बहुआयामी
व्यक्तित्व के धनी सरदार वल्लभभाई पटेल
वल्लभभाई पटेल बाल्यकाल से ही विलक्षण
प्रतिभावान थे। वे पूर्णतः निर्भीक थे। आलस्यहीन थे। मार्ग में आने वाली किसी भी
प्रकार की बाधा से तनिक भी घबराए बिना, उसे दूर करना उनके स्वभाव में था। उनमें
नेतृत्व करने का गुण था। वे बचपन से ही आन्दोलकारी-संगठनकर्ता, कठिन
परिश्रमी-लगनशील और न्यायप्रिय भी थे। अपनी युवा अवस्था में वे
उत्तरदायित्व-निर्वहन, सेवा व समर्पण जैसी विशिष्टताओं के पोषक एवं
एक बेजोड़ उदाहरण के रूप में प्रकट हुए। सार्वजनिक जीवन में पदार्पण के बाद उनमें
ढ़ाई दर्जन से भी अधिक ऐसी विशिष्टताओं का संगम था, जो
किसी एक मनुष्य में विरले ही मिल सकती हैं। स्वाधीनता के लिए अग्रिम पंक्ति में
रहकर संघर्षकर्ता, एक अद्वितीय किसान नेता (उस समय देश की
पचहत्तर प्रतिशत से भी अधिक ग्रामीण जनसंख्या की बहुत ही सुदृढ़ आवाज), अतिकुशल
प्रशासक और समाजसुधारक के रूप में अपनी विशिष्टताओं के साथ वल्लभभाई पटेल बारडोली
से भारत के सरदार बने। अतिविशेष रूप से देश की अभूतपूर्व भौगोलिक-राजनीतिक एकता
जैसे भगीरथ कार्य को पूर्ण कर सरदार पटेल एक महानतम भारतीय के रूप में स्थापित
हुए। विशेषकर, एक बेजोड़ राष्ट्रनिर्माता के रूप में सरदार
वल्लभभाई पटेल भारत के इतिहास के गौरवशाली पृष्ठों से कभी भी पृथक नहीं हो सकते।
इस सम्बन्ध में डॉ0 सर्वपल्ली राधाकृष्णन के उस वक्तव्य से मैं पूर्णतः सहमत हूँ, जिसमें
उन्होंने ने कहा है, "जब तक भारत जीवित है, उनका (सरदार पटेल का) नाम वर्तमान भारत के
ऐसे राष्ट्रनिर्माता के रूप में सदा स्मरण किया जाता रहेगा, जिन्होंने सभी...भारतीय देशी राज्यों का
एकमात्र संघ बनायाI उनका यह कार्य हमारे देश के एकीकरण की दिशा
में अत्यधिक स्थाई कार्य थाI इस विषय में उनके कार्य को हम कभी नहीं भूल
सकते...और जैसा कि मैंने कहा है,
जब तक भारत
जीवित है, वर्तमान भारत के निर्माता के रूप में उनका नाम
सदा स्मरण किया जाता रहेगाI” सरदार साहेब भारत के इतिहास के
स्वर्णिम पृष्ठों का अभिन्न भाग बनने के साथ ही विश्व इतिहास में भी अपना स्थान
बना सके। विशुद्धतः राष्ट्र और मानवता को समर्पित सरदार वल्लभभाई पटेल का जीवन, उनके
कार्य और दीर्घकाल तक प्रासंगिक रहने वाले वृहद् कल्याणकारी विचार,
वर्तमान तथा भावी पीढ़ियों के लिए छोड़ी गई उनकी विरासत है। सबसे पहले सरदार साहेब
के जीवन की श्रेष्ठ गुणों के समान विशिष्टताओं से वर्तमान पीढ़ी का परिचय कराना
उनकी 150वीं जन्मजयन्ती पर उनके स्मरण, उन्हें
श्रद्धांजलि देने और उनके बेजोड़ पुरुषार्थ को नमन करने का श्रेष्ठ मार्ग अथवा
माध्यम है।
*पद्मश्री
और सरदार पटेल राष्ट्रीय पुरस्कार से सम्मानित डॉ0 रवीन्द्र
कुमार भारतीय शिक्षाशास्त्री एवं चौधरी चरण सिंह विश्वविद्यालय,
मेरठ
(उत्तर प्रदेश) के पूर्व कुलपति हैंI
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें