बुधवार, 25 दिसंबर 2024

भारत के पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्मदिन सरकार और प्रशासन की जवाबदेही के बारे में जनता, विशेषकर युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। यह सेवा वितरण में सुधार के लिए नागरिक-केंद्रित के साथ-साथ कुशल और पारदर्शी शासन को बढ़ावा देता है। यह उस महान व्यक्तित्व को सर्वोत्तम श्रद्धांजलि है, जिनका जीवन ही सुशासन प्रशासन के लिए एक प्रेरणा, ध्रुव तारा है:डॉ.कमलेश मीना।


 भारत के पूर्व प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई जी का जन्मदिन सरकार और प्रशासन की जवाबदेही के बारे में जनता, विशेषकर युवा पीढ़ी के बीच जागरूकता पैदा करने के लिए मनाया जाता है। यह सेवा वितरण में सुधार के लिए नागरिक-केंद्रित के साथ-साथ कुशल और पारदर्शी शासन को बढ़ावा देता है। यह उस महान व्यक्तित्व को सर्वोत्तम श्रद्धांजलि है, जिनका जीवन ही सुशासन प्रशासन के लिए एक प्रेरणा, ध्रुव तारा है:डॉ.कमलेश मीना।

आज पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती है। राष्ट्र इस वर्ष 2024 को अटल बिहारी वाजपेयी की 100वीं जयंती मना रहा है: 25 दिसंबर, 2024 को भारत के सबसे आराध्य, सम्मानित, गौरवशाली और भारतीय लोकतंत्र के प्रतिष्ठित नेताओं में से एक, परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई साहब की 100वीं जयंती है। इस दिन को सुशासन दिवस के रूप में जाना जाता है, जिसमें उनके दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से देश पर उनके सकारात्मक प्रभाव का जश्न मनाया जाता है। वाजपेयी तीन बार प्रधानमंत्री रहे और उन्होंने भारत के 21वीं सदी के भविष्य को आकार देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनकी 100वीं जयंती पर, आइए आगे आएं और उनके प्रारंभिक जीवन, सार्वजनिक जीवन, राजनीतिक यात्रा और उनके बारे में कुछ दिलचस्प तथ्यों पर एक नज़र डालें जो हमें प्रेरित, प्रेरित और स्वच्छ, ईमानदारी और पारदर्शी राजनीति का मार्ग दिखाते हैं।

परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई साहब, 21वीं सदी के भारत निर्माता हैं जिन्होंने 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र के लिए आगे बढ़ने के लिए एक मजबूत नींव रखी। परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई साहब पूरे कार्यकाल तक सेवा करने वाले पहले गैर-कांग्रेसी प्रधानमंत्री थे। वाजपेयी भारतीय जनता पार्टी के सह-संस्थापकों में से एक और वरिष्ठ नेता थे। वह एक हिंदू राष्ट्रवादी स्वयंसेवी संगठन, आरएसएस के एक सच्चा राष्ट्रवादी और समर्पित सदस्य थे। वह एक हिंदी कवि और लेखक भी थे। भारतीय राजनीति में अटल बिहारी वाजपेई अजातशत्रु, जिनका कोई शत्रु न हो थे, क्योंकि उनमें सदैव अच्छे इंसान की छवि थी और विरोधी पक्षों से भी उनका कोई शत्रु नहीं था। आज 25 दिसम्बर भारतीय राजनीति एवं भारतीय जनमानस के लिए सुशासन का सुदृढ़ दिन है। आज पूरा देश हमारे नायक, यशस्वी परम श्रद्धेय भारत रत्न अटल को उस आदर्श व्यक्तित्व के रूप में याद कर रहा है, जिन्होंने अपनी सौम्यता, सरलता, सहृदयता और दयालुता से करोड़ों भारतीयों के मन में जगह बनाई।

 

श्री अटल बिहारी वाजपेयी साहब एक जनप्रिय व्यक्ति थे, जो जीवन भर अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं और राजनीतिक विचारधारा पर दृढ़ रहे। 13 अक्टूबर 1999 को, उन्होंने एक नई गठबंधन सरकार, राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन के प्रमुख के रूप में लगातार दूसरी बार भारत के प्रधानमंत्री के रूप में कार्यभार संभाला। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज (अब लक्ष्मीबाई कॉलेज) और डीएवी कॉलेज, कानपुर में अध्ययन किया। श्री अटल बिहारी वाजपेयी साहब की कभी शादी नहीं हुई और उनकी कोई संतान नहीं थी। राज्यसभा में एक भाषण के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने वाजपेयी को भारतीय राजनीति का भीष्म पितामह कहा था। जैसा कि हम जानते हैं कि भीष्म पितामह, हिंदू महाकाव्य महाभारत के उस पात्र का संदर्भ है जिसका दो युद्धरत पक्षों कौरवों और पांडवों ने सम्मान किया था। अटल बिहारी वाजपेई एक भारतीय राजनीतिज्ञ थे, जो तीन बार भारत के प्रधानमंत्री रहे, पहले 16 मई से 1 जून 1996 तक, और फिर 19 मार्च 1998 से 22 मई 2004 तक। पूर्व प्रधानमंत्री और 'भारतरत्न' अटल बिहारी वाजपेयी देश के एकमात्र ऐसे राजनेता थे, जो 4 राज्यों के 6 लोकसभा क्षेत्रों की नुमाइंदगी कर चुके थे। उत्तरप्रदेश के लखनऊ और बलरामपुर, गुजरात के गांधीनगर, मध्यप्रदेश के ग्वालियर और विदिशा और दिल्ली की नई दिल्ली संसदीय सीट से चुनाव जीतने वाले वाजपेयी इकलौते नेता हैं। अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को हुआ था, इस दिन को भारत में 'बड़ा दिन' कहा जाता है। उनके पिता पंडित कृष्णबिहारी वाजपेयी एक शिक्षक के रूप में काम करते थे और माँ कृष्णादेवी एक गृहिणी थीं। अटल बिहारी वाजपेयी जी अपने माता-पिता की 7वीं संतान थे। उनसे बड़े 3 भाई और 3 बहनें थीं। अटलजी के बड़े भाइयों को अवधबिहारी वाजपेयी, सदाबिहारी वाजपेयी तथा प्रेमबिहारी वाजपेयी के नाम से जाना जाता है। अटलजी बचपन से ही अंतर्मुखी और प्रतिभा संपन्न थे। जन्म और शिक्षा: उनकी प्रारंभिक शिक्षा सरस्वती शिक्षा मंदिर, गोरखी, बाड़ा, विद्यालय में हुई। यहां से उन्होंने 8वीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की। जब वे 5वीं कक्षा में थे, तब उन्होंने प्रथम बार भाषण दिया था। उन्हें विक्टोरिया कॉलेज में दाखिल कराया गया, जहां से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में वे छात्र संगठन से जुड़े। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रमुख कार्यकर्ता नारायण राव तरटे ने उन्हें बहुत प्रभावित किया। उन्होंने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शाखा प्रभारी के रूप में कार्य किया।  वाजपेयी न केवल भारतीय जनता पार्टी के बल्कि भारतीय राजनीति के भी एक चमकते व्यक्तित्व थे। विपक्षी दलों के नेता भी उनकी प्रतिभा और बुद्धि से प्रभावित थे। हर पार्टी के नेताओं से उनकी दोस्ती थी। वह किसी को पराया नहीं समझते थे। अपने ओजस्वी भाषण से लाखों की भीड़ को मंत्रमुग्ध कर देने वाले वाजपेयी की क्षमता सीमा से परे थी। सादगी की प्रतिमूर्ति और अपने विनम्र स्वभाव से लोगों के दिलों पर राज करने वाले अटल जी की नेतृत्व क्षमता अद्भुत थी।

राजनीतिक जीवन यात्रा : उनकी राजनीतिक यात्रा भारतीय लोकतंत्र के लिए एक प्रेरणा और चमत्कार है, जो कई उतार-चढ़ाव से गुजरी। वाजपेयी 1942 में राजनीति में उस समय आए, जब भारत छोड़ो आंदोलन के दौरान उनके भाई 23 दिनों के लिए जेल गए। 1951 में आरएसएस के सहयोग से भारतीय जनसंघ पार्टी का गठन हुआ तो श्‍यामाप्रसाद मुखर्जी जैसे नेताओं के साथ अटलबिहारी वाजपेयी की अहम भूमिका रही। वर्ष 1952 में अटल बिहारी वाजपेयी ने पहली बार लखनऊ लोकसभा सीट से चुनाव लड़ा, पर सफलता नहीं मिली। वे उत्तरप्रदेश की एक लोकसभा सीट पर हुए उपचुनाव में उतरे थे, जहां उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। अटल बिहारी वाजपेयी को पहली बार सफलता 1957 में मिली थी। 1957 में जनसंघ ने उन्हें 3 लोकसभा सीटों- लखनऊ, मथुरा और बलरामपुर से चुनाव लड़ाया। लखनऊ में वे चुनाव हार गए, मथुरा में उनकी जमानत जब्त हो गई, लेकिन बलरामपुर संसदीय सीट से चुनाव जीतकर वे लोकसभा में पहुंचे।

परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई के असाधारण व्‍यक्तित्‍व को देखकर उस समय के वर्तमान प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि आने वाले दिनों में यह व्यक्ति जरूर प्रधानमंत्री बनेगा। वाजपेयी तीसरे लोकसभा चुनाव 1962 में लखनऊ सीट से उतरे, लेकिन उन्हें जीत नहीं मिल सकी। इसके बाद वे राज्यसभा सदस्य चुने गए। बाद में 1967 में फिर लोकसभा चुनाव लड़े, लेकिन जीत नहीं सके। इसके बाद 1967 में ही उपचुनाव हुआ, जहां से वे जीतकर सांसद बने। इसके बाद 1968 में वाजपेयी जनसंघ के राष्ट्रीय अध्‍यक्ष बने। उस समय पार्टी के साथ नानाजी देशमुख, बलराज मधोक तथा लालकृष्‍ण आडवाणी जैसे नेता थे। 1971 में 5वें लोकसभा चुनाव में अटल बिहारी वाजपेयी मध्यप्रदेश के ग्वालियर संसदीय सीट से चुनाव में उतरे और जीतकर संसद पहुंचे। आपातकाल के बाद हुए चुनाव में 1977 और फिर 1980 के मध्यावधि चुनाव में उन्होंने नई दिल्ली संसदीय क्षेत्र का प्रतिनिधित्व किया। 1984 में अटलजी ने मध्यप्रदेश के ग्वालियर से लोकसभा चुनाव का पर्चा दाखिल कर दिया और उनके खिलाफ अचानक कांग्रेस ने माधवराव सिंधिया को खड़ा कर दिया जबकि माधवराव गुना संसदीय क्षेत्र से चुनकर आते थे। सिंधिया से वाजपेयी पौने 2 लाख वोटों से हार गए।

 

वाजपेयीजी ने एक बार जिक्र भी किया था कि उन्होंने स्वयं संसद के गलियारे में माधवराव से पूछा था कि वे ग्वालियर से तो चुनाव नहीं लड़ेंगे? माधवराव ने उस समय मना कर दिया था, लेकिन कांग्रेस की रणनीति के तहत अचानक उनका पर्चा दाखिल करा दिया गया। इस तरह वाजपेयी के पास मौका ही नहीं बचा कि वे दूसरी जगह से नामांकन दाखिल कर पाते। ऐसे में उन्हें सिंधिया से हार का सामना करना पड़ा। इसके बाद वाजपेयी 1991 के आम चुनाव में लखनऊ और मध्यप्रदेश की विदिशा सीट से चुनाव लड़े और दोनों ही जगहों से जीते। बाद में उन्होंने विदिशा सीट छोड़ दी।

        1996 में हवाला कांड में अपना नाम आने के कारण लालकृष्ण आडवाणी गांधीनगर से चुनाव नहीं लड़े। इस स्थिति में अटल बिहारी वाजपेयी ने लखनऊ सीट के साथ-साथ गांधीनगर से चुनाव लड़ा और दोनों ही जगहों से जीत हासिल की। इसके बाद वाजपेयी ने लखनऊ अपनी कर्मभूमि बना ली। वे 1998 और 1999 का लोकसभा चुनाव लखनऊ सीट से जीतकर सांसद बने। आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव में जनता पार्टी की जीत हुई थी और वे मोरारजी भाई देसाई के नेतृत्‍व वाली सरकार में विदेश मामलों के मंत्री बने। विदेश मंत्री बनने के बाद वाजपेयी पहले ऐसे नेता थे जिन्‍होंने संयुक्‍त राष्‍ट्र महासंघ को हिन्‍दी भाषा में संबोधित किया। इसके बाद जनता पार्टी अंतरकलह के कारण बिखर गई और 1980 में वाजपेयी के साथ पुराने दोस्‍त भी जनता पार्टी छोड़ भारतीय जनता पार्टी से जुड़ गए। परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई भाजपा के पहले राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष बने और वे कांग्रेस सरकार के सबसे बड़े आलोचकों में शुमार किए जाने लगे। 1994 में कर्नाटक तथा 1995 में गुजरात और महाराष्‍ट्र में पार्टी जब चुनाव जीत गई, तो उसके बाद पार्टी के तत्कालीन अध्‍यक्ष लालकृष्‍ण आडवाणी ने वाजपेयी को प्रधानमंत्री पद का उम्‍मीदवार घोषित कर दिया था। परम श्रद्धेय भारत रत्न श्री अटल बिहारी वाजपेई जी 1996 से लेकर 2004 तक 3 बार प्रधानमंत्री बने। 1996 के लोकसभा चुनाव में भाजपा देश की सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी और वाजपेयी पहली बार प्रधानमंत्री बने, हालांकि उनकी सरकार 13 दिनों में संसद में पूर्ण बहुमत हासिल नहीं करने के चलते गिर गई। 1998 के दोबारा लोकसभा चुनाव में पार्टी को ज्‍यादा सीटें मिलीं और कुछ अन्‍य पार्टियों के सहयोग से वाजपेयीजी ने एनडीए का गठन किया और वे फिर प्रधानमंत्री बने। यह सरकार 13 महीनों तक चली, लेकिन बीच में ही जयललिता की पार्टी ने सरकार का साथ छोड़ दिया जिसके चलते सरकार गिर गई। 1999 में हुए लोकसभा चुनाव में भाजपा फिर से सत्‍ता में आई और वे इस पद पर 2004 तक बने रहे। इस बार वाजपेयीजी ने अपना कार्यकाल पूरा किया। जनता के बीच प्रसिद्द अटल बिहारी वाजपेयी अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धता के लिए जाने जाते थे। 13 अक्टूबर 1999 को उन्होंने लगातार दूसरी बार राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन की नई गठबंधन सरकार के प्रमुख के रूप में भारत के प्रधानमंत्री का पद ग्रहण किया। वे 1996 में बहुत कम समय के लिए प्रधानमंत्री बने थे। पंडित जवाहर लाल नेहरू के बाद वह पहले ऐसे प्रधानमंत्री हैं जो लगातार दो बार प्रधानमंत्री बने। वरिष्ठ सांसद श्री वाजपेयी जी राजनीति के क्षेत्र में चार दशकों तक सक्रिय रहे। वह लोकसभा (लोगों का सदन) में नौ बार और राज्य सभा (राज्यों की सभा) में दो बार चुने गए जो अपने आप में ही एक कीर्तिमान है। भारत के प्रधानमंत्री, विदेश मंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष और विपक्ष के नेता के रूप में उन्होंने आजाद भारत देश की सेवा की। श्री वाजपेयी जी ने अपना करियर पत्रकार के रूप में शुरू किया था और 1951 में भारतीय जन संघ में शामिल होने के बाद उन्होंने पत्रकारिता छोड़ दी। आज की भारतीय जनता पार्टी को पहले भारती जन संघ के नाम से जाना जाता था जो राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन का अभिन्न अंग है। उन्होंने कई कवितायेँ भी लिखी जिसे समीक्षकों द्वारा सराहा गया। निजी जीवन में प्राप्त सफलता उनके राजनीतिक कौशल और भारतीय लोकतंत्र की देन है। भारतीय लोकतंत्र में वह एक ऐसे नेता के रूप में उभरे जो विश्व के प्रति उदारवादी सोच और लोकतांत्रिक आदर्शों के प्रति प्रतिबद्धता को महत्व देते थे। महिलाओं के सशक्तिकरण और सामाजिक समानता के समर्थक श्री वाजपेयी भारत को सभी राष्ट्रों के बीच एक दूरदर्शी, विकसित, मजबूत और समृद्ध राष्ट्र के रूप में आगे बढ़ते हुए देखना चाहते थे। उन्होंने ऐसे भारत का प्रतिनिधित्व और नेतृत्व किया जिस देश की सभ्यता का इतिहास 5000 साल पुराना है और जो अगले हज़ार वर्षों में आने वाली चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार है। उन्हें भारत के प्रति उनके निस्वार्थ समर्पण और पचास से अधिक वर्षों तक देश और समाज की सेवा करने के लिए भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान पद्म विभूषण और भारत रत्न दिया गया। 1994 में पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी भारत को  ‘सर्वश्रेष्ठ सांसद’ चुना गया। अपने नाम के ही समान, अटलजी एक प्रतिष्ठित राष्ट्रीय नेता, प्रखर राजनीतिज्ञ, नि:स्वार्थ सामाजिक कार्यकर्ता, सशक्त वक्ता, कवि, साहित्यकार, पत्रकार और बहुआयामी व्यक्तित्व वाले व्यक्ति थे। अटलजी जनता की बातों को ध्यान से सुनते थे और उनकी आकाँक्षाओं को पूरा करने का प्रयास करते थे। उनके कार्य राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण को दिखाते थे। रचनात्मक विविध विचारों और महान व्यक्तित्वों की मेरी रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" के माध्यम से मेरे द्वारा भारत रत्न परम श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेई साहब पर एक अलग अध्याय लिखा गया है, जिसमें वास्तव में हमारे लोकतंत्र के राजनेता, भारतीय राजनीति के नेता के रूप में उनकी गौरवशाली यात्रा शामिल है।

 पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी लंबे समय से बीमार रहने के कारण अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान यानी एम्स में भर्ती रहे, जहां उनका लंबा इलाज चला और 16 अगस्त 2018 को 93 वर्ष की उम्र में उनका निधन हो गया। परम श्रद्धेय भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेई को हम उनकी 100वीं जयंती पर पुष्पांजलि अर्पित करते हैं और जीवन भर अपने कार्यों के माध्यम से समर्पण, प्रतिबद्ध और जवाबदेह राजनीति के लिए भारतीय धरती पर ऐसे सबसे महान सपूत को शत-शत नमन करते हैं।

शनिवार, 21 दिसंबर 2024

अद्भुत रचनात्मक विचारों पर आधारित रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" अपने आप में ज्ञान-विज्ञान, अनुभव, मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ता, संवैधानिक भागीदारी, साझेदारी एवं सहभागिता, जनसरोकार, कृषि, भारतीय अनाज, शिक्षा, धारा 370, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, स्वतंत्रता सेनानी और ईमानदार व्यक्तित्व, राजनीति, नीतिगत समझ और अध्यात्म, योग,ध्यान एवं तर्कसंगत विचार, तार्किक चर्चा एवं वैज्ञानिक विचार-विमर्श के वास्तविक अर्थ की दृष्टि से बेहद खास पुस्तक है: डॉ.कमलेश मीना।

 


अद्भुत रचनात्मक विचारों पर आधारित रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" अपने आप में ज्ञान-विज्ञान, अनुभव, मीडिया, सामाजिक कार्यकर्ता, संवैधानिक भागीदारी, साझेदारी एवं सहभागिता, जनसरोकार, कृषि, भारतीय अनाज, शिक्षा, धारा 370, राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020, स्वतंत्रता सेनानी और ईमानदार व्यक्तित्व, राजनीति, नीतिगत समझ और अध्यात्म, योग,ध्यान एवं तर्कसंगत विचार, तार्किक चर्चा एवं वैज्ञानिक विचार-विमर्श के वास्तविक अर्थ की दृष्टि से बेहद खास पुस्तक है: डॉ.कमलेश मीना।

 

मित्रों, एक पुस्तक के माध्यम से अनेक विचारों का सृजनात्मक सृजन 📕 "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" अपने आप में एक अद्भुत लेखन संग्रह है जो हमारे राष्ट्र की एकता, हमारे देश के इतिहास, विविधता और हमारे नए भारत की संस्कृति और विरासत के बारे में बात करता है। मित्रों, यहां मैं इस पुस्तक की रचना के सबसे मुख्य पात्रों, अच्छी विशेषताओं के बारे में कहूंगा और कहना चाहूँगा- यह हमारे सामूहिक कार्यों, सहकारी प्रयासों और एक दूसरे के लिए "हम" की भावना के माध्यम से नए भारत के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने का एक नया मार्ग है। यह विचारों के सृजनात्मक सृजन, संवैधानिक समझ और तार्किक चर्चा-विचार-विमर्श का सर्वोत्तम संकलन है।

प्रिय मित्रों, आज की मेरी पुस्तक समीक्षा परिचर्चा एवं विचार-विमर्श अत्यंत विशेष पुस्तक 📕"समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" पर शिक्षा, सामाजिक परिवर्तन, प्रशासन, पुलिस प्रशासन, राष्ट्र के सबसे बड़े हित के लिए नीतिगत क्षेत्र में अपना योगदान देने वाले महत्वपूर्ण पात्रों, अच्छे संस्थानों और व्यक्तित्वों पर केन्द्रित है। आज की पुस्तक समीक्षा चर्चा हमारे राष्ट्र की एक महत्वपूर्ण नीति, 34 साल बाद लागू हुई शिक्षा नीति 2020 और भारतीय संसद द्वारा लिए गए एक ऐतिहासिक निर्णय, जम्मू-कश्मीर से धारा 370 ख़त्म करने का फैसला पर केंद्रित होगी जो पिछले 70 वर्षों से लंबित थे और यह सबसे बड़ी राजनीतिक रचनात्मक राजनीति इच्छा शक्ति हमारे सबसे भरोसेमंद, पूरी तरह से समर्पित और देश के हित के लिए प्रतिबद्ध सबसे जन प्रिय जन नेता परम श्रद्धेय हमारे माननीय प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा दिखाई गई है।

दोस्तों, इस पुस्तक समीक्षा चर्चा के माध्यम से हमारा उद्देश्य आप सभी को यह दिखाना है कि निश्चित रूप से इस पुस्तक को लिखने के लिए मेरे द्वारा किया गया प्रयास एक सही पहल थी, इसमें कोई संदेह नहीं है ताकि हमारे युवा, शिक्षाविद्, पत्रकार और नीति निर्माता, राष्ट्र के सबसे बड़े हित के लिए सुशासन और पारदर्शी प्रशासन, ईमानदार पुलिस अधिकारियों और ईमानदार शैक्षिक बदलावों और परिवर्तनों के महत्व को समझ सकें।

दोस्तों, बहुआयामी व्यक्तित्व की यह महत्वपूर्ण रचना मान्यवर कांशीराम साहब और 20वीं सदी के अंतिम दो दशकों में सामाजिक न्याय, समानता देने और लोकतंत्र में सबसे अधिक हाशिए पर रहने वाले समुदायों के खिलाफ भेदभाव को संविधान के माध्यम से दूर करने के लिए की गई उनकी सामाजिक बदलावों और परिवर्तनों पहलों के बारे में बात करती है।

प्रिय साथियों, यह पुस्तक 21वीं सदी के तीन सबसे महान शिक्षाविदों प्रोफेसर डॉ, नागेश्वर राव साहब, प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार नगावत और प्रोफेसर डॉ.शंभूनाथ सिंह साहब के बारे में बात करती है, प्रोफेसर नागेश्वर राव साहब ने दुनिया के सबसे बड़े मुक्त एवं दूरस्थ शिक्षा विश्वविद्यालय, जिसे इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय (इग्नू) के नाम से जाना जाता है, का नेतृत्व किया और अपने इग्नू के सबसे लंबे समय तक सेवारत कुलपति के रूप में उनके दूरदर्शी नेतृत्व में ईमानदार प्रयासों और समर्पण के माध्यम से इस प्रतिष्ठित विश्वविद्यालय की छवि और मुख्य उद्देश्यों का पुनर्निर्माण किया। इस पुस्तक समीक्षा चर्चा का दूसरा पक्ष एक केंद्रीय विश्वविद्यालय तेजपुर केंद्रीय विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह के बारे में है। इससे पहले प्रोफेसर शंभू नाथ सिंह साहब ने भारत के सबसे पुराने विश्वविद्यालय, पटना विश्वविद्यालय, बिहार का कुलपति के रूप में नेतृत्व किया था। प्रोफेसर शंभूनाथ सिंह साहब को युवा पीढ़ी में शिक्षा के माध्यम से परिवर्तन लाने और अपने दूरदर्शी शैक्षणिक नेतृत्व के माध्यम से कुशल आधारित कुशल युवा ताकतों का निर्माण करने के लिए जाना जाता है। प्रोफेसर डॉ अशोक कुमार नगावत दिल्ली कौशल और उद्यमिता विश्वविद्यालय (DSEU) के कुलपति हैं।

प्रिय मित्रों, यह पुस्तक इस बारे में बात करती है कि कैसे भारतीय राज्य जम्मू और कश्मीर से धारा 370 को हटाकर इस राज्य की जनता को एक पारदर्शी और सुशासन प्रशासन दिया गया जो 70 वर्षों से लंबित था। कैसे एक ईमानदार राजनीतिक नेतृत्व हमेशा मजबूत राजनीतिक इच्छा शक्ति के माध्यम से आम जनता के सबसे बड़े हित के लिए सर्वोत्तम कार्य करता है।

प्रिय मित्रों, यह पुस्तक भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के शीर्ष नौकरशाहों में से एक आदरणीय केएल मीना जी के बारे में बात करती है, जिन्होंने सबसे बड़े राज्य यूपी में पुलिस महानिदेशक के रूप में कार्य किया और कैसे उन्होंने आईपीएस के रूप में अपने 30-32 के कार्यकाल के दौरान पुलिस विभाग की छवि बदल दी। पूरे सेवाकाल में एक ईमानदार अधिकारी के रूप में कैसे रहा जा सकता है और राष्ट्र के लिए सौंपी गई जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के माध्यम से सर्वोत्तम कार्य कैसे किया जा सकता है, यह पुस्तक हमें खूबसूरती से दिखाती है।

प्रिय मित्रों, यह पुस्तक अपनी मुख्य विशेषताओं के साथ राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर केंद्रित है और इस शिक्षा नीति के महत्व के बारे में बताती है जिसे हमारे देश में 34 साल के लंबे अंतराल के बाद लागू किया गया था। 21वीं सदी के भारत के लिए राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 कितनी महत्वपूर्ण है? यह किताब 21वीं सदी में इसकी भूमिका के बारे में विस्तार से बताती है।

प्रिय मित्रों, प्रिय साथियों, आइए आज की इस पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श को इस प्रतिबद्धता और प्रतिज्ञा के साथ समाप्त करें कि हमारे राष्ट्र के सबसे बड़े हित के लिए हमारे जीवन में जो भी जिम्मेदारियां, कर्तव्य और जवाबदेहियां आएंगी, हम सभी अपनी भूमिका को ईमानदारी, शत-प्रतिशत समर्पण और पारदर्शी तरीके से निभाएंगे और हमेशा राष्ट्रहित का पालन करेंगे। हम जहां भी रहें और किसी भी पद पर रहें, अपने जीवन के कार्यों के माध्यम से भारतीय संविधान की विषयवस्तु को उजागर करें। मित्रों, आज की पुस्तक समीक्षा में हमारी सबसे पसंदीदा रचनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" पर इसके 9-12 अध्यायों में हमारे लोकतंत्र के उन महानतम व्यक्तित्वों की विशेषताएँ शामिल हैं जो हमारी संसद, संसदीय व्यवस्था, लोकतंत्र, मीडिया और पत्रकारिता के लिए आदर्श हैं और ये महान हस्तियाँ हमारी राजनीति में भी आज के समय के सर्वश्रेष्ठ रोल मॉडल हैं, पर चर्चा की जा रही है। दोस्तों, हम बात कर रहे हैं हमारे पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न स्वर्गीय श्री परम श्रद्धेय आदरणीय अटल बिहारी वाजपेई जी जिन्होंने गठबंधन सरकार के युग में हमारे देश का सबसे मजबूती और दृढ़ता के साथ सफल नेतृत्व किया। यह पुस्तक भारत के इस महानतम सपूत के बारे में उनके विशाल योगदान और उनकी उपलब्धियों के बारे में सुंदर तरीके से बताती है जो उन्होंने हमारे देश के लिए अपने 50 से अधिक वर्षों के राजनीतिक जीवन में अर्जित की।

मित्रों, अनेक विचारों और तर्कसंगत दृष्टिकोण की यह अनूठी रचनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" 21वीं सदी के हमारे सबसे लोकप्रिय, सबसे भरोसेमंद और राष्ट्र के लिए सबसे समर्पित राजनेता 21वीं सदी के प्रधानमंत्री परम आदरणीय श्रद्धेय श्री नरेंद्र मोदी जी के बारे में खूबसूरती से वर्णन करती है। ईमानदारी, पारदर्शिता और सुशासन तथा मजबूत नीति और दृढ़ता से समर्पित राजनीतिक नेतृत्व के माध्यम से राष्ट्र और उसके जनमानस के लिए विकास का मार्ग कैसे बनाया जा सकता है। यह पुस्तक हमें हमारे प्रिय प्रधानमंत्री परम श्रद्धेय श्री नरेंद्र मोदी जी के कार्यों के माध्यम से प्रतिबद्धता, दृढ़ संकल्प और सबसे पहले राष्ट्र की सेवा का भाव और भावना का मार्ग सिखाती है। यह पुस्तक हमारे शीर्षतम सम्मानित नेता परम श्रद्धेय श्री शरद पवार जी और उनके महान योगदान के बारे में बताती है। कैसे वह न केवल राजनीति में बल्कि कृषि, क्रिकेट, सहकारी आंदोलन और गांवों के विकास के क्षेत्र में भी एक दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से आज तक के सर्वश्रेष्ठ नेताओं में से एक के रूप में उभरे और शीर्ष पर बने हुए हैं।

प्रिय साथियों, यह पुस्तक हमारे बिहार के सबसे ईमानदार और जमीनी स्तर के नेता के बारे में ईमानदारी से वर्णन करती है, जो एक साधारण परिवार से आते हैं और बिना किसी राजनीतिक पृष्ठभूमि के बिहार के मुखिया की कुर्सी तक पहुंचे और एक पारदर्शी राजनीतिक दृष्टि से सबसे पिछड़े समुदायों को समानता देने के लिए जबरदस्त सामाजिक न्याय कार्य किया। हम बात कर रहे हैं परम श्रद्धये भारत रत्न और समाजवादी नेता आदरणीय परम श्रद्धेय कर्पूरी ठाकुर की। यह रचनात्मक रचना बिहार के सबसे लंबे समय तक सेवा करने वाले वर्तमान मुख्यमंत्री परम श्रद्धेय आदरणीय श्री नीतीश कुमार साहब और सुशासन के लिए उनकी पारदर्शी राजनीतिक दृष्टि के बारे में बात करती है। नीतीश कुमार एक भारतीय राजनेता हैं जिन्होंने सबसे पिछड़े राज्य बिहार में विकास का अर्थ स्थापित किया है और आज बिहार कई क्षेत्रों में तेजी से बढ़ते राज्य के रूप में जाना जाता है। इस पुस्तक के माध्यम से कुछ सर्वोत्तम कल्याणकारी योजनाओं को उनकी विशिष्ट विशेषताओं और शासन के अर्थ के साथ समझाया जा रहा है। वर्तमान मुख्यमंत्री परम श्रद्धेय आदरणीय श्री नीतीश कुमार ने बिहार राज्य में विकास की राह को शहर से लेकर गांव और गांव से लेकर जमीनी स्तर तक कैसे पहुंचाया और कैसे बदल दिया, किताब में इसका खूबसूरती से उल्लेख किया गया है। मित्रों, यह पुस्तक राजस्थानी आदिवासी नेता भैरव लाल काला बादल के महान व्यक्तित्व के बारे में खूबसूरती से वर्णन करती है जिन्होंने शिक्षा का संदेश देने के लिए जनता के बीच अपनी शाब्दिक बोली आधारित कविताओं के माध्यम से सामाजिक जागरूकता की वकालत की। प्रिय साथियों, मित्रों, आइए आज की पुस्तक समीक्षा चर्चा को इसी आशा और स्वप्न के साथ समाप्त करते हैं कि यह पुस्तक निश्चित रूप से हमारे युवाओं, बुद्धिजीवियों, मीडियाकर्मियों और सामाजिक, राजनीतिक, प्रशासनिक रूप से जागरूक लोगों को नए भारत की 21वीं सदी की अवधारणा को अनेक माध्यमों से समझने में सक्षम बनाएगी। महानतम व्यक्ति जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए योगदान दिया। हमारे लोकतंत्र के कुछ महानतम व्यक्ति जो अपने दूरदर्शी नेतृत्व के माध्यम से 21वीं सदी में 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाने में योगदान दे रहे हैं। आज की पुस्तक 📕 समीक्षा चर्चा 21वीं सदी की सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" पर विशेष रूप से राजस्थान के मीडिया जगत के महानतम व्यक्तित्वों पर केन्द्रित है, जिन्होंने अपनी मिशनरी और दूरदर्शी पत्रकारिता के माध्यम से भारत की आजादी से पहले और आजादी के बाद महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। आज की पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श के माध्यम से हम लोगों के जीवन की सेवा करने के लिए प्रतिष्ठित और अच्छी तरह से स्थापित चिकित्सा क्षेत्र से राजनीति में आने वाले व्यक्ति के बारे में सही विचार देने के लिए अपने ईमानदार प्रयास करेंगे। कैसे मध्य पूर्व राजस्थान के एक आदिवासी नेता ने अपने दूरदर्शी विचारों और शिक्षा प्रेरणा से आदिवासी जनता के जीवन को बदल दिया। कैसे एक महान राजनेता जिन्होंने अपनी ईमानदारी से समाजवाद और राजनीति की साझेदारी विरासत को स्थापित किया।

दोस्तों, यह पुस्तक अपने इस रचनात्मक लेखन के माध्यम से ईमानदारी से हमारे स्वतंत्रता सेनानियों के प्रयास का उल्लेख किया है जिन्होंने हमारे राष्ट्रपिता महात्मा गांधी जी के नेतृत्व में और अंग्रेजों के खिलाफ अपनी मिशनरी, दूरदर्शी पत्रकारिता के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन के लिए ईमानदारी और दृढ़ता से अपना जीवन लगा दिया। औपनिवेशिक शासन के दौरान वह हमेशा अंग्रेजों की नीति के सख्त खिलाफ रहे। हम बात कर रहे हैं हमारे महानतम स्वतंत्रता सेनानी और राजस्थान के अग्रणी समाचार पत्र के संस्थापक कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी जी की। यह पुस्तक भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन के दौरान उनके संघर्ष और कठिनाइयों पर खूबसूरती से प्रकाश डालती है। कैसे अपनी मिशनरी पत्रकारिता के जरिए ब्रिटिश हुकूमतों के खिलाफ लड़ाई लड़ी और कैसे उन्होंने राजस्थान के अग्रणी दैनिक नवज्योति अखबार को नई ऊंचाइयां दीं। मित्रों, विविध विचारों पर आधारित इस पुस्तक की सुंदर रचना के माध्यम से हमने अपने एक ईमानदार समाजवादी नेता के योगदान को साझा किया, जो भ्रष्टाचार मुक्त भारत के खिलाफ जेपी आंदोलन का हिस्सा थे और बाद में उन्होंने न केवल समाजवादी, समाजवाद और धर्मनिरपेक्षता के लिए बल्कि कैसे लोकतांत्रिक प्रक्रिया के माध्यम से हाशिए पर रहने वाले समुदाय को संवैधानिक अधिकार दिया जाए के लिए भी एक सच्ची विचारधारा स्थापित की। भारतीय इतिहास में वह शरद यादव हैं जो जीवन भर स्वतंत्र और निष्पक्ष राजनीति का हिस्सा रहे। साथियों, यह पुस्तक दीनबंधु चौधरी साहब के बारे में बात करती है जो भारत के प्रमुख समाचार पत्र के सबसे वरिष्ठ संपादक हैं और 89 वर्ष की आयु में भी इस मिशनरी काम को पूरे जुनून के साथ कर रहे हैं। आदरणीय दीनबंधु चौधरी साहब राजस्थान के सबसे पुराने समाचार पत्रों में से एक दैनिक नवज्योति के माध्यम से कप्तान दुर्गा प्रसाद चौधरी जी की विरासत को देख रहे हैं। यह रचनात्मक लेखन 1977-1980 में राजस्थान में जनता पार्टी सरकार के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री और भारत के पूर्व उपराष्ट्रपति परम श्रद्धेय भैरों सिंह शेखावत जी के महान नेतृत्व में राजस्थान के पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ. हरि सिंह जी के बारे में बात करती है। डॉ. हरि सिंह राजस्थान के सबसे महान किसान नेताओं में से एक थे, जिन्होंने शेखावाटी के किसानों की आवाज उठाई और अपने शैक्षिक प्रयासों से हजारों लड़कियों को शिक्षा का अवसर दिया। डॉ. हरि सिंह जी भारत के एक प्रसिद्ध सर्जन थे, जिन्होंने अपनी मेडिकल शिक्षा लंदन से ली और एसएमएस अस्पताल में सेवा की, बाद में वे राजस्थान में हाशिए पर रहने वाले समुदायों की भलाई के लिए राजनीति में कूद पड़े।

 

साथियों, इस पुस्तक में राजस्थान के आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी स्वर्गीय लक्ष्मी नारायण झरवाल जी और आदिवासी समाज के लिए उनके उत्कृष्ट योगदान का खूबसूरती से उल्लेख किया गया है।

आइए आज की पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श को इस प्रतिबद्धता और दृढ़ संकल्प के साथ समाप्त करें कि भविष्य में हमें जो भी जिम्मेदारियां और कर्तव्य दिए जाएंगे, हम अपनी जिम्मेदारियों और कर्तव्यों को पूरी जवाबदेही, निष्ठा और ईमानदारी से निभाएंगे और माँ भारती की इस भूमि की सेवा के लिए दृढ़ता से समर्पित, प्रतिबद्ध रहेंगे। मित्रों, 14 दिसंबर को मैंने अपने सोशल मीडिया पुस्तक समीक्षा खंड के माध्यम से अत्यंत विशिष्ट लिखित पुस्तक 📕 "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" के पहले छह अध्यायों के बारे में बात की थी और लगभग पिछले दो महीनों से मैं इस सर्वश्रेष्ठ रचनात्मक रचना के बारे में पुस्तक समीक्षाएँ लगातार लिख रहा हूं✍️ताकि हमारे युवा, बुद्धिजीवी, शिक्षाविद, प्रशासक, वरिष्ठ पत्रकार, संपादक, मीडिया छात्र, अधिवक्ता, आध्यात्मिक और ध्यान संस्थान और सामाजिक कार्यकर्ता इसके मुख्य पात्रों, पुस्तक📕 लेखन के प्रमुख उद्देश्य✍️ और अनूठी रचना को समझ सकें।

आज मैं इस रचनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" के लिए अपनी कड़ी मेहनत के परिणाम के अगले 7-8 अध्यायों के बारे में बात कर रहा हूं। यह पुस्तक हमारे राष्ट्रपिता और 20वीं सदी के सबसे मनमोहक व्यक्तित्वों में से एक मोहन दास कर्म चंद गांधी, जिन्हें सार्वभौमिक रूप से महात्मा गांधी जी के नाम से जाना जाता है, का खूबसूरती से और स्वतंत्र रूप से उल्लेख किया गया है। हमारे राष्ट्रपिता पर मैंने अलग-अलग अवसरों पर दो लंबे लेख लिखे और एक लेख गांधी जी की 150वीं जयंती के अवसर पर आकाशवाणी पर चर्चा की गई और मैंने ऑल इंडिया रेडियो स्टेशन (आकाशवाणी) जयपुर पर वार्ता दी और बाद में यह वार्ता राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी द्वारा प्रकाशित की गई और अकादमी ने अपनी प्रसिद्ध पत्रिका "बुनियाद" में महात्मा गांधी की 150वीं जयंती के उपलक्ष्य में एक विशेष संस्करण के रूप में गांधी के बारे में मेरे लेख को इस पत्रिका "गांधी के सपनों का भारत" में शामिल किया। जैसा कि हम जानते हैं कि महात्मा गांधी की 150वीं जयंती 2 अक्टूबर, 2018 से 2 अक्टूबर, 2020 तक मनाई गई। यह समारोह पूरे देश और दुनिया भर में आयोजित किया गया।

यह पुस्तक हमारे संविधान निर्माता, भारत के पहले कानून मंत्री और 20वीं सदी के महानतम व्यक्ति भारत रत्न डॉ. बाबा साहब भीम राव रामजी अंबेडकर जी के बारे में बात करती है और इस महानतम न्यायविद, तर्कसंगत विचारक, संविधान विशेषज्ञ, दुनिया के महानतम बुद्धिजीवी और सबसे पहले व्यक्ति डॉ बाबा साहब जिन्होंने न्याय के लिए लड़ाई लड़ी और समानता, सामाजिक न्याय, जाति, रंग, क्षेत्र, धर्म, लिंग और भाषा के आधार पर मानवता और इंसान के खिलाफ भेदभाव के लिए लड़ाई लड़ी, पर मेरे द्वारा लिखे गए तीन विशेष लेख हैं। सौभाग्य से इस वर्ष हम भारतीय संविधान की 75वीं वर्षगांठ मना रहे हैं और इस अवसर पर मेरी लिखित रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" हमारे बाबा साहब को हमारे देश का सबसे महत्वपूर्ण और महानतम व्यक्ति बनाती है। इस 📕पुस्तक के इन तीन अध्यायों के माध्यम से संविधान के मुख्य वास्तुकार और हमारे देश के कानूनों और संवैधानिक सम्मेलनों के बारे में खूबसूरती से बताया गया है और बताया गया है कि कैसे बाबा दूसरों की तुलना में एक वास्तविक व्यक्ति के रूप में अधिक महत्वपूर्ण हैं जिन्होंने सभी के लिए न्याय की लड़ाई लड़ी। बाबा साहब ने हम सभी को संवैधानिक रूप से समानता का सिद्धांत दिया। यह पुस्तक ब्रिटिश शासन के दौरान बाबा साहब के आरंभिक सामाजिक न्याय आंदोलन और मानवता के लिए समानता की मुख्य भूमिका के बारे में बताती है।

यह पुस्तक 20 वीं सदी में हमारे किसानों के दो महानतम वास्तविक नायकों के बारे में बात करती है, एक ने ब्रिटिश शासन में हमारे किसान आंदोलन का नेतृत्व किया रहबर-ए-आज़म सर छोटू राम दीन बंधु चौधरी जी और दूसरे ने स्वतंत्र भारत में किसानों की सबसे बड़ी आवाज का नेतृत्व किया, भारत रत्न हमारे देश के पूर्व प्रधानमंत्री चौधरी चरण सिंह।

 

चौधरी (सर) राम रिछपाल ओहल्यान उपनाम सर छोटू राम (जन्म-24 नवंबर 1881 - 9 जनवरी 1945) ब्रिटिश भारत के पंजाब प्रांत के एक प्रमुख राजनेता एवं विचारक थे। उन्होने भारतीय उपमहाद्वीप के ग़रीबों के हित में काम किया। इस उपलब्धि के लिए, उन्हें 1937 में 'नाइट' की उपाधि दी गई। राजनीतिक मोर्चे पर, वह नेशनल यूनियनिस्ट पार्टी के सह-संस्थापक थे, जिसने स्वतंत्रता-पूर्व भारत में संयुक्त पंजाब प्रांत पर शासन किया और भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस और मुस्लिम लीग को दूर रखा। यह रचनात्मक रचना सबसे वंचित समुदाय की वास्तविक आवाज़ और किसानों के नेता और देश के अन्नदाता चौधरी सर छोटू राम के बारे में बात करती है। सर छोटू राम ने कहा था कि 'किसान को लोग अन्नदाता तो कहते हैं, लेकिन यह कोई नहीं देखता कि वह अन्न खाता भी है या नहीं। जो कमाता है वही भूखा रहे यह दुनिया का सबसे बड़ा आश्‍चर्य है।' सर छोटू राम को दीनबंधु के नाम से भी जाना जाता है। रहबर का अर्थ होता है राह दिखाने वाला। चौधरी छोटूराम को रहबर का ख़िताब ऐसे ही नहीं दिया था समाज ने। वह किसान देहात के उत्थान के लिए दिन रात लगे रहते थे।

 

अनेक विचारों की सुंदर रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" स्वतंत्र देश में हमारे किसानों की आवाज के उभरते नेता के बारे में बात करती है और वह थे भारत रत्न चौधरी चरण सिंह एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे जिन्होंने 5वें प्रधानमंत्री के रूप में कार्य किया। 1979 से 1980 तक भारत के प्रधानमंत्री और जनवरी 1979 से जुलाई 1979 तक भारत के तीसरे उप प्रधानमंत्री रहे। उन्होंने भारतीय क्रांति दल के सदस्य के रूप में उत्तर प्रदेश के 5वें मुख्यमंत्री के रूप में कार्य किया। यह रचनात्मक रचना और भारत के बहुआयामी महानतम व्यक्तित्व का संकलन है और वास्तव में उन भारतीय नायकों के बारे में बात करती है जिन्होंने जनता के लिए लड़ाई लड़ी। चौधरी चरण सिंह (23 दिसंबर 1902 - 29 मई 1987), जिन्हें चरण सिंह के नाम से बेहतर जाना जाता है। भारत रत्न स्वर्गीय चौधरी चरण सिंह साहब एक भारतीय राजनीतिज्ञ और स्वतंत्रता सेनानी थे। चौधरी चरण सिंह साहब मुख्य रूप से स्वतंत्र भारत में अपनी भूमि और कृषि सुधार पहल के लिए जाने जाते थे।

मित्रों, आइए आज की पुस्तक चर्चा और पुस्तक समीक्षा को अध्यायानुसार समाप्त करें और आशा करें कि भारत के बहुआयामी महानतम व्यक्ति, जिन्होंने विभिन्न तरीकों से हमारे देश को सशक्त बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, बहु-विचारों की इस रचनात्मक रचना के लिए समर्पित हैं। निश्चित रूप से हमारे देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने का मिशन इस तरह के छोटे छोटे कदमों और रचनात्मक पहल के माध्यम से पूरा होगा। मित्रों, मेरी पुस्तक "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" इस खूबसूरत रचना के पहले अध्याय के रूप में हमारे महान व्यक्तित्व और महान व्यक्ति महात्मा भगवान सिद्धार्थ गौतम बुद्ध से विचार-विमर्श और बातचीत शुरू करती है। इस पुस्तक के माध्यम से मैंने व्यक्तिगत रूप से हमारी युवा पीढ़ी के लिए भगवान महात्मा बुद्ध की मुख्य विशेषताओं का वर्णन विस्तार से करने का प्रयास किया है ताकि वे अपने जीवन की सबसे बड़ी शिक्षा, जीवन का सबक, पाठों के माध्यम से हमारे देश की मुख्य नींव और भारतीय संस्कृति विरासत के मुख्य चरित्र को समझ सकें। इस पुस्तक के माध्यम से हमारे युवा हमारे महानतम व्यक्ति महात्मा सिद्धार्थ गौतम बुद्ध द्वारा हमारे देश को दिए गए योगदान को जानने का अवसर प्राप्त कर सकते हैं। गौतम बुद्ध, जिन्हें बुद्ध या भगवान बुद्ध के नाम से भी जाना जाता है, एक तर्कसंगत धार्मिक शिक्षक, वैज्ञानिक विचारक और बौद्ध धर्म के संस्थापक थे।

मित्रों, यह पुस्तक हमारे प्राचीन महाकाव्य युग और भारत के वास्तविक खाद्य उत्पादन के बारे में बात करती है जो एक समय हमारी मुख्य ताकत थी और मानव शरीर के दिमाग, सक्रिय स्वस्थ जीवन शैली और शारीरिक फिटनेस के लिए कई पोषक तत्वों और ऊर्जा का स्रोत थी। आज क्या हो रहा है? क्यों हम अपने शरीर की स्टेमिना, रोग प्रतिरोधक क्षमता खोते जा रहे?, स्वास्थ्य हम सभी के लिए अधिक चिंता का विषय क्यों बनता जा रहा है? क्यों हमारा स्वास्थ्य और शारीरिक गड़बड़ी है? प्रारंभिक अवस्थाओं और उम्र में हमारा स्वास्थ्य हम सभी के लिए अधिक चिंता का विषय क्यों बनता जा रहा है? हम अपने ही खाद्य उत्पादन, खाने की वस्तुओं से कैसे पटरी से उतर गए? कैसे हम बेकार फास्ट फूड और जंक फूड में फंस गए?

 

मित्रों, दूसरे और तीसरे अध्याय के रूप में यह पुस्तक हमारे दो सबसे महान सामाजिक और धार्मिक क्रांतिकारी और वास्तविक आध्यात्मिक व्यक्ति शिरोमणि संत रवि दास और हमारे देश के सबसे महान तर्कसंगत विचारक और वैज्ञानिक गुरु संत कबीर दास के बारे में उनकी तार्किक शिक्षा, छंद, श्लोक और कविता की सुंदर व्याख्या के साथ किसी भी प्रकार के भेदभाव के बिना समानता, न्याय, सम्मान, व्यक्तिगत गरिमा और एक-दूसरे का सम्मान करने की करने की बात और वकालत कहती है। यह पुस्तक हमारे समाज और युवाओं के बीच न्याय, समानता और तर्कसंगत सोच की वकालत करती है। यह पुस्तक इस बात की वकालत करती है कि हमारे समाज और युवाओं के बीच न्याय, समानता और तर्कसंगत सोच की अवधारणा, धारणा और सोच को कैसे विकसित किया जाए।

मित्रों, यह पुस्तक "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" 19वीं सदी के दो महानतम व्यक्तियों महामना महात्मा ज्योतिबा फूले और माता सावित्री बाई फूले के बारे में बात करती है, जो भारत के पहले शिक्षाविद् थे जिन्होंने समानता, महिला शिक्षा और मानव समाज के लिए शिक्षा के महत्व को आधार बनाकर सबसे भयानक और अंधकारमय युग में हमारे आज की शिक्षा प्रणाली की नींव रखी थी।

मित्रों, मैं आप सभी से अनुरोध करता हूं कि आप मेरी इस रचना को समर्थन देने के लिए आगे आएं ताकि इस पुस्तक की अधिकतम पहुंच जन-जन और हमारे युवाओं तक हो सके ताकि हम 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने की राह पर आगे बढ़ सकें।

हमारे सबसे आदरणीय पंथ प्रधान प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी हमारे देश के इस महानतम मिशन पर 365 दिनों के साथ 24 घंटे कड़ी मेहनत कर रहे हैं। हमारे प्रधानमंत्री साहब हमारे देश को 2047 तक सबसे सफल और विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कड़ी मेहनत कर रहे हैं और हम सभी को अपने प्रधानमंत्री के साथ हाथ मिलाकर इस मिशन में शामिल होना होगा। हाल ही में वाइब्रेंट गुजरात ग्लोबल समिट 2024 के दौरान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के लिए 25 साल की योजना का खुलासा किया। इस योजना का लक्ष्य 2047 तक भारत को एक विकसित राष्ट्र बनाना है, संयोग से वह समय देश की आजादी के शताब्दी समारोह का समय होगा। मित्रों, अनेक विचारों की यह रचना: समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास '' में 57 अध्याय हैं जिनमें हमारे देश की कई महान हस्तियों के बारे में बताया गया है जिन्होंने हमारे राष्ट्र के लिए राजनीति, आदिवासी जनजातीय समुदाय, संस्कृति विरासत, किसान और छात्र, प्रशासन, न्यायपालिका, मीडिया, आध्यात्मिकता और योग ध्यान, सामाजिक गतिविधियों, शैक्षणिक जिम्मेदारी और कृषि विकास पर गहरा प्रभाव डालने के लिए अपने व्यक्तिगत जीवन का बलिदान दिया। वे अपने कार्यों, ईमानदार प्रयासों और जवाबदेही के साथ अपनी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों के प्रति वास्तव में समर्पित और जुनून के माध्यम से लोगों के जीवन के लिए जिए। अपनी पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श के माध्यम से हम प्रत्येक अध्याय के कुछ विशिष्ट गुणों, विशेषताओं और महत्वपूर्ण पहलुओं के साथ अध्यायवार चर्चा करने का प्रयास करेंगे ताकि हमारे पाठक हमारे इस प्रकाशन को पढ़ने से पहले इस पुस्तक के मुख्य विषयों को जान और समझ सकें। मेरी इस सोशल मीडिया चर्चा के माध्यम से हमारे पाठक इस रचना के पीछे के मुख्य विचारों और इस पुस्तक और लेखन उद्देश्य के माध्यम से पाठकों के लिए जवाबदेही के इस अद्भुत बहुमुखी संकलन के मुख्य उद्देश्यों को समझ सकेंगे। इस पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श के माध्यम से इस पुस्तक का संक्षिप्त विवरण, अवधारणा, सही दृढ़ता और धारणाएं देने का प्रयास किया ताकि हमारे वास्तविक हितधारक इस स्थिति में हों कि उन्हें इसे पढ़ना चाहिए या नहीं। उन्हें इसे क्यों पढ़ना चाहिए आदि प्रश्नों के उत्तर वे मेरी पुस्तक समीक्षा चर्चा के माध्यम से प्राप्त कर सकते हैं।

मित्रों, मैं इस रचनात्मक रचना के बारे में फिर से कहना चाहूँगा कि निश्चित रूप से यह पिछले एक दशक में मेरे सोशल मीडिया और कुछ समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के माध्यम से विभिन्न अवसरों और दिनों पर लिखे गए मेरे लेखों का एक अद्भुत, सुंदर और तर्कसंगत विचारों पर आधारित संकलन होगा।

मित्रों, आज के भारत को बनाने में अनेक लोगों के योगदान "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" की रचनात्मक रचना ही हमारी विविधतापूर्ण संस्कृति, विरासत और लोकतंत्र के सामूहिक कार्यों, सहयोग और एकता के परिणामों का एक प्रयास है। कई सुंदर, मनमोहक और तर्कसंगत विचारों का यह सुंदर संकलन निश्चित रूप से हमें अधिक सशक्त बनाता है, हमारे देश के इतिहास और समाज की विरासत को हम सभी के लिए समझना अधिक आसान बनाता है। हमारे राजनेताओं, प्रशासनिक अधिकारियों, सामाजिक कार्यकर्ताओं, शिक्षाविदों और नौकरशाहों ने जीवन भर हमारे देश के लिए क्या किया है? यह पुस्तक हमें उनके योगदान को खूबसूरती से दिखाती है। यह मेरे द्वारा अध्ययन के दिनों से लेकर आज तक के व्यक्तिगत रूप से किए गए लंबे समय के संघर्ष के परिणामों की एक रचनात्मक रचना है। यह मेरे पूरे जीवन के अपने अनुभव पर आधारित है जो मैंने बचपन से लेकर आज तक अलग-अलग जिम्मेदारियों और कर्तव्यों से अर्जित किया है। यह हमारे युवाओं, हमारे समाज, हमारे राष्ट्र और हमारे देश के आज के मंच पर योगदान देने वाले कई व्यक्तियों को प्रेरित करने के लिए सबसे अच्छी रचना है।

आइए, विभिन्न अवसरों और विभिन्न दृष्टिकोणों पर मेरे द्वारा लिखे गए कई लेखों के इस सुंदर संकलन के माध्यम से अपने देश की सही विरासत को समझने के लिए आगे आएं। मित्रों, एक पुस्तक के माध्यम से अनेक विचारों का सृजनात्मक सृजन 📕 "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" अपने आप में एक अद्भुत लेखन संग्रह है जो हमारे राष्ट्र की एकता, हमारे देश के इतिहास, विविधता और हमारे नए भारत की संस्कृति और विरासत के बारे में बात करता है।

मित्रों, यहां मैं इस पुस्तक की रचना की सबसे अच्छी विशेषता के बारे में कहूंगा- यह हमारे सामूहिक कार्यों, सहकारी प्रयासों और एक दूसरे के लिए हम की भावना के माध्यम से नए भारत के प्रत्येक नागरिक को सशक्त बनाने का एक नया मार्ग है। यह विचारों के सृजनात्मक सृजन, संवैधानिक समझ और तार्किक चर्चा-विचार-विमर्श का सर्वोत्तम संकलन है।

यहां मैं इसके बारे में कहना चाहूंगा "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" कई महान व्यक्तित्वों की सुंदर रचना है, जिसमें जीवन भर राष्ट्र के प्रति उनके समर्पण, प्रतिबद्धताओं और जुनून का संकलन है और यह पुस्तक खूबसूरती से वर्णन करती है कि सच्चा राष्ट्रवादी कैसे बनें। हम अपने कर्मों से ही सच्चा देशभक्त और सच्चा इंसान बन सकते हैं। जीवन की सृजनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" जो एक ही मंच पर अनेक व्यक्तित्वों के विचारों और सीखने, सिखाने और पढ़ने के तरीके का एक संकलन है। यह अब तक पढ़ी और देखी गई किताब की सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है और कवर पेज का डिज़ाइन, सामग्री संकलन, अध्याय की अनुक्रमणिका और लेखों का स्वाद अब तक पढ़ी गई किताबों से बिल्कुल अलग है। यह पुस्तक हमें महान व्यक्तित्वों, विशाल पहलों, लोकतंत्र की कल्याणकारी अवधारणा, जीवन के सिद्धांतों, आध्यात्मिक विकास और संयुक्त भारत की अवधारणा को समझने का तरीका सिखाती है। मैं इस पुस्तक के बारे में कहना चाहूंगा कि यह लेखन के क्षेत्र में और वैज्ञानिक विचारों वाले एक तर्कसंगत व्यक्ति द्वारा अकादमिक उपलब्धि के क्षेत्र में सर्वश्रेष्ठ रचनाओं में से एक है। निश्चित रूप से यह पुस्तक हमारे युवाओं, बुद्धिजीवियों और समाजवादी, उदार और स्वतंत्र और निष्पक्ष मीडिया के लिए नए भारत के सभी पहलुओं और दृष्टिकोणों, विचार को समझने का एक सही तरीका होगी जो संयुक्त भारत, मजबूत राष्ट्र और सशक्त जनता के विचार को सीखने, सिखाने और पढ़ने का अवसर प्रदान करती है। यह हम सभी के लिए वैचारिक रूप से मजबूत रचना है जो हमें सिखाती है कि भ्रष्टाचार मुक्त राष्ट्र, समाज और प्रशासन बनाने के लिए कठोर और सही निर्णय कैसे लें, देश के सबसे वंचित समुदायों को विकास की मुख्यधारा में लाने के लिए उन्हें सशक्त बनाने की पहल कैसे करें और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश का नेतृत्व करने के लिए सही नेतृत्व कैसे रखा जाए।

यह पुस्तक हमें दिखाती है कि एक-दूसरे की भलाई के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष सुशासन कैसे सुनिश्चित किया जाए।व्यक्तिगत और भाई-भतीजावाद के हित से ऊपर देश के हित को कैसे आगे बढ़ाया जाए। गलत चीजों को कैसे ना कहें, आम जनता के हितों को किसी विशिष्ट समूह या व्यक्ति के हितों से ऊपर कैसे रखा जाए। इस पुस्तक में हमारे युवाओं को मजबूत और सशक्त बनाने के उद्देश्य से सभी अवधारणाओं, पहलुओं और धारणाओं को एक मंच पर एकत्रित करने का प्रयास किया गया है ताकि वे सही चीज़, सार्थक सामग्री और ज्ञानवर्धक जानकारी सीखने, सिखाने और पढ़ने के तरीके को समझ सकें। मित्रों, मेरे (डॉ.कमलेश मीना) द्वारा लिखित "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" में अनेक विचारों, संस्कृति और व्यक्तित्वों की कला, कौशल, बुद्धिमत्ता का समावेश किया गया है। निश्चित रूप से 📕पुस्तक के आकार की यह रचनात्मक रचना हमारे राष्ट्र के विचारों, विचारधारा और संस्कृति को समझने का एक नया तरीका है। यह 📕पुस्तक आपको आपकी देशभक्ति, राष्ट्र और इसके लोगों के जीवन के प्रति आपकी निष्ठा को मजबूत करने के लिए एक सही गंतव्य, दिशा, मंच और विचारधारा प्रदान करेगी। यह आज के समय में हमारे राजनीतिक नेताओं के लिए बहुत ही जीवंत, आकर्षक और भावुकता से भरा होगा, जहां हम विश्वसनीयता, विश्वास और पारदर्शिता की कमी, ईमानदार चरित्र के संकट से गुजर रहे हैं। निश्चित रूप से यह पुस्तक राजनीति, राजनेताओं, प्रशासन, अच्छे इंसानों और सामाजिक प्राणियों पर विश्वास पैदा करती है जो अभी भी हमारे समाज का हिस्सा हैं और अपने समर्पित जुनून और देशभक्ति के माध्यम से एक मजबूत राष्ट्र बनाने के लिए ईमानदारी से काम कर रहे हैं।

एक वाक्य में मैं कहना चाहूंगा कि अनेक लेखों के संकलन की रचनात्मक रचना हमारे राजनेताओं, राजनीति, प्रशासन, मीडिया, न्यायपालिका, मानव और मानवता पर विश्वास को फिर से स्थापित करेगी। यह 📕पुस्तक उत्कृष्ट गुणवत्ता आधारित पात्रों से भरी है जिन्होंने अपने जीवन का बलिदान दिया और कुछ अभी भी अपनी जिम्मेदारियों, कर्तव्यों के माध्यम से राष्ट्र के लिए जबरदस्त काम कर रहे हैं और एक ऐसा समाज, राष्ट्र और मानवता बनाने के लिए पूरी तरह से जवाबदेह हैं जहां हर कोई अपनी जिम्मेदारियों, राष्ट्र, समाज, ब्रह्मांड और मानव के लिए अपने कर्तव्यों को समझता है। यह सुंदर विचारों, श्रेष्ठ चरित्रों, सच्चे नेताओं, ईमानदार प्रशासन, समर्पित मीडिया, स्वतंत्र और निष्पक्ष न्यायपालिका और अच्छे इंसान की रचना है।

 मित्रों, यह अनेक विचारों, विचारधाराओं और व्यक्तित्वों के बहुआयामी महानतम संयोजन का सृजन है, जिन्होंने राष्ट्र और उसके विकास तथा उसे आज का स्वरूप देने के लिए अपना जीवन, जीवन का आनंद और परिवार का बलिदान दे दिया।

यह रचनात्मक सृजन "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" जो नए भारत को नई आवाज और पहचान देने के लिए विचारों का एक तरीका है और सशक्त बनाने का एक प्रयास है। विविधतापूर्ण विचारों की रचना "समावेशी विचार: नये भारत को समझने का एक प्रयास" हमारे देश की अनेक महान विभूतियों का संकलन है। यह सृजन संचार की खाई और अराजकता को समाप्त करेगा, वास्तविक नीतियों, वास्तविक राजनीतिक, सामाजिक, आर्थिक, कृषि, प्रशासन और मानवता आधारित नेताओं को उनके काम, ईमानदारी, समर्पण, राष्ट्र के प्रति जुनून, प्रतिबद्धता और जवाबदेही से भरपूर कर्तव्य, जिम्मेदारियों के प्रति दृढ़ संकल्प के माध्यम से समझेगा। ताकि एक सशक्त राष्ट्र, समाज, आर्थिक विकास और पारदर्शी प्रशासन का निर्माण हो सके। हमें यकीन है कि यह रचना हमारे युवाओं, शिक्षित पीढ़ी और बौद्धिक समुदायों को समावेश आधारित सामूहिक समाज बनाने का रास्ता दिखाएगी। यह रचनात्मक रचना अपने विभिन्न अध्यायों और व्यक्तित्वों के माध्यम से पाठकों और दर्शकों के लिए बहुत अलग और विशेष स्वाद और जायका वाली रचना होगी। यह पुस्तक 📕 भारत के बहुआयामी व्यक्तित्वों, विविध विचारों और अध्यायों के अद्भुत क्रम से परिपूर्ण है जो नए भारत के विचार पर खूबसूरती से विस्तार से चर्चा और विचार-विमर्श करती है। यह किताब 📕  हमें एक-दूसरे की जरूरतों और आवश्यकताओं को समझने का सही रास्ता दिखाती है। यह उचित एवं प्रभावी विस्तार के साथ सही दिशा में किया गया एक प्रयास है।

अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि हम आज की पुस्तक समीक्षा के माध्यम से यह बताना चाहेंगे कि यह रचना हमारी संस्कृति, विविधता एवं समर्पित सेवाएँ, जमीनी स्तर को मजबूत करने और हमारे सामूहिक प्रयासों के माध्यम से 2047 तक एक संयुक्त राष्ट्र के प्रति सहयोग एवं विकसित राष्ट्र के सपने को पूरा करने का एक अद्भुत, प्रेमपूर्ण और सुंदर प्रयास होगा। यह पुस्तक कहती है कि हमारे सामूहिक प्रयास, एकजुट सहयोग के माध्यम से राष्ट्र के प्रति हमारा समर्पण और समर्पित सेवाएँ हमेशा प्राथमिकता और ईमानदारी पर आधारित होनी चाहिए। हमारी रचनात्मक रचना "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" के कवर पेज, पेज सेटिंग, प्रूफरीडिंग, संपादन और लेआउट डिजाइन को अंतिम रूप देने के अंतिम चरण तक पहुंचने की हमारी यात्रा वास्तव में बहुत व्यस्त थी,

इसकी सामग्री के हर पन्ने, शब्द और वाक्य पर ध्यान केंद्रित करना आसान काम नहीं था, लेकिन सामग्री के हर पन्ने, शब्द और वाक्य को बहुत ध्यान से जांचा और यह आसान काम नहीं था, लेकिन हम दोनों ने लेखक और प्रकाशक के रूप में अपनी जिम्मेदारी और कर्तव्य को पूरी जवाबदेही के साथ पूरा किया और आखिरकार हमने इसे पूरे उत्साह, जुनून और समर्पित तरीके से किया, इसके बारे में कोई संदेह नहीं है। इस खूबसूरत रचना का हिस्सा होने के नाते हमने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया। अब वास्तविक हितधारकों द्वारा यह तय करने का समय आ गया है कि पाठक इसकी सामग्री और इसके दृष्टिकोण पर क्या सोचते हैं। उनके विचार, उनका समर्थन और उनका प्यार इस खूबसूरत रचनात्मक रचना का भविष्य तय करेंगे।

 

आइए इस उम्मीद के साथ आगे आएं कि यह सृजन हमारे देश को 2047 तक एक विकसित राष्ट्र बनाने के मिशन का हिस्सा होगा जब हम सभी स्वतंत्रता दिवस की वर्षगांठ के 100 साल मनाएंगे। हमारी 100वीं स्वतंत्र वर्षगांठ के इस महान उत्सव पर, निश्चित रूप से इस रचनात्मक रचना को विकसित राष्ट्र के मिशन में इसके छोटे से समर्थन के लिए हम सभी द्वारा धन्यवाद दिया जाएगा।

दोस्तों, वास्तव में हम इस रचना के लिए आपके अप्रत्यक्ष समर्थन के लिए आभारी हैं जो बहुत महत्वपूर्ण था जो आपने सोशल मीडिया के माध्यम से अप्रत्यक्ष रूप से अपनी प्रेरणा से हमें दिया। आइए हम इस कड़ी मेहनत वाली लंबी प्रक्रिया वाली लेखन रचना के माध्यम से अपने दर्शकों, पाठकों और वास्तव में हितधारकों के लिए सर्वश्रेष्ठ की आशा करें। यह भारत के बहुआयामी व्यक्तित्वों का संग्रह है जो राष्ट्र के लिए उनके विशाल और वास्तविक योगदान को सुंदर, ईमानदारी और प्रत्यक्ष रूप से विस्तृत करता है।

मित्रों, आज की पुस्तक समीक्षा वार्ता मेरे (डॉ.कमलेश मीना) द्वारा लिखे गए कई लेखों जिन्हें सोशल मीडिया, समाचार पत्रों और पत्रिकाओं के लिए लिखे गए लेखों की बेहद खास रचना कई विचारों पर आधारित पुस्तक है और पुस्तक शीर्षक- "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" के रूप में संकलित किया गया है।

यह गौतम बुक कंपनी, जयपुर राजस्थान द्वारा प्रकाशित पुस्तक है और यह आखिरी पुस्तक समीक्षा चर्चा पुस्तक के शेष पात्रों पर आधारित है। कवर पेज पर जगह की कमी, पुस्तक प्रकाशक नीति और पुस्तक प्रकाशन के नैतिक मानकों के कारण सभी पात्रों की तस्वीरें कवर पेज पर रखना संभव नहीं था। यह किताब सौरभ भगत, हुकुम सिंह जैसे शीर्ष सबसे कुशल नौकरशाहों के बारे में बात करती है। आईएएस सौरभ भगत जम्मू-कश्मीर में अपने दूरदर्शी प्रभावी नेतृत्व के माध्यम से अपनी सौंपी गई जिम्मेदारियों और कर्तव्यों के माध्यम से केंद्र सरकार और राज्य सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को जमीनी स्तर पर लागू करके आम जनता को लाभ देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं। प्रधानमंत्री पुरस्कार विजेता नौकरशाह हुकुम सिंह ने बिहार राज्य में भूमि सुधार को सुव्यवस्थित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और वर्तमान में केंद्रीय प्रशासनिक न्यायाधिकरण सदस्य (कैट) की जिम्मेदारी निभा रहे हैं।

यह पुस्तक राजस्थान के सबसे सफल सामाजिक क्रांतिकारी नेता परम श्रद्धेय स्वर्गीय कर्नल किरोड़ी बैंसला साहब के बारे में बात करती है और कैसे दूरदर्शी कुशल नेतृत्व ने उनके प्रेरणादायक व्यक्तित्व के माध्यम से राजस्थान में सबसे पिछड़े समुदायों की दुर्दशा को बदल दिया। कैसे कर्नल किरोड़ी बैंसला साहब राजस्थान ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर सबसे प्रभावशाली सामाजिक नेता बनकर उभरे। यह पुस्तक "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" राजस्थान के एक आदिवासी साधारण लड़के प्रोफेसर राम चरण मीना के बारे में बात करती है जिन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय में प्रोफेसर का पद हासिल किया। यह पुस्तक एक ऐसे लड़के की यात्रा का खूबसूरती से वर्णन करती है जिसने अपनी शिक्षा भारत के सर्वोच्च विश्वविद्यालय जवाहर लाल नेहरू (जेएनयू) से ली।

यह पुस्तक एक महिला इंदिरा मीना के बारे में बात करती है जो सबसे अधिक शिक्षित बाहुल्य क्षेत्र बामनवास से लगातार दो बार विधायक का चुनाव जीतती हैं। यह किताब उनके गांव से लेकर राजस्थान विधानसभा तक के सफर के बारे में बात करती है। यह पुस्तक डॉ. मनोज पटैरिया जी के विज्ञान संचार के क्षेत्र में उनके योगदान और वैज्ञानिक स्वभाव आधारित मानव समाज के निर्माण के लिए तर्कसंगत चर्चा की पहल के बारे में बात करती है।

यह पुस्तक कृषि आधारित शीर्ष पत्रकार डॉ. महेंद्र मधुप साहब फाउंडर, मिशन फार्मर साइंटिस्ट परिवार के बारे में बात करती है, जिन्होंने हमेशा किसान समुदाय को सशक्त बनाने के लिए कृषि के क्षेत्र में विज्ञान और नवाचार आधारित प्रौद्योगिकी के माध्यम से कृषि उत्पादन और उत्पादों के महत्व को बढ़ाने की वकालत की। डॉ मधुप साहब को उनके जैविक खाद्य रसायन, विज्ञान ज्ञान और कृषि सुधार पहल के माध्यम से कृषि के लिए सुधारक वैज्ञानिक के रूप में जाना जाता है। मेरी यह खूबसूरत रचनात्मक रचना दिल्ली कौशल और उद्यमिता विश्वविद्यालय (DSEU) (डीएसईयू) के कुलपति प्रोफेसर अशोक नगावत जी के बारे में उनकी शैक्षणिक उपलब्धि और दूरदर्शी विचारों के बारे में बात करती है।

 

"समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" दुनिया के सबसे बड़े आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के बारे में बात करता है जिसे प्रजापिता ब्रह्मा कुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, माउंट आबू राजस्थान के नाम से जाना जाता है। इस पुस्तक में ब्रह्माकुमारी आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के प्रयासों के बारे में आध्यात्मिक चर्चा और विचार-विमर्श के माध्यम से भारत को योग और ध्यान की भूमि बनाने में सबसे बड़े योगदान का खूबसूरती से उल्लेख किया गया है। इस प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय, राजयोग शिक्षा और अनुसंधान फाउंडेशन और इस आध्यात्मिक विश्वविद्यालय के अन्य विंग के माध्यम से दुनिया के इस सबसे बड़े आध्यात्मिक विश्वविद्यालय ने कैसे शांति के लिए ध्यान, विश्व के लिए आशा, जीवन के लिए ज्ञान और जीवन के एक तरीके के रूप में आध्यात्मिकता की खोज की सही अवधारणा दी, इस आध्यात्मिक यात्रा के बारे में खूबसूरती से बताया जा रहा है।

यह पुस्तक भारतीय मीडिया की यात्रा और इतिहास के बारे में बात करती है और लोकतंत्र में मीडिया एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, इसका तर्कसंगत विचारों के साथ वर्णन करती है। लोकतंत्र के आधार को मजबूत करने के लिए हमारे मीडिया को कैसे सशक्त होना चाहिए, यह किताब ईमानदारी से इसके बारे में बताती है। यह पुस्तक इस पुस्तक के लेखक डॉ. कमलेश मीना की कठिन यात्रा के बारे में भी खूबसूरती से वर्णन करती है और डॉ. मीना को अपने जीवन में किस तरह के संघर्ष का सामना करना पड़ा, इस पुस्तक में उनके जीवन पर भी प्रकाश डाला गया है।

आइए अंतिम पुस्तक समीक्षा चर्चा और विचार-विमर्श को इस आशा के साथ समाप्त करें कि पुस्तक का परिणाम निश्चित रूप से समाज, हमारे युवाओं और राष्ट्र को अपनी बहुमूल्य जानकारी, ज्ञान, अनुभव और तर्कसंगत विचार के माध्यम से मिलेगा। मैं यहां कहना चाहूंगा कि यदि आप दुनिया को जीतना चाहते हैं, तो अपने जीवन में ईमानदारी, निष्ठा और समर्पण के साथ अपने नियमों का पालन करें। जीवन में सफलता पाने का यही एकमात्र रास्ता है, इसके अलावा कोई रास्ता नहीं है।

अंत में, आखिरी और अंतिम लेकिन महत्वपूर्ण बात इस खूबसूरत, दुर्लभ किताब के बारे में  कहना चाहूंगा कि यह किसी भी भारतीय द्वारा लिखी गई विभिन्न प्रकार की रचनाओं में से पूरी तरह से एक बिल्कुल अलग किताब है, जिसने केवल हमारे लोकतंत्र के वास्तविक और सच्चे कृत्यों पर ध्यान केंद्रित किया है। जो कुछ महान हस्तियों, निष्पक्ष संस्थानों और वास्तविक नीतियों द्वारा केवल हमारे देश के सबसे बड़े हित के लिए किया गया है।

 


शनिवार, 16 नवंबर 2024

राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चरित्रों के मूल्यों को मजबूत करने के लिए भारत में एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, जिम्मेदार और पूरी तरह से जवाबदेह प्रेस के उत्सव का एक मजबूत प्रतीकात्मक दिन है: डॉ. कमलेश मीना।

 

राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर लोकतंत्र और लोकतांत्रिक चरित्रों के मूल्यों को मजबूत करने के लिए भारत में एक स्वतंत्र, निष्पक्ष, जिम्मेदार और पूरी तरह से जवाबदेह प्रेस के उत्सव का एक मजबूत प्रतीकात्मक दिन है: डॉ. कमलेश मीना।

 

2024 हमें याद रखना चाहिए कि वर्षों से, मीडिया लाखों लोगों के हितों की रक्षा करने और पारदर्शिता और जवाबदेही को बढ़ावा देने में सबसे आगे रहा है। इसके महत्वपूर्ण योगदान को पहचानने के लिए, हमारे समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की आवश्यक भूमिका का सम्मान करते हुए, हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। आज के समय में स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस और मीडिया के बिना किसी भी शासन की कल्पना नहीं की जा सकती है और जब लोकतंत्र की बात आती है तो मीडिया अधिक शक्तिशाली उपकरण, उपयोगिता, लोगों के जीवन और प्रणाली का आवश्यक और अभिन्न अंग बन जाता है। 16 नवंबर मीडिया के लिए अपनी पहचान, लोगों के साथ-साथ लोकतंत्र की आवश्यकताओं और उनके महत्व, सम्मान और जरूरतों को पूरा करने के लिए जश्न मनाने का दिन है। यह हमारी मीडिया हस्तियों को बधाई देने का दिन है जो लोगों के संवैधानिक अधिकारों की रक्षा करने और उनकी आवाज उठाने के लिए स्वतंत्र और निष्पक्ष वकालत करने के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं। भारत में राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय प्रेस परिषद की यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है कि पत्रकारिता निष्पक्ष और स्वतंत्र, बाहरी दबावों से मुक्त रहे। 16 नवंबर भारत में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस की भूमिका का सम्मान करने के लिए समर्पित है। राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय प्रेस परिषद की यह सुनिश्चित करने की प्रतिबद्धता की याद दिलाता है कि हमारे लोकतंत्र में हमारा मीडिया, पत्रकारिता, नया और डिजिटल मीडिया बाहरी दबावों से मुक्त, निष्पक्ष और स्वतंत्र रहे। मीडिया मामलों में राज्य की भागीदारी की निगरानी के लिए 1966 में इसी दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की गई थी। हम आधुनिक पत्रकारों के सामने आने वाली चुनौतियों और प्रेस परिदृश्य को नया आकार देने में प्रौद्योगिकी की बढ़ती भूमिका को पहचानने के लिए इस दिन को मनाते हैं। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमें नैतिक मानकों, लोकतंत्र और लोकतांत्रिक समाज में मीडिया की महत्वपूर्ण भूमिका, बोलने की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने, सूचना साझा करने की अवधारणा, तथ्यात्मक समाचारों के माध्यम से जनता की राय में बदलाव और राष्ट्र के लिए पूरी जवाबदेही के साथ जिम्मेदारी और कर्तव्य सुनिश्चित करने की याद दिलाता है।

 

इस वर्ष, राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर 2024 को नई दिल्ली के राष्ट्रीय मीडिया केंद्र में मनाया जा रहा है और इस वर्ष के उत्सव का विषय "प्रेस की बदलती प्रकृति" है, जो आज के समय में मीडिया परिदृश्य की उभरती गतिशीलता को दर्शाता है। उभरते नए उपकरणों, नई नई तकनीक और विकास के कारण प्रेस के स्वरूप में बदलाव के कारण हमारी मीडिया को भी अपनी प्रासंगिकता और महत्व के लिए समय के अनुसार खुद को बदलने की जरूरत है। हमें याद रखना चाहिए कि यह प्रतिमान बदलने का समय है और हमें और हमारे मीडिया को इसके अनुसार ही काम करना चाहिए। मेरी आगामी रचना और 📕पुस्तक "समावेशी विचार: नए भारत को समझने का एक प्रयास" भी लोकतंत्र में मीडिया के महत्व को उसकी प्रासंगिकता और विशिष्टताओं के साथ खूबसूरती से प्रस्तुत करती है। हम आशा करते हैं कि इस रचना के माध्यम से आप हमें हमारे योगदान के लिए अपना आशीर्वाद और समर्थन देंगे।

 

1966 में भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) की स्थापना के उपलक्ष्य में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। लोकतांत्रिक समाज में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस के महत्व का जश्न मनाने के लिए भारत में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। यह दिन भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना के उपलक्ष्य में मनाया जाता है, जो देश में समाचार मीडिया के लिए एक नियामक संस्था के रूप में कार्य करती है। भारतीय प्रेस परिषद एक वैधानिक निकाय है जिसकी स्थापना प्रेस की स्वतंत्रता सुनिश्चित करने और पत्रकारिता के मानकों को बनाए रखने और सुधारने के लिए की गई थी। राष्ट्रीय प्रेस दिवस 16 नवंबर को मनाया जाता है, जिस दिन भारतीय प्रेस परिषद (पीसीआई) ने 1966 में आधिकारिक तौर पर अपना संचालन शुरू किया था। एक स्वतंत्र निकाय के रूप में स्थापित, पीसीआई की प्राथमिक भूमिका यह सुनिश्चित करना है कि लोकतंत्र की बेहतरी के लिए बाहरी प्रभावों से मुक्त रहते हुए प्रेस पत्रकारिता और जनसंचार के उच्च मानकों को बनाए रखे।

 

अर्ध-न्यायिक निकाय को प्रेस काउंसिल अधिनियम, 1978 के तहत वर्ष 1979 में फिर से स्थापित किया गया था। यह दिन एक लोकतांत्रिक राष्ट्र में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस के महत्व का जश्न मनाने का एक अवसर है। यह नैतिक पत्रकारिता की आवश्यकता पर जोर देता है जो सत्य, सटीकता और निष्पक्षता को कायम रखती है। इस दिन का महत्व मुख्य रूप से प्रेस की स्वतंत्रता को बढ़ावा देने और उसकी रक्षा करने पर केंद्रित है, जो लोकतंत्र की रीढ़ है।

 

पत्रकारिता मतलब समाज के मुद्दों को उठाना, जनता की आवाज बनकर उनके हकों के लिए सरकार से लड़ना, भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाना, सरकारों की गलत नीतियों को जनता के सामने लाना और सच क्या हैं यह जनता को बताना। वास्तविक में देखा जाए तो पत्रकारिता एक ऐसी शक्ति हैं, जो किसी भी सत्ता को हिला कर रख सकती हैं। लेकिन अगर यही पत्रकारिता जिम्मेदारियों के साथ नहीं की जाए तो जनता, समाज और सरकार के लिए हानिकारक भी साबित हो सकती हैं।

 

इस दिन, स्वतंत्र और निष्पक्ष प्रेस के महत्व पर चर्चा करने और उसे बढ़ावा देने के लिए देश भर में विभिन्न कार्यक्रम और गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं। संक्षेप में, राष्ट्रीय प्रेस दिवस प्रेस की उपलब्धियों का जश्न मनाने के साथ-साथ उसके सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए एक मंच के रूप में कार्य करता है। यह किसी राष्ट्र के लोकतांत्रिक मूल्यों की रक्षा में जिम्मेदार पत्रकारिता की आवश्यकता और प्रेस की भूमिका को रेखांकित करता है।

 

इस दिन का आयोजन भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में स्वतंत्र और स्वतंत्र प्रेस के महत्व की याद दिलाता है। मीडिया के सामने आने वाली चुनौतियों और नैतिक पत्रकारिता की आवश्यकता को उजागर करने के लिए इस दिन देश भर में विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर, पत्रकारों और मीडिया पेशेवरों को उनके अनुकरणीय कार्यों के लिए विभिन्न संगठनों द्वारा सम्मानित किया जाता है, जो पारदर्शिता, लोकतंत्र और सामाजिक न्याय को बढ़ावा देने में उनकी महत्वपूर्ण भूमिका को उजागर करते हैं। राष्ट्रीय प्रेस दिवस हमारे मीडिया बिरादरी और पत्रकारों को सशक्त बनाने के लिए मनाया जाता है जो लोकतंत्र और इसके नागरिकों की आवाज को मजबूत करने के लिए इस पवित्र पेशे को अपनाते हैं।

 

भारतीय प्रेस परिषद की स्थापना की याद में हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है, जिसकी स्थापना 1966 में हुई थी। राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारत में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस का प्रतीक है क्योंकि भारतीय प्रेस परिषद मीडिया के लिए एक प्रहरी और नैतिक प्रेस के रूप में कार्य करती है। भारत के प्रथम प्रेस आयोग की पहली बैठक नवंबर 1954 में हुई। उन्होंने एक समिति या निकाय की स्थापना के महत्व पर चर्चा की जो पत्रकारिता की नैतिकता को ध्यान में रखे। बैठक के दौरान उन्हें एहसास हुआ कि प्रेस के सामने आने वाली समस्याओं और संघर्षों से निपटने के लिए एक उचित प्रबंधन निकाय का गठन किया जाना चाहिए। नवंबर 1966 में मीडिया और प्रेस के समुचित कामकाज और पत्रकारों के सामने आने वाली समस्याओं से निपटने के लिए भारतीय प्रेस परिषद का गठन किया गया था। सभी को यह दिन बड़े उत्साह के साथ मनाना चाहिए क्योंकि हमारा संविधान अनुच्छेद 19 (1) ए के तहत प्रत्येक व्यक्ति को अपने विचार और राय व्यक्त करने का अधिकार देता है।  प्रतिवर्ष 16 नवंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्रेस दिवस, भारतीय प्रेस परिषद की एक पहल है, जो प्रेस की स्वतंत्रता के प्रति प्रतिबद्धता की पुन: पुष्टि का आह्वान करता है, पत्रकारों को अपनी जिम्मेदारियों को निभाने के दौरान आने वाली बाधाओं को स्वीकार करता है। 16 नवंबर को मनाया जाने वाला राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारत में स्वतंत्र और जिम्मेदार प्रेस के सार का प्रतीक है। भारतीय प्रेस परिषद की शुरुआत के साथ शुरू हुआ यह दिन उच्च पत्रकारिता मानकों को बनाए रखने और प्रेस को बाहरी प्रभावों या खतरों से बचाने की प्रतिबद्धता के प्रमाण के रूप में खड़ा है।

 

प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष रूप से मीडिया का हिस्सा होने के नाते, मैं इसे हमारे और हमारी पूरी मीडिया बिरादरी के लिए विशेषाधिकार प्राप्त दिन के रूप में महसूस करता हूं। मैं इस शुभ दिन पर आप सभी को शुभकामनाएं देता हूं और वादा करता हूं कि मैं अपने लोकतंत्र को मजबूत करने और हमारे आम लोगों को सशक्त बनाने के लिए अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म लेखन और अपने विचारों, भावनाओं, ज़ज़्बात को व्यक्त करने के तरीके के माध्यम से अपनी भूमिका में योगदान देना जारी रखूंगा। मेरे लिए वास्तव में यह गर्व का क्षण है कि कुछ हद तक, मैं अपने अकादमिक योगदान के माध्यम से प्रेस और मीडिया का हिस्सा बन सका और मीडिया शिक्षा, ज्ञान और मीडिया अनुभव के कारण, अभी तक मेरी सक्रिय उपस्थिति से लोगों और राष्ट्र के हित में, मैं समाज की सर्वोत्तम बेहतरी के लिए अपने लेखन कौशल के माध्यम से अपनी अभिव्यक्ति सुनिश्चित कर सका। मैं लगभग दो दशकों से मीडिया और प्रेस से प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से जुड़ा हुआ हूं और लगातार इस विशेषज्ञता, ज्ञान और अनुभव का उपयोग अपने युवाओं, समाज और लोगों को अपने छोटे छोटे लेखों, अभिव्यक्ति के तरीकों के माध्यम से विभिन्न स्तरों पर मेरी उपस्थिति से अधिक जागरूक और सूचनात्मक रूप से सशक्त बनाने के लिए कर रहा हूं।

 

मीडिया लोकतंत्र का चौथा स्तंभ है- कार्यपालिका, विधायिका और न्यायपालिका के साथ-साथ एक मजबूत लोकतंत्र के चार स्तंभों में से एक माना जाने वाला प्रेस विशिष्ट रूप से आम नागरिकों की प्रत्यक्ष भागीदारी की अनुमति देता है। मेरे लिए यह एक विशेष दिन है, इसमें कोई संदेह नहीं है और मुझे गर्व है कि मैं लोकतंत्र के इस महत्वपूर्ण स्तंभ का हिस्सा बन सका। भारत में स्वतंत्र निष्पक्ष और स्वतंत्र प्रेस के महत्व को उजागर करने के लिए हर साल 16 नवंबर को राष्ट्रीय प्रेस दिवस मनाया जाता है। भारतीय प्रेस परिषद एक स्वतंत्र कार्य करने वाली संस्था है। यह भी याद रखें कि राष्ट्रीय प्रेस दिवस भारतीय लोकतंत्र को अधिक जीवंत, अधिक प्रभावी और अधिक प्रासंगिक बनाने में राष्ट्र, समाज के प्रति इसके योगदान, भूमिका को सम्मान देने के लिए भी मनाया जाता है।

 


 

 जय हिन्द।

 

सादर।

 

डॉ कमलेश मीना,

सहायक क्षेत्रीय निदेशक,

 

इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मुक्त विश्वविद्यालय, इग्नू क्षेत्रीय केंद्र भागलपुर, बिहार। इग्नू क्षेत्रीय केंद्र पटना भवन, संस्थागत क्षेत्र मीठापुर पटना। शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार।

 

एक शिक्षाविद्, शिक्षक, मीडिया विशेषज्ञ, सामाजिक राजनीतिक विश्लेषक, वैज्ञानिक और तर्कसंगत वक्ता, संवैधानिक विचारक और कश्मीर घाटी मामलों के विशेषज्ञ और जानकार।

 

Email kamleshmeena@ignou.ac.in and drkamleshmeena12august@gmail.com

Mobile: 9929245565

 

 

“कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।” - संतोष श्रीवास्तव ---

कहानी संवाद “कलम में वह ताक़त होती है जो आज़ादी का बिगुल बजा सकती है।”  - संतोष श्रीवास्तव --- "सुनो, बच्चों को सही समझाइश देना और ज़माने...