कहते हैं कि शहतूत
घोल देता है मन पर
और जिंदगी में
रस का जादुई असर
और दुनियादारी की किताब
कहीं हो या न हो
पर शहतूत के नीचे
जरूर मिलती है
आदमी जब उब जाता
आलस में आ जाता
तो शहतूत जगा देता है
स्वाद और रंग व रस
एक साथ घोल देता है
शहतूत पूरी दुनियादारी को
रच देता है
आप शहतूत के नीचे हैं
यानी दुनिया
आपके आसपास है
शहतूत कविता और कहानी
अपने रंग रस में
साथ साथ लिए होती
मीठी-मीठी शहतूत
शहतूत सी
मीठी-मीठी जिंदगी
कुछ खट्टी-मीठी सी
शहतूत रंग देती है
अपने ही रंग में
जब शहतूत पक जाती
तो रंग और रस से ही नहीं
स्वाद से भी भर देती है
शहतूत , शहतूत ही होती
हर कोई
शहतूत सा नहीं होता
हो भी नहीं सकता
कहां कोई भी
शहतूत होता
या तो मीठा होता
या तीखा होता
या तो रस से भरा या रसहीन
पर शहतूत रस से
भरे होने पर भी
मीठा भी हो सकता
और खट्टा भी
यह होना
शहतूत के बस का ही है
जो शहतूत नहीं हो पाता
वह रंग भी नहीं पाता
न ही शहतूत की तरह
पकता है
शहतूत पक कर
गाढ़ा कथ्थई रंग ले लेता
और मीठा इतना कि ...
इस मिठास को
शहतूत का मीठापन कह सकते हैं
जो थोड़ा कच्चा होता तो मीठेपन
में
खट्टापन लिए होता
खट्टी-मीठी दुनिया में
शहतूत रंग भर देता है
और बराबर से
कहता चलता है कि
शहतूत की तरह
रंग भरो और रस के साथ
जीवन को जीना सीखों
हां , इस तरह
कुछ भी करों पर
शहतूत होना मत छोड़ो ।
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